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यूपी चुनाव 2017: चुनावी जंग के चार साथी घोड़ा, गधा, गाय और हाथी

यूपी का चुनाव किसी ब्लॉकब्लस्टर फिल्म से कम नहीं है

Rakesh Kayasth

यूपी का चुनाव किसी ब्लॉकब्लस्टर फिल्म से कम नहीं है. आप इसे 'बाहुबली पार्ट वन' मान सकते हैं. पार्ट टू 11 मार्च को रिलीज होगी. वैसे आप चाहें तो इसे 'जंगल बुक' भी मान सकते हैं. आइए देखते हैं, एक्शन, सस्पेंस और इमोशन से भरी ये फिल्म सीन दर सीन.

सीन वन


मोदीजी ने चुनावी अश्वमेध का घोड़ा छोड़ा. विकास के अस्तबल से निकला सफेद घोड़ा. वो पवित्र घोड़ा जिसका चारा तक 2000 रुपए के नए नोटों से खरीदा गया था.

चारा खाकर विकासमान और शक्तिमान अश्व हिनहिनाया, मोदीजी ने झंडा दिखाया और घोड़ा चला टगबग-टगबग. 13 अशोक रोड से निकलते ही उसने एकदम रफ्तार पकड़ ली.

सारे ट्रैफिक सिग्नल तोड़ता हुआ घोड़ा नोएडा के रास्ते  सीधे यूपी में दाखिल हो गया. पीछे-पीछे चली रणबांकुरों की सेना. वीर, शूरवीर, महावीर, शानदार, दमदार और तड़ीपार. कुछ हेलिकॉप्टर पर सवार, बाकी बस और मोटरसाइकिलों पर.

आगे घोड़ा दौड़ रहा है था और पीछे-पीछे चल रही थी, हज़ारो-लाखों स्वयंसेवकों की सेना. घोड़े की जो रफ्तार थी, उसे देखकर भाजपाई मान रहे थे कि पहले तीन राउंड के चक्कर पूरे करते ही घोड़ा सीधे मुख्यमंत्री निवास तक पहुंच जाएगा, बाकी लड़ाई की ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी.

प्रतीकात्मक तस्वीर

सीन टू

बाप को कमरे में बंद करके और चाचा को धकियाकर साइकिल कब्जाए अखिलेश भईया भी पूरे टशन से मैदान में उतरे. अखिलेश ने अपना गुइयां राहुल को बनाया. दो कुलदीपक एक अपनी मां का लाडला तो दूसरा अपने बाप का भी बाप.

दोनों एक ही साइकिल पर सवार. कुछ लोगों ने कहा जय-वीरू हैं. बाकी ने कहा नहीं ये मुन्ना और सर्किट हैं. भयंकर संघर्ष छिड़ने वाला था. अश्वमेध वाला का जयघोष सुनकर राहुल तनिक घबराए लेकिन अखिलेश मुस्कुरा कर बोले- यूपी की गलियां बहुत तंग है. मोदीजी की सेना अंदर घुस ही नहीं पाएगी.

हमारा क्या है, साइकिल सिर पर लादकर भी चल देंगे. तुम बस हाथ हिला-हिलाकर माहौल बनाए रखो, बाकी काम मुझपर छोड़ दो.

तस्वीर: पीटीआई

सीन थ्री

रणनीति रंग दिखाने लगी. अखिलेश के दिल की बल्लियों उछल गई जब उन्हें मालूम हुआ बुलंदशहर, खुर्जा और मेरठ जैसी कई जगहों पर जाटों ने लाख समझाने के बावजूद मोदीजी के घोड़े को चारा-पानी नहीं दिया. भूख से बेहाल घोड़े का दम बीच मैदान में ही फूलने लगा.

सही मौका भांपकर साइकिल सवारों ने अश्वमेध के घोड़े को घेर लिया और भीषण संग्राम शुरू हो गया. खबर आनी शुरु हुई कि यूपी की तंग गलियों में नारायणी सेना इस तरह घिरी है कि उसका बचना मुश्किल है.

सीन फोर

जैसा कि हर बड़ी फिल्म में होता है, हीरो की एंट्री ऐन मौके पर होती है. मोदीजी वीर कटप्पा की तरह मैदान में उतरे. उन्होंने रणघोष किया- श्मशान.

बदले में नारायणी सेना ने आवाज दी- कब्रिस्तान

मोदीजी ने फिर हुंकार लगाई- श्मशान

सेना ने कहा- कब्रिस्तान

इस नए रणघोष से बिखरी हुई सेना में अभूतपूर्व उत्साह का संचार हुआ और साइकिल वाले छिपने की जगह ढूंढने लगे.

सीन फाइव

वाच टावर पर खड़े अखिलेश भइया ने देखा, लाखो हॉर्स पावर से लैस मोदी जी का चुनावी अश्व इस तरह हिनहिना रहा है कि रास्ते में आने वाले हर आदमी को रौंद देगा.

अखिलेश ने रणनीति बदली. उन्होंने फौरन एक गधा मंगवाया, उसकी पूंछ में लड़ी बम बांधकर आग लगवाई और शत्रु सेना के बीच छोड़ दिया. बौराया गधा अंधाधुंध दुलत्ती झाड़ने लगा. नारायणी सेना तितर-बितर हो गई और पटाखे की आवाज से बौखलाया घोड़ा भी बिदक कर ना जाने कहां भाग गया.

