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यूपी चुनाव 2017: गठबंधन पर सपा ने हाथ झटका, कांग्रेस को बताई हैसियत

सपा परिवार में रार से पहले कांग्रेस की 98 सीटों की मांग के बदले सपा ने 78 सीटे देने की बात कही थी

Sitesh Dwivedi

उत्तर प्रदेश में सपा कांग्रेस का गठबंधन संकट में है. सपा में आंतरिक टूट बचाने के लिए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कांग्रेस से बात किये बिना प्रत्याशियों की लंबी लिस्ट जारी कर दी है. साथ ही सपा ने साफ किया है कि कांग्रेस को मुहमांगा कुछ भी नहीं मिलेगा न सीटों की संख्या न ही पसंद की सीटें.

सपा के रुख से नाराज कांग्रेस भी अब बड़ा एलान कर सकती है. इसके साथ ही सपा में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव के बाद पार्टी महासचिव राम गोपाल की प्रतिष्ठा संकट के घेरे में है.


राज्य में कांग्रेस से गठबंधन के सूत्रधार रहे राम गोपाल को दिल्ली के बड़े कांग्रेस नेता फोन कर रहे हैं, लेकिन वे फोन उठा कर कुछ बताने की स्थिति में नहीं हैं. ऐसा इसलिए की कपिल सिब्बल की पैरवी से सपा सुप्रीमो बने अखिलेश ने कांग्रेस को सीटों के बटवारे में जो दे रहे हैं, कांग्रेस को यह 'खुरचन' स्वीकार

नहीं है.

राहुल गांधी के निवास से मिलकर निकले एक नेता ने कहा हमे सपा की 'खुरचन' स्वीकार नहीं है. जाहिर है कि सपा कांग्रेस और कुछ संभावित पार्टियों का संभावित 'महागठबंधन' बनने से पहले 'फुस्स' होता दिख रहा है.

दरअसल, सपा परिवार में रार से पहले कांग्रेस की 98 सीटों की मांग के बदले सपा ने 78 सीटे देने की बात कही थी, जिसपर एक सामान्य सहमति बन भी गई थी.

सपा ने कांग्रेस को नहीं दी मनचाही सीटें

सपा ने कांग्रेस से उस समय उनके पसंद वाली सीटों के नाम भी मांगे थे. लेकिन इस बीच सपा परिवार में हुई लड़ाई के बाद चीजें बदलती चली गई. कांग्रेस से सपा की तरफ से बात कर रहे राम गोपाल ने कांग्रेस से अखिलेश को लेकर मदद मांगी.

वही कांग्रेस के लिए कुछ बेहतर शर्तों पर नए ढंग से समझौते की बात भी कही. ऐसे में जब परिवार की लड़ाई में अखिलेश विजय हुए, तो कांग्रेस ने नई शर्तों के तहत 168 सीटों पर दावेदारी ठोक दी.

इस पर सपा ने कहा की हम अधिकतम 118 सीट छोड़ सकते हैं, वह भी तब जब इन्हीं सीटों में अजीत सिंह की आरएलडी भी शामिल हो. कांग्रेस ने इस आंकड़े को 125 तक खिसकाया तो सपा ने कहा की बाकि 7 सीटों पर हमारे प्रत्याशी होंगे.

'सिम्बल' आपका हो, हम तैयार हैं. लेकिन जब कांग्रेस से आरएलडी की बात नहीं बनी तो सपा ने स्पष्ट किया की अब आप को 78 सीटों पर ही सन्तुष्ट होना होगा.

लेकिन कांग्रेस राम गोपाल के जरिये सपा नेतृत्व पर दबाव डाले हुए थी. लेकिन, बगावत कर राजनीति में शीर्ष पर पहुंचे अखिलेश ने कांग्रेस को चौंकाते हुए अपनी लिस्ट जारी कर दी.

लिस्ट से हैरान कांग्रेस के बड़े नेताओं ने राम गोपाल से संपर्क साधा, लेकिन जानकारी के मुताबिक वे भी अखिलेश के इस कदम से 'शॉक्ड' हैं. तुर्रा यह कि लिस्ट में कांग्रेस की वे तमाम सीटें हैं जिनको लेकर कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों तक को 'ग्रीन सिग्नल' दे रखा था.

