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उपेंद्र कुशवाहा ने 20-20 के फॉर्मूले को किया खारिज, अब आगे क्या होगा?

आरएलएसपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने बिहार में एनडीए के भीतर सीट बंटवारे के फॉर्मूले को खारिज कर दिया है.

Amitesh

आरएलएसपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने बिहार में एनडीए के भीतर सीट बंटवारे के फॉर्मूले को खारिज कर दिया है. कुशवाहा ने 20-20 के फॉर्मूले पर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा, 'मैं क्रिकेट नहीं खेलता और मुझे ये 20-20 फॉर्मूला भी समझ नहीं आता. इसकी जगह मैं 'गिल्ली डंडा' खेलना पसंद करूंगा.'

जब उनसे यह पूछा गया कि क्या उनकी आपत्तियों को लेकर बीजेपी ने उनसे किसी तरह का संपर्क किया है, तो आरएलएसपी अध्यक्ष का कहना था, ‘जब तक इसके कोई ठोस नतीजे नहीं निकलते, तब तक मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा.’


कुशवाहा से क्रिकेट नहीं खेलकर 'गिल्ली डंडा' खेलने का मतलब पूछा गया तो उन्होंने हंसते हुए जवाब दिया, ‘कुछ दिन का इंतजार करिए, सब कुछ जल्दी ही साफ हो जाएगा.’

उपेंद्र कुशवाहा के बयान से साफ है कि एनडीए के भीतर सीट शेयरिंग के फॉर्मूले पर सहमति नहीं बन पा रही है. या इसे कहा जा सकता है कि भले ही जेडीयू- बीजेपी सीट शेयरिंग के अपने फॉर्मूले पर आगे बढ़ रहे हों, लेकिन, यह फॉर्मूला कुशवाहा को मंजूर नहीं है.

सूत्रों के मुताबिक, कुशवाहा की पार्टी को 40 लोकसभा सीटों में से केवल 2 ही सीटों का ऑफर दिया जा रहा है. जिस 20-20 फॉर्मूले की बात हो रही है, उसके मुताबिक, 20 सीटों पर बीजेपी और बाकी 20 सीटों पर बीजेपी के सहयोगी दलों को सीट दिया जाएगा. सहयोगी दलों को मिलने वाली 20 सीटों में से बिहार में जेडीयू को 13 से 14, एलजेपी को 4 से 5 और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी को 2 सीटें देने की बात कही गई है.

इसी ऑफर से उपेंद्र कुशवाहा नाखुश हैं, जिसके बाद उन्हें गिल्ली-डंडा खेलने की बात कह कर इस ऑफर को ठुकरा दिया है. लेकिन, कुशवाहा की तरफ से हंसकर कुछ दिन इंतजार करने की बात करना दिखा रहा है कि अपने पत्ते वो खोलना नहीं चाहते. एनडीए में रहने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मजबूत करने की बात कहने वाले कुशवाहा महज 2 सीटों पर ऑफर को सिरे से खारिज कर रहे हैं.

लेकिन, उनकी तरफ से सस्पेंस बरकरार रखा जा रहा है. यह सस्पेंस और बड़ा हो जाता है, जब उनकी तरफ से कभी बिहार में सियासी खीर बनाने की बात कही जाती है. यह यदुवंशियों से दूध लेने का मतलब लालू यादव की पार्टी से हाथ मिलाने के संकेत के तौर पर देखा गया था.

इससे पहले लालू यादव के स्वास्थ्य का हाल-चाल लेने के बहाने मुलाकात की बात हो या फिर, शिक्षा को लेकर बनाई गई श्रृंखला में आरजेडी नेताओं के कुशवाहा के साथ खड़े होने की बात हो, जो संकेत मिलते हैं, वो कुशवाहा के सस्पेंस को और बढ़ा देते हैं. दूसरी तरफ, आरजेडी की तरफ से उन्हें खुला ऑफर दिया जा रहा है जिससे यह सस्पेंस औऱ गहरा जाता है.

लेकिन, उपेंद्र कुशवाहा और उनकी पार्टी के नेताओं की तरफ से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सुशासन और कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़ा किया जा रहा है. कुशवाहा के निशाने पर नीतीश कुमार ही हैं, जिनकी एनडीए में एंट्री के बाद से ही कुशवाहा परेशान हैं. सीटों के बंटवारे के मामले में भी बीजेपी की तरफ से नीतीश कुमार को ही सबसे ज्यादा तवज्जो दी जा रही है. बात पासवान से भी हो रही है. लेकिन, कुशवाहा से बात हो भी रही है तो सबसे अंत में और वो भी सबसे कम सीटों के ऑफर के साथ.

नीतीश कुमार

नीतीश विरोध के नाम पर ही जेडीयू से अलग होकर नई पार्टी बनाने वाले उपेंद्र कुशवाहा को यही बात नागवार गुजर रही है. उनकी पार्टी के नंबर दो नेता और कार्यकारी अध्यक्ष नागमणि ने तो आरएलएसपी को जेडीयू से बड़ी पार्टी बताया है. नागमणि का दावा है कि लोकसभा में दो सांसदों वाली जेडीयू से बड़ी पार्टी आरएलएसपी है. वोट शेयर भी आरएलएसपी का ज्यादा है. उपेंद्र कुशवाहा को नजरअंदाज करने पर सभी विकल्प खुले रखने की बात कहने वाले नागमणि की बातों से साफ है कि बिहार में यह लड़ाई निर्णायक दौर में पहुंचने वाली है.

उधऱ, नीतीश कुमार के करीबी और जेडीयू नेता आरसीपी सिंह ने दावा किया है कि सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत लगभग पूरी हो चुकी है. ऐसे में अगर 20-20 के फॉर्मूले के हिसाब से ही जेडीयू से सहमति हो जाती है तो फिर आरएलएसपी के लिए बड़ा झटका होगा.

लेकिन, क्या कुशवाहा आखिरकार मान जाएंगे या फिर 2019 के पहले सियासी खीर आरजेडी के साथ पकाएंगे ? इस पर सस्पेंस बरकरार है.