समाजवादी पार्टी की आंतरिक कलह सार्वजनिक तो हुई ही, अब वह इस स्तर तक पहुंच गई है, जहां किसी समझौते की गुंजाइश कम ही बची है.
यादव कुनबे में चल रहे दंगल के खत्म होने के आसार नहीं दिख रहे हैं. शुक्रवार शाम को मुलायम सिंह यादव ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव को अनुशासनहीनता का नोटिस भेजा है.
यह नोटिस अखिलेश को पार्टी से अलग सूची जारी करने के लिए भेजा गया है. उनसे पूछा गया है कि आपने पार्टी से अलग प्रत्याशियों की सूची जारी की. यह अनुशासनहीनता के दायरे में आता है. आपके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई क्यों न की जाए?
मुलायम सिंह ने रामगोपाल यादव को भी नोटिस भेजा है. रामगोपाल यादव ने शुक्रवार दोपहर में फरुखाबाद में बयान दिया था कि 'मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जिन नामों की घोषणा की है, वही सूची असली है, वही नाम असली हैं और यही लोग चुनाव लड़ेंगे...अब जो भी अखिलेश के विरोधी हैं, वह हमारे भी विरोधी हैं. मुख्यमंत्री अखिलेश की सूची के प्रत्याशियों को मेरा समर्थन है.'
रामगोपाल ने यह भी कहा कि 'सपा में एक ही व्यक्ति अखिलेश यादव के खिलाफ लगातार षड्यंत्र कर रहा है. वह भी ऐसा व्यक्ति है, जिसके पास दस वोट भी नहीं हैं.' हालांकि उन्होंने पूछने पर भी किसी का नाम लेने से इनकार कर दिया.
रामगोपाल ने कहा, 'वह नेता पार्टी के बाहर का आदमी नहीं है. उनकी तो इतनी भी हैसियत नहीं कि किसी विधानसभा में दस वोट भी डलवा लें. इस एक व्यक्ति के कहने पर ही नेताजी ने अखिलेश को पद से हटाया. विवाद की यही जड़ है. पार्टी में अब समझौते की कोई संभावना नहीं है. नेता जी ने एक जनवरी को बैठक के लिए बुलाया था.'
रामगोपाल खुलकर अखिलेश के समर्थन में हैं. इसी के कारण उन्हें हाल में पार्टी से बाहर कर दिया गया था. हालांकि, बाद में हुए समझौते के तहत उनको पार्टी में वापस ले लिया गया.
रामगोपाल का बयान काफी हद तक तस्वीर साफ करता है. उन्होंने कहा, 'उत्तर प्रदेश की जनता अखिलेश यादव के साथ है. इस बार के विधानसभा चुनाव के बाद ही सपा का एक नया स्वरूप सबके सामने होगा. हम पहले भी अखिलेश के साथ थे और आज भी हैं. हम तो मुख्यमंत्री के प्रत्याशियों के लिए प्रचार करेंगे. जो व्यक्ति खुद चुनाव नहीं लड़ सकते, वही टिकट को लेकर लड़ाई करवा रहे हैं.'
पार्टी में स्पष्ट तौर पर दो फाड़ हो गई है. एक तरफ मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव हैं तो दूसरी तरफ मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव हैं. इस नोटिस के बाद अखिलेश खेमे की तरफ से और कड़ी प्रतिक्रिया आ सकती है.
मुलायम सिंह का यह कदम बेहद आत्मघाती साबित हो सकता है. पार्टी टूटने की हालत में पार्टी के समर्थक भी टुकड़ों में टूट जाएंगे. खबरें हैं कि जिन लोगों के टिकट कट गए हैं, वे अखिलेश के साथ हैं और उन्हें अपनी राह पकड़ने को उकसा रहे हैं, लेकिन इन्हीं लोगों में से कुछ लोग दूसरी पार्टियों में टिकट की संभावना भी तलाश रहे हैं.
अखिलेश अगर अपने खेमे के साथ अलग होते हैं तो वे किसी ऐसी सूरत में ही कामयाब हो सकते हैं जब कोई मजबूत गठबंधन बना पाएं और जनता में यह संदेश दे सकें कि वे ही अब असली समाजवादी पार्टी हैं.
फिलहाल तो ऐसी संभावना सबसे प्रबल है कि सपा की टूट की हालत में बड़ी संख्या में उसके समर्थक बसपा या भाजपा के साथ जाएंगे. सपा की टूट का सबसे बड़ा फायदा भाजपा को होगा. मुलायम सिंह के लिए सबसे समझदारी भरा कदम यह होता कि वे मुख्यमंत्री की हैसियत से अखिलेश की बात मानकर पूरे विवाद को समझौते की तरफ ले जाते.
ऐसा लगता है राजनीतिक अखाड़े के माहिर खिलाड़ी मुलायम का दांव अपने बेटे पर नहीं चला. अगर वे हारते हैं तो उनकी ही बनाई पार्टी उनके ही नेतृत्व में अपना जनाधार खो सकती है.