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तीन तलाक बिल इस सत्र में ना पास होगा और ना ही सेलेक्ट कमेटी में जाएगा ?

सरकार और विपक्ष का अड़ियल रुख देखते हुए शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन भी किसी बीच के रास्ते की गुंजाइश नजर नहीं आ रही है.

Amitesh

लोकसभा में पिछले हफ्ते ही मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक दिए जाने की कुप्रथा को रोकने के लिए बिल लाया गया और उसी दिन चर्चा के बाद पास भी हो गया. लेकिन, राज्यसभा की कहानी कुछ और ही लग रही है. ऊपरी सदन में सरकार के पास बहुमत नहीं है, लिहाजा उसे बिल पास कराने के लिए विपक्षी दलों के साथ की जरूरत है.

लेकिन, यहां सरकार को कांग्रेस समेत कई दलों का साथ नहीं मिल रहा है. यहां तक कि बीजेडी के साथ-साथ केंद्र की सत्ता में बीजेपी की साझीदार टीडीपी भी राज्यसभा में सरकार के रुख से सहमत नहीं लग रही.


कांग्रेस, बीजेडी और टीडीपी समेत 17 दलों की एक ही आवाज है, तीन तलाक को रोकने के लिए बनाए जा रहे बिल को पहले सेलेक्ट कमेटी में भेजा जाए. इन दलों की तरफ से यही तर्क दिया जा रहा है कि यह मुद्दा संवेदनशील है, लिहाजा इसमें विपक्ष की बात को भी समझा जाए और इसमें विपक्ष के सुझावों को मानकर आगे बढ़ा जाए.

विपक्ष चाहता है तीन तलाक देने के मामले में शौहर को दिए जाने वाले तीन साल की सजा के प्रावधान को खत्म किया जाए. इनका तर्क है कि अगर शौहर जेल गया तो फिर महिला को गुजारा भत्ता कौन देगा?

प्रतीकात्मक तस्वीर

दरअसल, कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों को मुस्लिम वोट बैंक की चिंता सता रही है. इन दलों को लग रहा है कि अगर इसी शीतकालीन सत्र में बिल दोनों सदनों से पास करा लिया गया तो इसका सीधा क्रेडिट सरकार को मिलेगा. बीजेपी मुस्लिम महिलाओं को इंसाफ दिए जाने के नाम पर उनको अपने साथ जोड़ने की पूरी कोशिश करेगी.

कांग्रेस लगातार सेलेक्ट कमेटी में बिल भेजने की मांग कर अपनी तरफ से कोशिश कर रही है कि बिल मौजूदा स्वरूप में इस सत्र में पारित न हो सके. राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा की तरफ से इस बाबत बकायदा एक मोशन मूव किया गया है जिसमें इस बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने की बात कही गई है.

लेकिन, बुधवार को बिल पेश करने के वक्त भी इस मुद्दे पर खूब हंगामा हो गया. सरकार और विपक्ष में नोंक-झोंक ने राज्यसभा की कार्यवाही को स्थगित करने पर मजबूर कर दिया.

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कुछ ऐसा ही नजारा गुरुवार को भी रहा, जैसे ही तीन तलाक के बिल पर चर्चा की बात सामने आई वैसे ही सरकार और विपक्ष फिर से उलझ गए. विपक्ष बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजे जाने की मांग पर अड़ा रहा, जबकि सरकार बिल को सेलेक्ट कमेटी में नहीं भेजने पर अड़ी रही.

उपसभापति पी.जे कुरियन ने दोनों ही पक्षों में सेलेक्ट कमेटी में बिल भेजे जाने के मुद्दे पर सहमति नहीं बन पाने की स्थिति में सदन में इस मुद्दे पर चर्चा कराने के बजाए दूसरे मुद्दे पर चर्चा कराने की अनुमति दे दी. बस इस पर फिर से विपक्ष ने हंगामा कर दिया और सदन की कार्यवाही शुक्रवार सुबह तक के लिए स्थगित करनी पड़ी.

अब शुक्रवार यानी पांच जनवरी को मौजूदा सत्र का आखिरी दिन है. ऐसे में सदन की कार्यवाही बस एक दिन ही चल सकती है. शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन भी दोनों पक्षों के बीच इस बिल पर सहमति के आसार कम ही नजर आ रहे हैं. क्योंकि विपक्ष सेलेक्ट कमेटी में बिल भेजने की मांग पर अड़ा हुआ है.

दूसरी तरफ सरकार की रणनीति है कि वो विपक्ष को खुलकर इस बिल पर विरोध करने दे. बीजेपी को लग रहा है कि अगर बिल सेलेक्ट कमेटी में चला जाता है तो उस सूरत में क्रेडिट विपक्ष को मिल जाएगा. लेकिन, अगर बिल आखिरी दिन पारित नहीं होने के बावजूद राज्यसभा में महज पेश होकर ही रह जाएगा और इसे सेलेक्ट कमेटी में भेजने पर सहमति न बनी तो इसे सरकार अपने पक्ष में भुनाने की कोशिश कर सकती है.

सरकार को लगता है कि इस हालत में विपक्ष का विरोध खुलकर सामने आ जाएगा और सरकार सत्र खत्म होने से पहले इस बात को प्रचारित करने की कोशिश करेगी कि मुस्लिम महिलाओं को इंसाफ नहीं मिलने के लिए कांग्रेस समेत विपक्षी दल जिम्मेदार हैं. सरकार और विपक्ष का अड़ियल रुख देखते हुए शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन भी किसी बीच के रास्ते की गुंजाइश नजर नहीं आ रही है.