मोदी सरकार में मंत्री नितिन गडकरी अपने हालिया बयान को लेकर फिर चर्चा में हैं. गडकरी ने रविवार को मुंबई में एक कार्यक्रम में चुनावी वादों का जिक्र करते हुए कहा कि 'सपने दिखाने वाले नेता लोगों को अच्छे लगते हैं, लेकिन दिखाए हुए सपने अगर पूरे नहीं किए तो जनता उनकी पिटाई भी करती है, इसलिए सपने वही दिखाओ जो पूरे हो सकते हैं, मैं सपने दिखाने वालों में से नहीं हूं, जो भी बोलता हूं वह डंके की चोट पर बोलता हूं.'
नागपुर से ताल्लुक रखने वाले नितिन गडकरी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के करीबी हैं. उनके ताजा बयान से चुनावी मौसम में कई मायने निकाले जा रहे हैं. इसे इशारों-इशारों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार से भी जोड़कर देखा जा रहा है.
केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री अपने कामकाज के अलावा अपने बयानों से भी खासी सुर्खियां बटोरते हैं. यह पहली बार नहीं है जब नितिन गडकरी ने अपनी ही सरकार के खिलाफ बयान दिया है. पिछले कुछ समय से अलग-अलग मंचों पर अपने दिए बयानों से वो मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ाने का काम करते रहे हैं.
गडकरी के तीखे बयान अक्सर सरकार के साथ-साथ बीजेपी आलाकमान के लिए परेशानी बढ़ाने वाले होते हैं. आपको बताते हैं, नितिन गडकरी ने पिछले कुछ समय के दौरान सियासी संकट में डालने वाले क्या-क्या बयान दिए हैं.
07 जनवरी, 2019
नागपुर में स्वयंसेवी महिला संगठन (एसएचजी) के कार्यक्रम में गडकरी ने कहा कि वो जात-पात और आरक्षण व्यवस्था में यकीन नहीं रखते. इस देश में इंदिरा गांधी जैसी नेता थीं. वो अपने वक्त के तमाम दिग्गज पुरुष नेताओं से बेहतर थीं. उन्होंने पूछा कि क्या इंदिरा गांधी ने कभी आरक्षण का सहारा लिया?
उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी को अपनी ताकत साबित करने और कांग्रेस में पुरुष नेताओं से बेहतर प्रदर्शन करने के लिए महिलाओं को आरक्षण देने की जरूरत नहीं थी.
24 दिसंबर, 2018
नवंबर-दिसंबर, 2018 में देश के पांच राज्यों में हुए चुनाव में बीजेपी की हार पर गडकरी ने कहा, 'अगर मैं पार्टी का अध्यक्ष हूं और मेरे सांसद-विधायक अच्छा काम नहीं कर रहे हैं तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? जाहिर है मैं.'
दिल्ली में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के इस सालाना लेक्चर कार्यक्रम में उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि चुनाव में हार की जिम्मेदारी पार्टी प्रमुख की होती है.
22 दिसंबर, 2018
गडकरी ने महाराष्ट्र के पुणे में हिंदी पट्टी के तीन राज्यों (मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़) में बीजेपी को मिली चुनावी हार पर ‘नेतृत्व’ को ‘हार और विफलताओं’ की भी जिम्मेदारी लेने की बात कही थी.
उन्होंने कहा था कि ‘सफलता के कई दावेदार होते हैं लेकिन विफलता में कोई साथ नहीं होता. सफलता का श्रेय लेने के लिए लोगों में होड़ रहती है लेकिन नाकामी को कोई स्वीकार नहीं करना चाहता, सब दूसरे की तरफ उंगली दिखाने लगते हैं.’
बाद में जब उनके बयान पर बखेड़ा खड़ा हुआ तो गडकरी ने इसके अगले ही दिन सफाई पेश करते हुए कहा कि उनकी कही बात को गलत तरीके से तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया.
21 दिसंबर, 2018
एक टीवी कार्यक्रम के दौरान गडकरी ने गडकरी ने बीजेपी नेताओं को मीडिया में कम बोलने की नसीहत दी थी. उन्होंने कहा था 'हमारे पास इतने नेता हैं और हमें उनके सामने (टीवी पत्रकारों) बोलना पसंद है, इसलिए हमें उन्हें कुछ काम देना है. उन्होंने एक फिल्म के सीन का जिक्र करते हुए कहा कि कुछ लोगों के मुंह में कपड़ा डाल कर उनका मुंह बंद करने की जरूरत है.
हालांकि बाद में उन्होंने अपनी सलाह देने वाले बयान पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा था कि पार्टी में प्रवक्ता होते हैं जो आधिकारिक तौर पर बोलते हैं. लेकिन कुछ लोग हैं, वे जब भी मीडिया में बोलते हैं तो विवाद पैदा हो जाता है. इससे पार्टी की छवि खराब होती है. किसी को ऐसी बातें नहीं बोलनी चाहिए जिससे विवाद पैदा हो.
14 दिसंबर, 2018
टाइम्स समूह के आर्थिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए गडकरी ने भगोड़े कारोबारी विजय माल्या के पक्ष में बयान दिया था. उन्होंने कहा कि एक बार कर्ज नहीं चुका पाने वाले 'विजय माल्याजी' को चोर कहना अनुचित है. उन्होंने कहा कि संकट से जूझ रहे उद्योगपति का चार दशक तक ठीक समय पर कर्ज चुकाने का रिकॉर्ड रहा है.
उन्होंने कहा कि 'माल्या 40 साल नियमित भुगतान करता रहा था, ब्याज भर रहा था. 40 साल बाद जब वो एविएशन में गया. उसके बाद वो अड़चन में आया तो वो एकदम से चोर हो गया? जो 50 साल ब्याज भरता है वो ठीक है, पर एक बार में वो डिफॉल्टर हो गया, तो तुरंत सब फ्रॉड हो गया? यह मानसिकता ठीक नहीं.'
27 अक्टूबर, 2018
हैदराबाद में चुनाव प्रचार करते हुए गडकरी ने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला था. उन्होंने अपने भाषण में यहां परिवारवाद और वंशवाद की राजनीति को लेकर कांग्रेस पर करारा तंज कसा.
गडकरी ने कहा था कि पहले पीएम के पेट से पीएम और सीएम के पेट से सीएम निकलते थे, लेकिन बीजेपी विचार और वसूलों पर चलने वाली पार्टी है. बीजेपी एक परिवार की पार्टी नहीं है. यह कोई ऐसी पार्टी नहीं है जो जाति, धर्म और भाषा के आदर पर राजनीति करती है.
04 अगस्त, 2018
महाराष्ट्र के औरंगाबाद में गडकरी ने रोजगार और आरक्षण को लेकर बड़ा बयान दिया था. केंद्रीय मंत्री ने मराठा आंदोलन पर कहा था कि आरक्षण रोजगार देने की गारंटी नहीं है, क्योंकि नौकरियां कम हो रही हैं.
उन्होंने कहा कि आरक्षण तो एक 'सोच' है जो चाहती है कि नीति निर्माता हर समुदाय के गरीबों पर विचार करें. उन्होंने कहा, 'मान लीजिए कि आरक्षण दे दिया जाता है. लेकिन नौकरियां नहीं हैं. क्योंकि बैंक में आईटी (इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी) के कारण नौकरियां कम हुई हैं. सरकारी भर्ती रूकी हुई है. नौकरियां कहां हैं?'
बाद में गडकरी के इस बयान का हवाला देकर विपक्षी पार्टियों ने मोदी सरकार को घेरा था.