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कौन हैं लेफ्ट के किले को 25 साल तक बचाए रखने वाले माणिक सरकार?

चार बार से त्रिपुरा की सत्ता पर काबिज रहे माणिक सरकार अब भारत के सबसे गरीब मुख्यमंत्री नहीं कहलाएंगे

FP Staff

त्रिपुरा विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आ गए हैं. राज्य में 25 साल का लेफ्ट का किला ध्वस्त हो गया है. नतीजों से साफ हो गया है कि राज्य का चार बार मुख्यमंत्री रहे माणिक अब सरकार नहीं बना पाएंगे और न ही देश के सबसे गरीब मुख्यमंत्री का तमगा उन पर लगेगा.

बीजेपी ने लेफ्ट के किले को बुरी तरह से ध्वस्त कर दिया है और पूर्वोत्तर के राज्यों में अपनी मौजूदगी को बढ़ा दिया है. अब जब माणिक सरकार पूर्व मुख्यमंत्री हो गए हैं तो जान लेते हैं कि उनका अबतक का सफर कैसा रहा.


सबसे गरीब मुख्यमंत्री का तमगा

सबसे पहले जान लेते हैं उस बात को जिसके लिए वो सबसे ज्यादा जाने जाते रहे. इस बार जब माणिक सरकार ने अपना हलफनामा भरा था तब उनके पास केवल 3930 रुपए थे. उन्होंने आज तक कभी आयकर रिटर्न नहीं भरा है. वाम नेता अपना पूरा वेतन सीपीएम को दान देते हैं और उन्हें पार्टी से जीविका भत्ते के रूप में पांच हजार रुपए मिलते हैं.

हलफनामे में कहा गया कि 69 साल के नेता के पास 1520 रुपए हैं. जबकि 2410 रुपए उनके बैंक खाते में हैं. उनकी कोई अन्य राशि बैंक में जमा नहीं है. उनके पास कोई कृषियोग्य या घर बनाने योग्य जमीन नहीं है.

उनकी पत्नी पांचाली भट्टाचार्य सेवानिवृत्त केंद्र सरकार कर्मचारी हैं. उनके पास 20140 रुपए नकद हैं जबकि दो बैंक खातों में 124101 और 86473 रुपए जमा हैं. पत्नी के पास दो लाख, पांच लाख और 2.25 लाख रुपए के तीन सावधि जमा के अलावा 20 ग्राम के आभूषण हैं. पांचाली को 888.35 वर्ग फुट क्षेत्र भूमि विरासत में मिली है और अब तक वह वहां निर्माण के लिए 15 लाख रुपए का निवेश कर चुके हैं. जमीन की वर्तमान कीमत 21 लाख रुपए है. उन्हेांने अंतिम बार 2011-12 में आयकर रिटर्न दाखिल किया था, जहां उन्होंने अपनी आय 449770 रुपए बताई थी.

छात्र राजनीति से शुरू हुई थी राजनीतिक जीवन की शुरुआत

माणिक सरकार के राजनीतिक जीवन की शुरुआत छात्र राजनीति से हुई थी. अगरतल्ता के महाराजा बीर बिक्रम कॉलेज में पढ़ाई के दौरान स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया के उम्मीदवार के तौर पर खड़ा हुए और जीत हासिल की और राजनीतिक जीवन की शुरुआत हो गई.

1967 में उन्होंने सीपीएम की स्थाई सदस्यता ले ली और पार्टी में लगातार आगे बढ़ते गए. 1972 में 23 साल के माणिक सरकार को सीपीएम की त्रिुपुरा स्टेट कमिटी में शामिल कर लिया गया.

1980 में अगरतल्ला विधानसभा के लिए उपचुनाव हुआ. पार्टी ने माणिक सरकार को टिकट दी और उन्हें वहां से जीत मिल गई. 1993 में वो पार्टी के राज्य सचिव बना दिए गए.

देखते ही देखते 1998 में माणिक सरकार राज्य के मुख्यमंत्री बन गए. तब से लगातार वो चार बार मुख्यमंत्री रहे.