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तीन तलाक बिल पर डबल गेम खेल रही है कांग्रेस

बुधवार को राज्यसभा में तीन तलाक बिल पेश करते ही कांग्रेस नेताओं ने हंगामा शुरू कर दिया

Amitesh

तीन तलाक बिल पर राज्यसभा के भीतर मचे सियासी बवाल ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. सवाल इसलिए बड़ा है क्योंकि लोकसभा के भीतर बिल के साथ खड़ी रहने वाली कांग्रेस ने राज्यसभा के भीतर बिल पर विरोध जताना शुरू कर दिया है.

कांग्रेस की तरफ से मौजूदा स्वरूप में संशोधन को लेकर सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश हो रही थी, अब कांग्रेस की तरफ से बिल को सीधे सेलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग करने के बाद मौजूदा सत्र में बिल पास होने को लेकर संशय पैदा हो गया है.


राज्यसभा में कांग्रेस ने किया हंगामा

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद की तरफ से राज्यसभा में बिल पेश करने के बाद लगातार बवाल शुरू हो गया. कांग्रेस की तरफ से नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी  आजाद से लेकर आनंद शर्मा तक ने लगातार सरकार पर हमला करना शुरू कर दिया. आनंद शर्मा ने कहा कि राज्यसभा में तीन तलाक से जुड़ा बिल सेलेक्ट कमेटी को भेजा जाए.

इस दौरान आनंद शर्मा की तरफ से सेलेक्ट कमेटी में तीन तलाक बिल के भेजे जाने को लेकर एक मोशन मूव किया गया. इस दौरान आनंद शर्मा की तरफ से सेलेक्ट कमेटी के सदस्यों का नाम भी पढ़ा गया जिसमें केवल विपक्षी दलों के ही राज्यसभा सांसद थे. लेकिन, इसमें सत्ता पक्ष के किसी भी सदस्य का नाम नहीं था.

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आनंद शर्मा का जवाब देने के लिए सरकार की तरफ से सदन के नेता अरुण जेटली ने मोर्चा संभाला. जेटली ने इस पर घोर आपत्ति जताते हुए कहा कि 1954 से लेकर अबतक इस तरह कभी नहीं हुआ है कि इस अंदाज में बिना सहमति और सरकार से बिना चर्चा के सेलेक्ट कमेटी के सदस्यों का नाम भी बता दिया गया है. अरुण जेटली का कहना था कि नियम के मुताबिक बिल को सेलेक्ट कमेटी को भेजे जाने के मामले में 24 घंटे पहले नोटिस देना चाहिए था. लेकिन, इस तरह किसी नियम का पालन नहीं किया गया है. अचनाक इस तरह नोटिस देना सही नहीं है. इसके बाद लगातार दोनों ही पक्षों में हो रहे हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई.

राज्यसभा में गुलाम नबी आजाद (फोटो: PTI)

कांग्रेस के सॉफ्ट हिंदुत्व की हवा निकल सकती है

कांग्रेस पर सवाल भी इसलिए खड़े किए जा रहे हैं क्योंकि कांग्रेस ने लोकसभा में तीन तलाक बिल पर संशोधन के वक्त वहां संशेधन का साथ नहीं दिया था. लेकिन, राज्यसभा के गणित ने उसे ऐसी ताकत दे दी है जिससे उसका रूख ही बदल गया है.

दरअसल, कांग्रेस की रणनीति यही है कि इस बिल पर सजा के प्रावधान वाले मामले में संशोधन कर दिया जाए. कांग्रेस को लगता है कि ऐसा करने से उसे मुस्लिम तबके की नाराजगी का सामना नहीं करना पड़ेगा. दूसरी तरफ, कांग्रेस इस मुद्दे पर खुलकर विरोध भी नहीं कर रही. क्योंकि उसे मालूम है कि उसकी एक गलती राहुल गांधी के सॉफ्ट हिंदुत्व की हवा निकाल देगी.

अगर तीन तलाक का बिल मौजूदा सत्र में ही पारित हो जाता है तो इसका पूरा श्रेय बीजेपी को जाने का खतरा भी कांग्रेस को सता रहा है. कांग्रेस को लग रहा है कि अगर बिल को फिलहाल सेलेक्ट कमेटी में भेजकर उसमें अगर संशोधन हो जाए तो फिर अगले सत्र यानी बजट सत्र में पास कराने पर उसका श्रेय वो ले सकेगी. इसी रणनीति ने कांग्रेस के रुख में बदलाव ला दिया है.

दूसरी तरफ बीजेपी की कोशिश है कि इस मसले पर कांग्रेस का विरोध खुलकर दिखे. बीजेपी को लगता है कि इस बिल पर उसके पास खोने के लिए कुछ नहीं है. लेकिन, कांग्रेस को एक्सपोज कर वो बिल पर मुस्लिम महिलाओं को भी साथ कर सकती है और कांग्रेस के सॉफ्ट हिंदुत्व की हवा भी निकाल सकती है.

दोनों ही दलों के बीच मौजूदा कवायद और हंगामा सियासी नफा-नुकसान का ही नतीजा है. अभी भी शीतकालीन सत्र में दो दिन का वक्त बचा है, लेकिन, सियासी उठापटक के चलते इस बिल के राज्यसभा से पास होने की संभावना कम लग रही है. अब सियासी बढ़त किसे मिलती है नजरें इसी पर टिकी हैं.