फोटो: पीटीआई

सिपहसालारो में मायूसी छा गई. लेकिन मोदीजी जरा भी विचलित नहीं हुए. शांत भाव से गधे के पास गए और बोले- समाजवादियों को तुम्हारी प्रतिभा को ठीक से पहचाना नहीं. तुम्हारे आगे शीश-नवाता हूं, तुम्हारी मेहनत से प्रेरणा पाता हूं. श्रम की प्रतिमूर्ति हे गर्धव अब मैं तुम्हे अश्वमेध का घोड़ा बनाता हूं.

मोदीजी के शुभ वचन सुनकर युद्धभूमि पर खड़ा गधा उसी तरह शांत हो गया, जिस तरह महाभारत में कृष्ण से गीता का ज्ञान सुनकर अर्जुन शांत हुए थे.

गधा अब पाला बदल चुका था. जोश से भरी नारायणी सेना में किसी ने कहा- देखो यही है, हमारे नमो का चमत्कार. जिस गधे के सिर पर हाथ रख दें वो घोड़ा बन जाये. पास खड़े आधा दर्जन केंद्रीय मंत्रियों ने सिर हिलाकर पुरजोर तरीके से इस बात का समर्थन किया.

सीन सिक्स

मोदीजी का आशीर्वाद पाकर अश्वमेध का गधा सरपट दौड़ पड़ा. रास्ते में जो भी समाजवादी या कांग्रेसी आया वो गधे की दुलत्ती का शिकार हुआ. गधा पवित्र काशी नगरी में दाखिल हुआ तो पीछे-पीछे मोदीजी भी काशी पहुंच गये.

धर्मयुद्ध का ये आखिरी पड़ाव था. नारायणी सेना एकदम टाइट थी. लेकिन अमित शाह कोई जोखिम नहीं उठाना चाहते थे. शहर का माहौल पता लगाने के लिए उन्होने गुप्तचर भेजे. गुप्तचरों ने बनारसियों की बातचीत सुनी.

'अब ई गधउ के भरोसे चुनाव जितइहे मोदीजी’

दूसरे ने कहा- करिहे का अब तारनहारा

गदहदंड जब पड़ल कपारा

रिपोर्ट निगेटिव थी. तय हुआ कि रणनीति फिर से बदली जाये. गर्दभराज काशी में किसी अज्ञात जगह खूंटी से बांध दिए गए और मोदीजी चले गौशाला की ओर. सच्चे मन से पुकारो तो मां हमेशा मदद के लिए आगे आती है.

बिहार के युद्ध में भी आखिरी चरण में ही आई थी गौमाता. मोदीजी ने गौमाता को प्रणाम किया, उन्हे ताजा और हरी घास खिलाई, बदले में गौमाता ने रंभाकर आशीर्वाद दिया.

ये देखकर जनता की आंखों से अश्रुधारा बह निकली. सबने ये मान लिया कि इन आंसुओं के सैलाब में साइकिल बहुत दूर बह गई होगी. भाजपाइयों ने फटाफट मिठाइयों के ऑर्डर दे दिए.

क्लाइमेक्स

कहानी में आया जबरदस्त मोड़. बहनजी ने एलान कर दिया कि उनका हाथी चुनावी रेस का कछुआ बन चुका है. साइकिल, घोड़ा, गधा और गाय सब बहुत पीछे छूट चुके हैं. बहनजी का हाथी फिनिशिंग लाइन पर खड़ा चिंघाड़ रहा है.

लोगों के लिए यकीन करना मुश्किल है. बेचारी बहनजी खुद पांच से साल बेरोजगार हैं. हाथी भी सूखकर कांटा हो चुका है फिर इतनी लंबी दौड़ कैसे लगा सकता है?

लेकिन बहनजी दावा कर रही है कि मौलवी साहब की दुआओं से ऐसा हुआ है, पंडितजी ने भी अपना आशीर्वाद दिया है. ये दावा सुनकर लालजी टंडन फिर से गुनगुनाने लगे- 'फूलों का तारो का सबका कहना है, एक हजारों में मेरी बहना है.'

पास खड़े किसी नेता उन्हें कोहनी मारी- जब बीजेपी अपने दम पर सरकार बना रही है, तब बहनजी को याद करने की जरूरत है.

पिक्चर अभी बाकी है

दावे और अटकलें अपनी जगह हैं. सभी नेताओं की किस्मत फिलहाल ईवीएम में बंद हैं. बनारस के पिचाश नचावन अखाड़े के उल्टे बाबा जिन्होंने सभी पार्टियों को समान रूप से अपना आशीर्वाद दिया था, चिलम चढ़ाने के बाद भविष्यवाणी की है- अखिलेश, मायावती और मोदी तीनों को बराबर-बराबर यानी 403 सीटें मिल रही हैं. जितने लड्डू बांटने हैं 11तारीख के 11 बजे से पहले तक बांट लें. उसके बाद की कोई गारंटी मेरे पास नहीं है.