उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अदालत द्वारा समायोजन रोके जाने के विरोध में प्रदर्शन कर रहे शिक्षामित्रों से शांति और संयम बनाए रखने की अपील की. साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार उनकी चिंता को लेकर संवेदनशील है और वह उनके साथ अन्याय नहीं होने देगी.
मुख्यमंत्री ने विधान परिषद में बजट पर सामान्य चर्चा का जवाब देते हुए प्रदेश के शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापक पद पर समायोजन को सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोके जाने को लेकर हो रहे उग्र विरोध का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि एक लाख 72 हजार शिक्षामित्रों के समायोजन की कार्यवाही में ही खामी थी. इसलिए इस पर अदालत ने रोक लगा दी.
उन्होंने उच्च सदन के माध्यम से सभी शिक्षामित्रों से अपील की कि वे हिंसा का रास्ता ना अपनाए. सरकार उच्चतम न्यायालय के फैसले की समीक्षा कर रही है. उसके दायरे में रहकर जो तर्कसंगत रास्ता होगा, उसे निकाला जाएगा. सरकार इस मुद्दे पर संजीदा है. ऐसे में सड़कों पर प्रदर्शन नहीं होना चाहिए. जब हम हिंसा का मार्ग अपनाते हैं तो हम संवाद के रास्ते बंद कर देते हैं. हमें याद रखना होगा कि लोकतंत्र संघर्ष से नहीं संवाद से चलता है.
योगी ने कहा कि वह शिक्षामित्रों से अपील करते हैं कि वे सड़कों पर आगजनी और तोड़फोड़ ना करें, बहकावे में ना आएं. पिछली सरकारों के गलतियों और उनके वोट बैंक की राजनीति को नकार करके आप शांतिपूर्ण ढंग से विद्यालयों में जाकर पठन-पाठन के कार्य में लगें. बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव खुद इस मसले को देख रहे हैं. सरकार किसी के साथ अन्याय नहीं होने देगी.
उन्होंने शिक्षामित्रों की मौजूदा स्थिति के लिए पूर्ववर्ती एसपी और बीएसपी सरकारों को जिम्मेदार ठहराया.
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने गत 26 जुलाई को पूर्ववर्ती एसपी सरकार के कार्यकाल में सहायक शिक्षक के पद पर समायोजित किए गए एक लाख 72 हजार शिक्षामित्रों के समायोजन को निरस्त करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराया था. न्यायालय के इस फैसले के बाद प्रदेश भर में शिक्षामित्र आंदोलित हैं.