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यूपी सरकार पर लग रहा डॉ कफील को बलि का बकरा बनाने का आरोप

डॉ कफील की ऑक्सीजन खरीद में कोई भूमिका ही नहीं थी, उनपर रेप का आरोप भी झूठा निकला

FP Staff

गोरखपुर के बीआरडी अस्‍पताल में बच्‍चों को बचाने के लिए अपने खर्चे पर ऑक्‍सीजन सिलिंडर का बंदोबस्‍त कर डॉक्‍टर कफील अहमद 10 अगस्‍त की रात को हीरो के रूप में उभरे थे. बच्‍चों के माता-पिता से लेकर सीमा सुरक्षा बल तक सभी उनकी तारीफ कर रहे थे. लेकिन लगता है कि योगी आदित्‍यनाथ सरकार को इससे फर्क नहीं पड़ता.

सरकार ने अस्‍पताल के पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट में असिस्‍टेंट प्रोफेसर और इंसेफेलाइटिस वार्ड के मुखिया डॉ. कफील अहमद को पद से हटा दिया. न्‍यूज18 की रिपोर्ट के अनुसार, डॉ. अहमद ने सिलिंडरों की व्‍यवस्‍था करने के लिए काफी मेहनत की थी. जिन बच्‍चों को वे बचा नहीं पाए थे उनको लेकर अहमद रो पड़े थे.


डॉ. अहमद पर मुख्‍य आरोप है कि उन्‍होंने सिलिंडर अपने प्राइवेट अस्‍पताल से जुटाए थे. मेडिकल एजुकेशन के डीजी केके गुप्‍ता ने बताया, 'डॉ. कफील अहमद की भूमिका जांच के दायरे में है कि उन्‍होंने ऑक्सीजन सिलिंडर किस तरह जुटाए. डीजी ने डॉ. अहमद की निजी प्रैक्टिस की ओर भी इशारा किया.

डॉ कफील पर लगे आरोप दिख रहे निराधार

सशस्‍त्र सीमा बल (एसएसबी) हालांकि इस मामले का दूसरा पक्ष भी पेश करता है. एसएसबी के जनसंपर्क अधिकारी ओपी साहू ने बताया, '10 अगस्‍त की रात को बीआरडी कॉलेज में जो स्थिति हुई वह अभूतपूर्व थी. डॉ. अहमद ने एसएसबी के डीआईजी से एक ट्रक की व्‍यवस्‍था करने को कहा था जिससे कि अलग-अलग जगहों से ऑक्‍सीजन सिलिंडर इकट्ठा कर मेडिकल कॉलेज ले जाए जा सके. इस पर डीआईजी ने मेडिकल विंग के 11 जवानों को भी मदद के लिए मेडिकल कॉलेज भेजा. घंटों तक ट्रक से अलग-अलग जगहों से सिलिंडर इकट्ठा किए गए. खलीलाबाद के एक गोदाम से भी सिलिंडर लाए गए.'

न्‍यूज 18 की जांच में डॉ. अहमद पर लगा रेप का आरोप भी झूठा मिला. यह आरोप 2015 में लगाया गया था. पुलिस ने मामले में एक रिपोर्ट भी दर्ज की थी. न्‍यूज18 ने यह भी पता लगाया है कि डॉ. अहमद की ऑक्‍सीजन खरीद प्रक्रिया में कोई भूमिका नहीं थी. इसके चलते सवाल उठ रहा है कि सरकार ने डॉ. कफील अ‍हमद पर यह कार्रवाई क्‍यों की? क्‍या यह मामले से ध्‍यान हटाने के लिए किया गया है.

(साभार: न्यूज़ 18)