अब कांग्रेस के सामने विकल्प साफ हैं या तो वे अपमान का घूंट पी कर गठबंधन में जाएं या फिर अकेले चुनाव में जाकर उत्तर प्रदेश में अपनी हैसियत का आंकलन करें.

ऐसा लगता है कि नए सपा मुखिया बने अखिलेश यादव ने पिता मुलायम की दी प्रत्याशियों की लिस्ट के साथ कांग्रेस को लेकर उनकी सलाह को भी मान लिया है.

मुलायम ने कांग्रेस से गठबंधन पर अखिलेश को चेताया था

मुलायम ने अखिलेश को कांग्रेस से गठबंधन की स्थिति में अपने कोर वोटर के बिखरने का अंदेशा जताया था. अखिलेश के कांग्रेस को दिए औचक दांव से स्पष्ट है, मुख्यमंत्री ने पिता की बात का मान रखा है.

सपा की पहली ही लिस्ट में कांग्रेस के दावे की इतनी सीटें हैं कि, गठबंधन की उम्मीद खत्म मानी है. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मिलने आये उत्तर प्रदेश में लंबे समय तक नौकरशाह रहे व कांग्रेस के एक बड़े नेता ने कहा हम सपा की दी 'खुरचन' पर गठबंधन में नहीं रहेंगे. माना जा रहा है अब कांग्रेस गठबंधन से बाहर जाने की घोषणा कर सकती है.

सपा ने कांग्रेस के हिस्से में मानी जा रही गाजियाबाद की सभी सीटों पर पार्टी ने उम्‍मीदवार उतार दिए हैं, यानि गठबंधन होने पर कांग्रेस इस अहम क्षेत्र की किसी भी सीट पर चुनाव नहीं लड़ पाएगी.

साहिबाबाद सीट से मौजूदा बसपा विधायक अमरपाल शर्मा ने पार्टी छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया था अौर माना जा रहा था कि यह सीट कांग्रेस को मिलेगी, लेकिन सपा ने यहां भी अपना उम्‍मीदवार उतार दिया है.

इसी तरह गौतमबुद्ध नगर की नोएडा सीट सुनील चौधरी को दी गई है. बीजेपी की तरफ से गृह मंत्री राजनाथ सिंह के पुत्र पंकज सिंह के चुनाव लड़ने के कयास पर कांग्रेस यहां अपना प्रत्याशी चाह रही थी. इसी तरह कांग्रेस की जीती सीट सहारनपुर के देवबंद से माबिया अली को टिकट दिया गया है.

इसके साथ ही सपा ने यह कह कर कि वह अमेठी सीट के अलावा लखनऊ कैंट सीट भी अपने पास ही रखेगी, कांग्रेस को छकाया है.

सपा ने वाराणसी सीट वापस देने को कहा था

गौतलब है कि अमेठी कांग्रेस का गढ़ माना जाता है, जबकि कैंट सीट पर कांग्रेस की रीता बहुगुणा जोशी को पिछली बार जीत मिली थी. ये अलग बात है जोशी अब बीजेपी में शामिल हो चुकी हैं. सपा ने कांग्रेस को पूर्वी उत्तर प्रदेश और कांग्रेस के द्वारा मांगी गयी वाराणसी सीट देने से भी इनकार कर दिया है.

जाहिर है कांग्रेस के लिए गठबंधन में बहुत कुछ बचा नहीं है. इस बीच अखिलेश ने अपनी पार्टी को एकजुट रखने के लिए सबको साथ लेकर चलने का प्रयास भी किया है.

नेता पुत्रों के साथ ही शिवपाल का टिकट सुरक्षित रखा है. जबकि, अमरसिंह के करीबी मदन सिंह चौहान को भी साइकिल सिम्बल मिल गया है. कांग्रेस से गठबंधन को लेकर संशय की स्थिति में सपा ने दूसरे चरण की सीटों के प्रत्याशियों को चुनाव चिन्ह हासिल करने के जरूरी फार्म ए व बी वितरित करना शुरू कर दिया है.