नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को ऐलान किया था कि 500 और 1000 रुपए के नोट अब बाजार में नहीं चलेंगे. उस वक्त उन्होंने कहा था कि 31 दिसंबर तक लोग बैंकों में जाकर अपने नोट बदल सकते हैं. लोगों की सहूलियत को ध्यान में रखते हुए उन्होंने यह भी कहा था कि जो लोग इस दौरान बड़े नोट जमा नहीं करा पाएंगे वो 31 मार्च 2017 अपना पहचान पत्र दिखाकर रिजर्व बैंक में जमा कर सकते हैं.
लेकिन 31 दिसंबर के बाद रिजर्व बैंक ने बड़े नोट लेने से इनकार कर दिया. सरकार के इस वादाखिलाफी पर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी. इस याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट सोमवार को केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक से जवाब मांगा है.
इस याचिका में आरोप लागाया गाया है कि मोदा ने वादा किया था लेकिन फिर भी नोट जमा नहीं हो रहे हैं.
चीफ जस्टिस जगदीश सिंह खेहर, जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस संजय किशन कौल की बेंच ने केंद्र और रिजर्व बैंक को नोटिस जारी किया.
केंद्र को देना होगा जवाब
केंद्र और रिजर्व बैंक को नोटिस का जवाब शुक्रवार तक देना है. याचिका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 8 नवंबर 2016 के भाषण का जिक्र है, जिसमें कहा गया था कि जो लोग 31 दिसंबर, 2016 तक पुरानी करेंसी जमा नहीं करा पाए वह 31 मार्च 2017 तक रिजर्व बैंक में जमा करा सकते हैं.
पीठ ने इस दलील पर विचार किया कि रिजर्व बैंक का पिछला फरमान प्रधानमंत्री और रिजर्व बैंक द्वारा दिए गए वादों को तोड़ना है.