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क्या खीर के साथ-साथ कुशवाहा महागठबंधन में जाने की खिचड़ी भी पका चुके हैं?

लेकिन बार-बार महागठबंधन में जाने का संकेत देने के बाद भी कुशवाहा एनडीए के साथ रहने की बात करते हैं

FP Staff

बिहार की सियासत में 'खीर' पॉलिटिक्स से हलचल मचाने वाले उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल का दिल्ली में स्वागत किया है. उनकी पार्टी के कार्यकर्ता भुजबल को एयरपोर्ट से स्वागत करके झंडा-बैनर के साथ महाराष्ट्र सदन ले आए. राजनीति में तो किसी दूसरे दल के नेता के साथ बैठने के भी मायने निकाल लिए जाते हैं, यहां तो आरएलएसपी ने न सिर्फ उनका स्वागत किया बल्कि कुशवाहा ने उनसे मुलाकात भी की. ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या खीर के साथ-साथ कुशवाहा महागठबंधन में जाने की खिचड़ी भी पका चुके हैं.

आरएलएसपी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री नागमणि कहते हैं 'उपेंद्र कुशवाहा को आगे बढ़ाने में छगन भुजबल ने काफी मदद की है. दोनों के व्यक्तिगत संबंध है. कुशवाहा उन्हें अपना राजनैतिक गुरु मानते हैं. भुजबल ओबीसी की लड़ाई लड़ रहे हैं, हमारी पार्टी भी लड़ रही है, इसलिए उनसे जुड़ाव है और कार्यकर्ताओं ने उनका स्वागत किया.'


आरजेडी-आरएलएसपी को नजदीक लाने के पीछे NCP नेता भुजबल का हाथ?

बताया गया है कि इस मुलाकात और स्वागत के पीछे लालू प्रसाद यादव का भी योगदान है. सूत्रों ने बताया कि मुंबई में लालू के ईलाज के दौरान भुजबल की उनसे मुलाकात हुई थी. इसके बाद कुशवाहा को महागठबंधन के लिए मनाने का कार्यक्रम बना. बताया गया है कि उपेंद्र कुशवाहा भुजबल की बात को टाल नहीं सकते. बिहार में एनसीपी भी चुनाव लड़ती रही है. कुशवाहा, बिहार में एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं. इसलिए कयास लगाए जा रहे हैं कि भुजबल ने आरजेडी-आरएलएसपी को नजदीक करने की कोशिश की है.

दूसरी ओर बिहार में लोकसभा सीटों के बंटवारे को लेकर एनडीए के फार्मूला तय करने की चर्चा है, जिसमें आरएलएसपी को सिर्फ दो सीटें दिए जाने की बात कही जा रही है. आरएलएसपी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि जिस पार्टी की सीटें सबसे कम हैं उसे बीजेपी ज्यादा हिस्सेदारी दे रही है और जिसकी ज्यादा है उसे सिर्फ दो सीट.

बार-बार महागठबंधन में जाने का संकेत देने के बाद भी कुशवाहा एनडीए के साथ रहने की बात करते हैं

ऐसे में नहीं लगता कि कुशवाहा एनडीए के साथ रहकर चुनाव लड़ेंगे. क्योंकि उनकी पार्टी में भी लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा रखने वाले कई नेता हैं. दो सीट वाला फार्मूला आरएलएसपी कभी स्वीकार नहीं करेगी. हालांकि, यह बात गौर करने वाली है कि बार-बार महागठबंधन में जाने का संकेत देने के बाद भी कुशवाहा कहते हैं कि वह एनडीए के साथ ही रहेंगे. पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ेंगे. कुशवाहा इस वक्त मानव संसाधन राज्य मंत्री हैं.

एनसीपी प्रमुख शरद पंवार मोदी सरकार के खिलाफ काफी मुखर हैं. छगन भुजबल उनकी पार्टी के प्रमुख नेता हैं. उनसे कुशवाहा की दो बार मुलाकात हुई है. सूत्रों ने बताया कि भुजबल ने उपेंद्र कुशवाहा को साफ कहा है कि अगर मेरी बात मानते हो तो मोदी के खिलाफ सब एकजुट हो जाओ.’ हालांकि, निर्णय तो कुशवाहा को लेना है कि उनका राजनीतिक हित किसके साथ सुरक्षित है. कुशवाहा ने अपनी राजनीतिक ताकत का अहसास दिलाते हुए विकल्प खुला रखने की रणनीति अपनाई हुई है.

राजनीतिक विश्लेषक सुरेंद्र किशोर के मुताबिक 'राजनीतिक हल्कों में ये चर्चा है कि छगन भुजबल से लालू प्रसाद यादव ने उपेंद्र कुशवाहा को समझाने के लिए कहा था. क्योंकि भुजबल ने उपेंद्र की काफी मदद की है. लेकिन कुशवाहा तो अभी नरेंद्र मोदी के साथ होने की बात कर रहे हैं. ऐसे में जब तक सीटों के बंटवारे को लेकर कोई बात नहीं होती है तब तक इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता कि कुशवाहा क्या करेंगे?'

(न्यूज 18 हिंदी के लिए ओम प्रकाश का लेख)