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गूगल के पार: नोएडा-गाजियाबाद में भ्रष्टाचार बनेगा चुनावी मुद्दा?

गाजियाबाद और नोएडा में यह बात मायने रखती है कि लोग क्या सोचते हैं.

Ajay Singh

दिल्ली से लगा हुआ यूपी का गाजियाबाद जिला कभी राज्य का औद्योगिक केंद्र हुआ करता था. नोएडा यानी न्यू ओखला इंडस्ट्रियल डेवेलपमेंट अथॉरिटी को बसाया ही इसीलिए गया था, ताकि दिल्ली से लगे यूपी के इलाकों में औद्योगिक विकास हो सके.

बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि यूपी की सियासत के दो बड़े दिग्गजों चौधरी चरण सिंह और चंद्रभानु गुप्त के बीच चल रही सियासी खींचतान का ही नतीजा था कि गाजियाबाद की खेती लायक अच्छी जमीन, उद्योग लगाने के लिए दी गई थी.


भ्रष्ट्राचार का अड्डा 

ज्यादा पुरानी बात नहीं है, जब नोएडा, गाजियाबाद जिले का ही हिस्सा हुआ करता था. साठ के दशक से ही नोएडा भ्रष्टाचार के लिहाज से बेहद उपजाऊ जमीन साबित हुआ है. इसकी वजह इसका दिल्ली के करीब होना और जमीन की अच्छी खासी तादाद होना था.

नोएडा फिलहाल बीजेपी की सीट है. इस बार यहां से पंकज सिंह को टिकट दिया गया है.

मौजूदा दौर में भी यहां के कई अफसरों पर भ्रष्टाचार के आरोप में कार्रवाई हुई है. दो सीनियर आईएएस अफसरों नीरा यादव और राजीव कुमार को भ्रष्टाचार के आरोप में जेल भी जाना पडा.

हाल के दिनों में यादव सिंह की अगुवाई में चल रहे भ्रष्टाचार के बड़े रैकेट का खुलासा हुआ है. यादव सिंह का ये रैकेट बिल्डरों और कारोबारियों को गलत तरीके से जमीनें और सुविधाएं बांटकर पैसे कमा रहा था.

सभी दलों पर है भ्रष्टाचार की आंच 

यही वजह है कि दिल्ली में सरकार चलाने वाले दलों ने नोएडा में हो रहे भ्रष्टाचार को मोहरा बनाकर कभी बीएसपी तो कभी समाजवादी पार्टी से सियासी डील की हैं.

यादव सिंह के खिलाफ जो इल्जाम लगे हैं उनकी आंच मुलायम सिंह के परिवार तक पहुंच चुकी है. जमीन के अवैध सौदों में मायावती के भाई आनंद कुमार का नाम भी आता रहा है.

आज के चुनावी माहौल में कोई भी नेता इन मुद्दों पर बात नहीं करना चाहता. सब के सब अपने दाग छुपाने में लगे हुए हैं. नोएडा-गाजियाबाद के बेतरतीब विकास और कानून-व्यवस्था के मुद्दे चुनाव प्रचार के शोर में डूब चुके हैं.

एक तरफ अखिलेश यादव का नारा है, 'काम बोलता है' तो, दूसरी तरफ बीजेपी का नारा है, 'अब और नहीं सहेंगे'. हालांकि नारों के मोर्चे पर बीएसपी की खामोशी चौंकाने वाली है.

गाजियाबाद की एक दिलचस्प कहानी 

गाजियाबाद से जुड़ी एक दिलचस्प कहानी है, जिसका वास्ता पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से है. कहते हैं कि पाकिस्तान से 1971 की जंग के बाद, अटल बिहारी वाजपेयी ने इंदिरा गांधी की तुलना देवी दुर्गा से की थी.

हालांकि बाद में अटल बिहारी वाजपेयी ने कई बार इस दावे को गलत बताया और कहा कि जो बात उनके हवाले से कही जा रही है वो गलत है. लेकिन, वाजपेयी के बार-बार के इनकार के बावजूद किसी ने उन पर यकीन नहीं किया.

एक बार लालकृष्ण आडवाणी ने पूरा किस्सा मुझे बताया था. उन्होंने कहा कि युद्ध के बाद भारतीय जनसंघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक गाजियाबाद में हो रही थी. वहीं जनसंघ के एक सीनियर नेता ने ये इंदिरा गांधी को देवी दुर्गा कहा था.

प्रेस से बातचीत के दौरान किसी ने इस बात को अटल बिहारी वाजपेयी के हवाले से बता दिया. तमाम सफाई देने के बावजूद वाजपेयी इस बयान से कभी अपना दामन नहीं छुड़ा सके. हारकर उन्होंने इस बयान पर चुप्पी साध ली.

इसमें कोई दो राय नहीं कि गाजियाबाद और नोएडा में यह बात मायने रखती है कि लोग क्या सोचते हैं. इस वजह से बीजेपी इस इलाके पर काफी जोर दे रही है.

इसी तरह समाजवादी पार्टी- कांग्रेस का गठबंधन और बीएसपी भी यहां कड़ी लड़ाई लड़ रहे हैं. दोनों ही जिलों में यूपी में पहले दौर के मतदान में वोटिंग होनी है.