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यूपी चुनाव नतीजे: बिहार के महागठबंधन पर दिखेगा 'महाजीत' का इफेक्ट?

नतीजे आने के बाद नीतीश कुमार ने गैर-बीजेपी पार्टियों को नसीहत दी है.

Amitesh

यूपी और उत्तराखंड मे बीजेपी को मिली जीत पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बधाई दी तो उनकी बधाई पर ही बवाल खड़ा हो गया. हालांकि, उनकी तरफ से बधाई तो पंजाब में कांग्रेस समेत सभी दलों के लिए थी लेकिन बीजेपी को दिए उनके बधाई संदेश के बाद बिहार के भीतर एक नई बहस तेज हो गई.

नीतीश कुमार ने ट्विटर पर डाले गए एक बयान में कहा,


'उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में बीजेपी की बड़ी विजय पर उन्हें बधाई. जहां तक उत्तर प्रदेश के चुनाव नतीजे का सवाल है पिछड़े वर्गों के बड़े तबके ने बीजेपी को समर्थन दिया. साथ ही गैर-बीजेपी पार्टियों द्वारा इन्हें जोड़ने का प्रयास नहीं किया गया.

उत्तर प्रदेश में बिहार की तर्ज पर महागठबंधन नहीं हो पाया. इसके अलावा नोटबंदी का इतना कड़ा विरोध करने की जरूरत नहीं थी, क्योंकि इससे गरीब लोगों के मन में संतोष का भाव उत्पन्न हुआ था और उन्हें लगता था कि अमीर लोगों को चोट पहुंची है. परंतु कई पार्टियों द्वारा इसे नजरअंदाज किया गया.

पंजाब में कांग्रेस पार्टी की बड़ी जीत पर उन्हें बधाई. कांग्रेस पार्टी का गोवा और मणिपुर में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरना सराहनीय है.'

नीतीश कुमार के नोट में जिन बातों का जिक्र हुआ उसमें संदेश भी साफ था. संदेश कांग्रेस समेत बीजेपी विरोधी पार्टियों के लिए था जिन्होंने नोटबंदी पर नकारात्मक राजनीति करने के साथ-साथ महागठबंधन पर भी फोकस नहीं किया.

बिहार के भीतर अपने धुर-विरोधी लालू यादव और कांग्रेस से हाथ मिलाकर नीतीश कुमार ने एक ऐसा गठबंधन बनाया जिसने बीजेपी की सारी रणनीति पर पानी फेर दिया था. पिछड़े वर्गों की महागठबंधन के पक्ष में गोलबंदी करने में नीतीश सफल रहे थे. लेकिन अब यूपी के भीतर ये गोलबंदी बीजेपी ने कर दिखाई.

नीतीश कुमार के बयान में नोटबंदी के मुद्दे पर एक बार फिर से प्रधानमंत्री के उस फैसले की सराहना की गई है. इसके पहले भी जब नोटबंदी के मुद्दे पर उन्होंने सरकार के फैसले के समर्थन में बयान दिया था तो महागठबंधन के भीतर इस मुद्दे पर टकराहट तेज हो गई थी.

बयान से उपजा बवाल

महागठबंधन के भीतर की खींचतान ने इस मुद्दे पर टकराहट को और ज्यादा बढा दिया था. बयानबाजी भी खूब हुई थी.

अब यूपी के नतीजे सामने आने के बाद इस बयान ने बिहार के भीतर बवाल बढा दिया. महागठबंधन के भीतर एक बार फिर से इस मुद्दे पर बहस छिड़ गई.

इसके बाद जेडीयू और आरजेडी नेताओं के बीच जुबानी जंग भी हुई. जेडीयू नेता श्याम रजक ने कहा कि यूपी में महागठबंधन नहीं होने के चलते हार हो गई.

दूसरी तरफ आरजेडी के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने एक बार फिर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर अपने तेवर तीखे कर लिए. रघुवंश ने कहा कि नीतीश कुमार ने पहले नोटबंदी पर केंद्र सरकार की तारीफ की और उसके बाद यूपी में बीजेपी को जीताने में मदद की. रघुवंश प्रसाद सिंह ने इसे नीतीश कुमार का धोखा तक कह डाला.

जेडीयू की तरफ से भी जवाब उसी लहजे में आया. जेडीयू प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा कि रघुवंश प्रसाद सिंह डिरेल हो गए हैं. उन्होंने आरजेडी से मांग की कि रघुवंश प्रसाद सिंह को आरजेडी से बर्खास्त कर देना चाहिए.

बयान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और मंत्री अशोक चौधरी की तरफ से भी आया जिसमें उन्होंने कहा कि रघुवंश प्रसाद के बयान से गठबंधन को नुकसान हो रहा है.

महागठबंधन सुनेगा नीतीश की नसीहत?

नीतीश कुमार सकारात्मक राजनीति करते रहे हैं. नोटबंदी पर उनका केंद्र सरकार के फैसले के साथ खड़ा होना इस बात को दिखाने के लिए काफी था कि केवल विरोध के लिए उनका विरोध नहीं होता है, बल्कि कुछ मुद्दों पर सरकार का साथ देना भी जरूरी होता है.

नीतीश एक मंजे हुए राजनेता हैं वो सियासत की इन सभी बारीकियों को बखूबी समझते हैं. लिहाजा नोटबंदी पर उनकी तरफ से आए इस नए बयान से साफ है कि  हर मुद्दे पर जरूरत से ज्यादा आक्रामकता अपना ही नुकसान कर जाती है.

उनका संदेश तो बिहार के गठबंधन के सहयोगियों के लिए है. लेकिन, उनकी ये नसीहत अपनी ही सहयोगी आरजेडी को नहीं भा रही है.

बिहार के भीतर पहले से ही आईएएस अधिकारी सुधीर कुमार की गिरफ्तारी के मसले को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक सख्त रवैया अपना रखा है. ये रवैया आईएएस अधिकारियों के साथ-साथ उनके सहयोगियों को भी रास नहीं आ रहा.

लेकिन, गठबंधन की सरकार चला रहे नीतीश अपनी छवि और अपनी सख्ती से कोई समझौता करने के मूड में नही दिख रहे.

लिहाजा यूपी में बीजेपी की जीत के बाद बिहार मे महागठबंधन की खींचतान थमने के बजाए और ज्यादा बढ़ती ही जा रही है.