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उत्तर प्रदेश में 25 साल बाद फिर वही कहानी याद आई...

बीजेपी की इस बड़ी जीत के बाद उत्तर प्रदेश विधानसभा में मुस्लिम प्रतिनिधित्व गिरकर 5.9 प्रतिशत रह गया है

Ravishankar Singh

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 के नतीजे कई मायनों में खास हैं. बीजेपी ने पहली बार किसी भी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट दिए बगैर इतनी बड़ी जीत दर्ज की है. बीजेपी की इस बड़ी जीत के बाद उत्तर प्रदेश विधानसभा में मुस्लिम प्रतिनिधित्व गिरकर 5.9 प्रतिशत रह गया है. साल 2012 में मुस्लिम प्रतिनिधित्व 17.1 प्रतिशत थी.

बीजेपी की यह जीत उस लिहाज से भी काफी महत्पूर्ण मानी जा रही है, जहां 80 लोकसभा सीटों में से 34 लोकसभा सीटें और 403 विधानसभा सीटों में से 130 विधानसभा सीटें पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक साबित होते हैं.


2012 की तुलना में बीजेपी की लोकप्रियता 6 गुणा बढ़ी

2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी की लोकप्रियता में 6 गुणा बढ़ोतरी हुई है. साल 2012 विधानसभा चुनाव में बीजेपी को जहां 47 सीटें मिली थीं, वहीं साल 2017 में यह बढ़ कर 312 हो गई है.

मुस्लिम विधायकों की संख्या 65 फीसदी घटी

जबकि, मुस्लिम प्रतिनिधियों के प्रतिनिधित्व में 65 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. साल 2012 में जहां 68 सीटों पर मुस्लिम विधायक चुन कर आए थे, वहीं साल 2017 के विधानसभा चुनाव में 24 पर सिमट गए हैं.

देश के सबसे ज्यादा आबादी वाले इस राज्य के विधानसभा में मुस्लिम प्रतिनिधित्व अब मात्र 5.9 प्रतिशत रह गया है. साल 2012 के विधानसभा चुनावों में मुस्लिम प्रतिनिधित्व 17.1 प्रतिशत था.

25 साल फिर वही कहानी दोहराई

साल 2017 विधानसभा चुनाव का यह आंकड़ा साल 1992 में बाबरी मस्जिद दंगों के बाद हुए विधानसभा चुनाव की याद ताजा करता है. साल 1992 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 221 सीटें मिली थीं. इस साल मुस्लिम प्रतिनिधियों का प्रतिनिधित्व गिरकर 4.1 के आसपास रह गया था. 25 साल बाद एक बार फिर से वही कहानी उत्तर प्रदेश में दोहराई गई है.

उत्तर प्रदेश में मुस्लिम आबादी ज्यादा

उत्तर प्रदेश में मुसलमानों की जनसंख्या 3 करोड़ 84 लाख है. यह संख्या राज्य की कुल आबादी 20 करोड़ लोगों का 19.2 फीसदी है. उत्तर प्रदेश में मुस्लिमों की संख्या देश की किसी भी राज्य की तुलना में ज्यादा और अनुपात के हिसाब से असम और केरल के बाद तीसरे स्थान पर है.

उत्तर प्रदेश में आजादी के बाद से ही मुस्लिम प्रतिनिधित्व की संख्या घटती-बढ़ती रही है. 1951 से 1957 के बीच विधानसभा में मुस्लिम प्रतिनिधित्व 10 प्रतिशत के करीब रहा. वहीं इमरजेंसी के बाद इसमें इजाफा हुआ. साल 1977 से लेकर साल 1985 के बीच यूपी में मुस्लिम प्रतिनिधित्व 11.53 प्रतिशत तक पहुंच गया था.

उत्तर प्रदेश में इस बार चुन कर आए ज्यादातर मुस्लिम विधायक रोहिलखंड और पूर्वांचल क्षेत्र से आए हैं. विधानसभा चुनाव 2017 में 24 मुस्लिम विधायकों ने जीत दर्ज की है. 24 मुस्लिम विधायकों में से 14 विधायक ऐसे हैं जो एक ही क्षेत्र से लगातार दूसरी बार विधायक चुने गए हैं. साल 2017 में एक भी मुस्लिम महिला विधायक चुन कर नहीं आई हैं.

2012 में मुस्लिम प्रतिनिधित्व सबसे ज्यादा

साल 2012 के विधानसभा चुनावों में पहली बार उत्तर प्रदेश में मुसलमान विधायकों की संख्या में तेजी आई थी. मुसलमानों ने पहली बार अपनी आबादी के अनुपात के आसपास 17.1 प्रतिशत राजनीतिक प्रतिनिधित्व प्राप्त किया था. साल 2011 की जनगणना के अनुसार मुस्लिम आबादी 19.2 प्रतिशत थी. लेकिन साल 2017 में मुस्लिम प्रतिनिधित्व आबादी के अनुपात में जो होनी चाहिए उसकी एक तिहाई है.

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मुसलमानों के कम प्रतिनिधित्व के लिए राज्य की भौगोलिक बनावट, अनुसूचित जाति के लिए निर्वाचन क्षेत्रों में आरक्षण और एक ही निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने वाले कई मुस्लिम उम्मीदवारों के कारण बना है.