उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि नोटबंदी और मेरे अन्य कदमों की वजह से कई निहित स्वार्थ तत्व नाराज हुए हैं और वे मेरे खिलाफ कुछ भी कर सकते हैं.
कुछ माह पूर्व मोदी ने यह भी कहा था कि मेरी हत्या भी करवाई जा सकती है. फतेहपुर की चुनावी जनसभा में मोदी ने लोगों से सवाल किया कि ऐसी स्थिति में मुझे कौन बचाएगा?
जिस प्रधानमंत्री पर देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी है, वही यदि अपनी सुरक्षा को लेकर ही चिंतित दिखाई दें तो यह बेहद दुखद स्थिति है. फतेहपुर की चुनावी सभा में मोदी के वाक्य का अर्थ यह था कि आप मुझे वोट देकर बचाए.
उनके वाक्य को यदि डि-कोड किया जाए तो एक अर्थ यह भी है कि यदि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी को पराजय का सामना करना पड़ा तो प्रधानमंत्री मोदी का राजनीतिक भविष्य संकट में पड़ सकता है.
मोदी के विक्टिम कार्ड की आखिर वजह क्या है
चुनावी सभाअों में नरेंद्र मोदी आम तौर पर विपक्ष के खिलाफ आक्रामक अंदाज में ही पेश आते रहे हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में वे अब बचाव की मुद्रा में भी दिखाई दे रहे हैं.
आम जनता से राजनीतिक समर्थन मांगने की बजाय वे जनता से कह रहे हैं कि आप ही मुझे निहित स्वार्थी तत्वों के हमलों से बचा सकते हैं. इस तरह मोदी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में विक्टिम-कार्ड खेल रहे हैं.
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को प्रधानमंत्री मोदी ने जीवन-मरण का सवाल बना लिया है. उनके भाषणों को सुनकर लगता है कि वे किसी भी कीमत पर यह चुनाव जीतने का प्रयास कर रहे हैं.
इस कोशिश में इस बात को भी नजरअंदाज कर जाते हैं कि वे देश के प्रधानमंत्री हैं. राजनीति में जो नेता चुनावी पराजय से खौफ खाने लगता है, वह अपना आत्मविश्वास भी खो देता है. यदि मोदी को पराजय का सामना करना पड़ा तो प्रधानमंत्री के तौर पर उनकी कार्य-क्षमता पर निश्चित ही नकारात्मक असर पड़ेगा.
विकास नहीं सांप्रदायिक ध्रुवीकरण पर भरोसा
फतेहपुर की चुनावी सभा में मोदी ने बिजली की उपलब्धता को भी सांप्रदायिक नजरिए से देखने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि यदि रमजान के दिनों में बिजली उपलब्ध रहती है तो दिवाली पर भी उपलब्ध होना चाहिए.
गांवों में कब्रिस्तान बनाए जाते हैं तो शमशान गृह भी बनने चाहिए. होली पर बिजली उपलब्ध होती है तो ईद पर भी होनी चाहिए.
मोदी के उक्त वाक्यों का अर्थ यही निकाला जाएगा कि वे कथित मुस्लिम ध्रुवीकरण के खिलाफ हिंदू ध्रुवीकरण कराने की कोशिश कर रहे हैं. यह बात किसी से छिपी नहीं है कि एसपी-कांग्रेस गठबंधन और बीएसपी की तरफ से खुलेआम मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण कराने का प्रयास हो रहा है.
इस लिहाज से देखा जाए तो उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में तीनों प्रमुख दावेदार ध्रुवीकरण की राजनीति के माध्यम से सत्ता प्राप्त करना चाहते हैं.
2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की जनता ने नरेंद्र मोदी को विकास के मुद्दे पर 73 सीटों पर विजय दिलाकर 30 साल बाद पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी.
तब यह मान लिया गया था कि बीजेपी का भी वैचारिक कायाकल्प होगा और वह हिंदुत्व के सीमित कटघरे से निकलकर समाज के सभी समुदायों का प्रतिनिधित्व करनेवाली पार्टी बनेगी.
फतेहपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण से स्पष्ट हो गया है कि बीजेपी ध्रुवीकरण के ब्रह्मास्त्र को फिलहाल छोड़ने के लिए तैयार नहीं है.
सभी दल चुनाव में विकास की बात जरूर करते हैं, लेकिन पर्दे के पीछे वे जाति और धर्म के आधार पर अपनी गोटी लाल करने की कोशिश करते हैं.
बीजेपी नेताअों का कहना है कि यदि हमारे खिलाफ मुस्लिम ध्रुवीकरण कराने की कोशिश होगी तो प्रतिकार में हिंदू ध्रुवीकरण को रोकना संभव नहीं है.