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'6 माह में सबरीमाला पर निर्णय हो गया, फिर SC ने 10 साल तक अयोध्या विवाद क्यों लटका रखा है'

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'अर्बन नक्सल का केस दो महीने में हो जाता है, 70 साल से चलता आ रहा रामलला का विवाद सुप्रीम कोर्ट में अपील 10 साल से पेंडिंग है. इसपर सुनवाई क्यों नहीं होती है'

FP Staff

केंद्र सरकार ने अयोध्या विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट के रवैये पर सवाल उठाया है. कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सुप्रीम कोर्ट से अयोध्या के राम जन्मभूमि मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट की तर्ज पर करने की अपील की है.

उन्होंने कहा, 'अर्बन नक्सल का केस दो महीने में हो जाता है, हमारे रामलला का विवाद 70 साल से पेंडिंग है, और सुप्रीम कोर्ट में अपील 10 साल से पेंडिंग है. इसपर सुनवाई क्यों नहीं होती है.'


लखनऊ में अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद के 15वें राष्ट्रीय अधिवेशन के उद्घाटन अवसर पर प्रसाद ने कहा, मैं अपील करना चाहूंगा, कानून मंत्री के रूप में नहीं बल्कि एक नागरिक के रूप में. इसमें इतने गवाह-सबूत है कि अच्छी बात हो सकती है, लेकिन जब लोग मेरे पास आते हैं और पूछते हैं, व्याभिचार का केस 6 महीने में हो जाता है, सबरीमाला 5-6 महीने में हो जाता है तो अयोध्या मामले पर क्यों नहीं.'

इस अधिवेशन कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के जज एम.आर शाह, इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जज ए.आर मसूदी भी मौजूद थे.

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सुप्रीम कोर्ट से रामजन्मभूमि विवाद की सुनवाई फास्ट ट्रैक की तर्ज पर करने की अपील की है

इससे पहले यह खबर आई थी कि सुप्रीम कोर्ट 4 जनवरी को रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि मालिकाना हक मामले से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई कर सकता है.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या राम मंदिर विवाद मामले में सुनवाई जनवरी 2019 तक के लिए टाल दी है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने नवंबर में कहा था कि जनवरी में उपयुक्त पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी. इस पर वीएचपी-आरएसएस समेत अन्य हिंदूवादी संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट के रवैये को गैर-जिम्मेदाराना करार देकर उसकी कड़ी आलोचना की थी.