यूपी विधानसभा चुनाव में जीत और हार बीजेपी की नीति और रणनीति दोनों के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण हो गया है. यूपी विधानसभा चुनाव के नतीजे अब तय करेंगे कि बीजेपी की लोकसभा चुनाव 2019 की राजनीति को लेकर दिशा और दशा क्या होगी .
इस बात को बीजेपी के सबसे बड़े रणनीतिकार माने जाने वाले पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक सब समझते हैं. तभी तो अमित शाह ने यूपी की पूरी कमान अपने हाथों में ले रखी थी और खास रणनीति के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी चुनाव प्रचार के लिए यूपी के भीतर अपना डेरा डाल दिया था.
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र बनारस के भीतर लगातार तीन दिनों तक चुनावी कैंपेन कर यूपी चुनाव को मोदी बनाम बाकी दलों के साथ कर दिया. ऐसा कर मोदी ने बहुत बड़ा जुआ खेला है.
मोदी-शाह के नेतृत्व की असली परीक्षा है यूपी चुनाव
केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी के लिए यूपी की जीत का मतलब काफी बड़ा होगा. यूपी में बीजेपी ने इस बार चुनाव नरेंद्र मोदी के चेहरे को आगे कर ही लड़ा है. इस जीत को बीजेपी मोदी सरकार के बेहतर काम काज पर जनादेश के तौर पर प्रचारित करेगी.
यूपी में मिली जीत से साबित हो जाएगा कि मोदी के भीतर अभी भी वो करिश्मा बरकरार है जिसके दम पर पूरे चुनाव को अपने दम पर जीता सकें.
बीजेपी ने इसके पहले हुए महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और असम चुनाव की जीत को मोदी के बेहतर कामकाज का नतीजा बताते हुए जीत का सेहरा मोदी के सिर बांधा था.
इस साल के आखिर में ही गुजरात विधानसभा चुनाव होना है. बीजेपी को यूपी में मिली जीत के बाद गुजरात की राह आसान हो सकती है.
यूपी चुनाव को पहले से ही 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले एक टर्निंग प्वाइंट के तौर पर देखा जा रहा है. यूपी में जीतने की सूरत में बीजेपी की रणनीति को एक नई धार मिलेगी जिसके बाद पार्टी नए जोशो-खरोश के साथ एक बार फिर से अगले लोकसभा चुनाव के लिए रणनीति बनाने में लग जाएगी.
लेकिन, यूपी की हार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता पर सवाल खड़ा कर सकता है. विरोधी इसे मोदी सरकार के कामकाज पर जनता के रेफ्रेंडम के तौर पर प्रचारित करेंगे. सवाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के फैसले पर भी खड़ा होगा.
यूपी की हार मोदी और अमित शाह दोनों की रणनीति पर भी सवालिया निशान लगा सकती है.