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यूपी में योगी यानी मुसलमानों के लिए कयामत?

उत्तर प्रदेश में सरकार पर पाकिस्तान का मीडिया खूब रोना रो रहा है

Seema Tanwar

पाकिस्तान के उर्दू अखबारों में आजकल भारतीय खबरों की बहार है. कहीं यूपी के नए सीएम योगी आदित्यनाथ के चर्चे हैं तो कहीं भारत और इजरायल की बढ़ती दोस्ती पर चिंता जताई जा रही है.

बात जहां तक योगी आदित्यनाथ की है, तो उनके सीएम बनने को तो भारत में कई लोग नहीं पचा पा रहे हैं, अब ऐसे में पाकिस्तान के उर्दू अखबार उनके बारे में जो लिखेंगे आपको अंदाजा होगा ही. ‘रोजनामा एक्सप्रेस’ ने अपने संपादकीय की सुर्खी लगाई- एक कट्टर हिंदू यूपी का सीएम बन गया.


तल्ख जुबानी

तल्खी इस कदर है कि योगी के लिए सम्मानजनक भाषा भी इस्तेमाल नहीं की गई है. मसलन अखबार लिखता है, ‘योगी आदित्यनाथ एक मंदिर का पुजारी और उसका संरक्षक है. वह भारत में हिंदूत्व के झंडाबरदार के तौर पर शोहरत रखता है. योगी आदित्यनाथ अयोध्या में चरमपंथियों के द्वारा गिराई गई बाबरी मस्जिद की जगह मंदिर बनाने का भी जबरदस्त समर्थक है.'

अखबार लिखता है कि यूपी में बीजेपी को मिली भारी जीत से साबित होता है कि वहां हिंदू कट्टरपंथ कम नहीं हो रहा है, बल्कि बढ़ रहा है. और ऊपर से योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाने से साफ हो जाता है कि भारत में सेक्युलरिज्म की सोच दम तोड़ रही है.

योगी आदित्यनाथ को धार्मिक तौर पर मोदी से भी कट्टर बताते हुए अखबार लिखता है कि बीजेपी एक तरफ हिंदू कट्टरपंथ को हवा दे रही है और दूसरी तरफ समाज को जात पात में बांट रही है, जिसकी कीमत भारत को आगे चलकर चुकानी होगी.

इसी तरह के ख्याल जाहिर करते हुए ‘उम्मत’ अखबार ने लिखा है कि बीजेपी के इस फैसले से न सिर्फ दुनिया के शांतिप्रिय हल्के परेशान हैं, बल्कि भारत के लोग भी हैरान परेशान हैं.

अखबार लिखता है कि एक बार आदित्यनाथ ने कहा था कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक खास कम्युनिटी की आबादी बहुत बढ़ गई है और इसीलिए वहां दंगे बढ़े हैं. मुसलमानों के खिलाफ योगी आदित्यनाथ की भड़काऊ बयानबाजी का जिक्र करते हुए अखबार लिखता है कि योगी आदित्यनाथ अपने राज में यूपी के मुसलमानों पर क्या कयामत ढाएंगे?

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भारत-इजरायल दोस्ती

इस साल भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्तावित इजरायल दौरे पर ‘जसारत’ ने एक लेख छापा है - भारत और इजरायल के संबंधों में गर्मजोशी. अखबार कहता है कि अगर भारत और इजरायल विभिन्न क्षेत्रों में अपने रिश्ते मजबूत कर रहे हैं तो इससे किसी को भला क्या एतराज हो सकता है, लेकिन अगर इस सहयोग से पाकिस्तान की सुरक्षा को खतरा पहुंचता है तो पाकिस्तान को फिक्र करने की जरूरत है.

अखबार के मुताबिक अतीत में ऐसा हो चुका है जब इजरायल ने भारत के साथ मिलकर पाकिस्तान के एटमी ठिकानों को तबाह करने की योजना बनाई थी और इजरायल के विमान भारत पहुंच भी गए थे. लेकिन अखबार लिखता है कि तभी फलीस्तीनी नेता यासिर अराफात ने पाकिस्तान को खबर दी, जिसके बाद पाकिस्तान ने चेतावनी दी कि अगर दोनों देशों ने कोई हिमाकत की तो उनका बहुत कुछ तबाह हो जाएगा.

अखबार की हिदायत है कि पाकिस्तान को फिर भारत और इजरायल के बढ़ते संबंधों पर नजर रखनी होगी क्योंकि इसका असर क्षेत्र में शांति पर भी पड़ सकता है.

हर पाकिस्तानी का मिशन

‘रोजनामा दुनिया’ ने ‘गर्म होती सरहद’ शीर्षक से अपने संपादकीय में भारत पर संघर्षविराम के गंभीर उल्लंघन का आरोप मढ़ा है. अखबार लिखता है कि एक आम रिहायशी इलाके में गोलाबारी से 60 साल की एक महिला मारी गई.

अखबार लिखता है कि पाकिस्तान को लेकर भारत को एक नहीं, तीन दुख हैं: कश्मीरियों का समर्थन, पाकिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ कामयाब जंग और तीसरा चीन-पाक आर्थिक कॉरिडोर परियोजना, जिसकी वजह से पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अहमियत मिली है.

अखबार लिखता है कि इस वक्त दुनिया के 52 देश कॉरिडोर परियोजना से फायदा उठाने के इच्छुक हैं और इनमें भारत के नजदीकी सहयोगी अमेरिका और रूस भी शामिल हैं. इसी के साथ फिर अखबार ने भारत पर इस परियोजना में रोड़े अटकाने का आरोप लगाया है.

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इसी बात को लगभग इन्हीं शब्दों में आगे बढ़ाते हुए ‘नवा ए वक्त’ लिखता है कि कॉरिडोर परियोजना को खत्म कराने के लिए दबाव डालने खुद मोदी चीन गए, उनके मंत्री और सेक्रेटरी अब तक चीन के चक्कर काट रह हैं, लेकिन चीन ने दोटूक अंदाज में परियोजना को जारी रखने का एलान किया.

अखबार के मुताबिक यह शोशा भी छोड़ा गया कि 'आजाद कश्मीर' (मतलब पाक अधिकृत कश्मीर) एक विवादित क्षेत्र है और इसलिए यहां से कॉरिडोर को न गुजारा जाए, लेकिन चीन ने किसी बात को अहमियत नहीं दी.

अखबार के मुताबिक भारत जिस तरह पाकिस्तान के खिलाफ प्रोपगेंडा करता है, उसका जबाव देने के लिए कूटनीति को प्रभावी बनाना होगा और गेम चेंजर कॉरिडोर परियोजना को साकार करना करना हर पाकिस्तानी का मिशन होना चाहिए.