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गठबंधन के लिए पिता का अपमान भुलाकर कांग्रेस पर ‘मुलायम’ अखिलेश

नेहरू-गांधी परिवार के इशारे पर कांग्रेस के नेता मुलायम सिंह को हमेशा से घेरने की कोशिश करते रहे हैं

Ajay Singh

इस बार के यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस-समाजवादी पार्टी गठबंधन, अखिलेश-राहुल की जोड़ी को 'यूपी के लड़के' कहकर प्रचारित कर रहा है. मगर इससे काफी पहले कांग्रेस ने अपने लड़कों को मुलायम के पीछे लगा दिया था.

मुलायम के पीछे पड़ने वाले ये कांग्रेसी 'लड़के' नेहरू-गांधी परिवार के वफादार थे. याद कीजिए, सलमान खुर्शीद मुलायम को कितना बुरा-भला कहा करते थे. उन्हें अपराधी बताते थे. सलमान खुर्शीद ने कई बार मुलायम के खिलाफ जहर बुझे बयान दिए.


मगर, सलमान खुर्शीद एक वकील हैं. इसलिए उनकी एक खूबी ये भी है कि वो एक ही मुकदमे की दोनों तरफ से पैरवी कर सकते हैं. यूपीए सरकार के दूसरे कार्यकाल में सलमान ने मुलायम के बारे में अपने बोल नरम कर लिए थे. क्योंकि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार को अपने कई फैसलों में समाजवादी पार्टी का समर्थन मिला था. लेकिन कांग्रेस के और नेताओं के पास ये ढब नहीं था, जो सलमान खुर्शीद के पास था.

सलमान खुर्शीद मुलायम सिंह के कटु आलोचकोे में से रहे हैं (फोटो: रॉयटर्स)

जैसे कि सोनिया के वफादार रायबरेली के वकील विश्वनाथ चतुर्वेदी, जो मुलायम के खिलाफ लगातार बयानबाजी करते रहे हैं. विश्वनाथ चतुर्वेदी कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ताओं में से हैं जिन्हें सोनिया गांधी के इशारे पर मुलायम के खिलाफ सियासी अभियान छेड़ने के काम में लगाया गया था.

बेहिसाब संपत्ति जुटाने का आरोप

विश्वनाथ चतुर्वेदी ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर के मुलायम और उनके परिवार पर आय से अधिक बेहिसाब संपत्ति जमा करने का आरोप लगाया. इसके बाद सीबीआई की जांच शुरू कर दी गई.

सीबीआई ने शुरुआती जांच में मुलायम को आय से अधिक संपत्ति का दोषी पाया. चतुर्वेदी की याचिका 1999 की उस घटना के बाद ही दायर हुई थी जब मुलायम ने सोनिया को दिया समर्थन आखिरी वक्त में वापस ले लिया था.

2004 में जब यूपीए-1 की सरकार बनी तो कांग्रेस नेतृत्व ने मुलायम के खिलाफ विश्वनाथ चतुर्वेदी का खुलकर समर्थन किया. उस वक्त यूपी में मुलायम की सरकार थी और विश्वनाथ को यूपी छोड़ना पड़ा था.

चतुर्वेदी को दिल्ली में कई कांग्रेसी नेताओं के यहां पनाह मिली और वो मुलायम के खिलाफ कानूनी लडाई लड़ते रहे. मगर 2008 में जब सीपीएम ने मनमोहन सरकार से समर्थन वापस ले लिया तो मुलायम सिंह ने समर्थन देकर सरकार बचाई. इसके बाद कांग्रेस और मुलायम के रिश्ते कुछ बेहतर हुए.

विश्वनाथ चतुर्वेदी को भी मुलायम के खिलाफ मुकदमों में नरमी बरतने के निर्देश मिले. जब चतुर्वेदी ने इससे इनकार किया तो कांग्रेस ने उनसे किनारा कर लिया. अब वो मुलायम के खिलाफ लड़ाई में एकदम अकेले हैं.

मुलायम सिंह ने  2008 में अपने समर्थन से मनमोहन सिंह की सरकार बचाई थी (फोटो: गेटी ईमेज)

कांग्रेस और मुलायम के रिश्ते दिलचस्प

यूपी में कांग्रेस और मुलायम के रिश्तों में विश्वनाथ चतुर्वेदी का चैप्टर बेहद दिलचस्प है. ये इस बात की मिसाल है कि कैसे कांग्रेस नेतृ्त्व ने अपने एक कार्यकर्ता को आगे करके अपने राजनीतिक विरोधी के खिलाफ लड़ाई लड़ी और जरूरत के वक्त उस राजनीतिक विरोधी से समझौता कर लिया.

इस चैप्टर को पढ़कर पता चलता है कि किस तरह राजनेता अपने सियासी फायदे के लिए लोगों का और संस्थाओं का दुरुपयोग करते हैं. अब चूंकि विश्वनाथ चतुर्वेदी के पास वो खूबियां नहीं हैं जो कांग्रेस के उन नेताओं के पास है जिन्होंने मुलायम के खिलाफ बयानबाजी की थी. इसीलिए वो नेता तो मुलायम की तारीफ में कसीदे पढ़ रहे हैं.

वहीं, विश्वनाथ चतुर्वेदी किनारे लगा दिए गए हैं. शायद राजनीतिक साम्राज्य स्थापित करने में ऐसे छोटे-मोटे बलिदान देने ही पड़ते हैं.

कांग्रेस से गठजोड़ के बाद 'यूपी के लड़के' का नारा देने की हड़बड़ी में अखिलेश यादव अपने परिवार की राजनीतिक लड़ाई का इतिहास भूल गए. वो उस दौर को भी बिसरा बैठे जब आय से अधिक संपत्ति के केस को लेकर मुलायम राजनीतिक लड़ाई लड़ रहे थे.

यूपी चुनाव को लेकर अखिलेश के अपने पिता मुलायम सिंह से मतभेद उभरकर सामने आए (फोटो: पीटीआई)

यादव परिवार के छुपे राज सामने आए

इन मुकदमों के दौरान ही मुलायम ने साधना गुप्ता के अपनी दूसरी पत्नी और प्रतीक यादव के दूसरा बेटा होने की बात मानी थी. कानूनी लड़ाई के दौरान यादव परिवार के बहुत से छुपे हुए राज सामने आए.

ये वाकई मुलायम की राजनीतिक अस्तित्व और परिवार के सम्मान की लड़ाई का सबसे मुश्किल दौर था. मुलायम ने पूरे संघर्ष के दौरान अखिलेश और परिवार के दूसरे सदस्यों पर इस बुरे वक्त का साया भी नहीं पड़ने दिया.

लेकिन ये मानना एक भूल होगी कि मुलायम उस लड़ाई और अपने अपमान को भूल गए हैं. लेकिन अखिलेश यादव के लिए तो विश्वनाथ चतुर्वेदी से भी उस अपमान का बदला लेने की अहमियत नहीं है, जो कांग्रेस ने उनके परिवार का किया था.

अखिलेश को याद रखना चाहिए कि आय से अधिक संपत्ति का केस यादव परिवार के खिलाफ ऐसा टाइम बम है, जिसे कांग्रेस ने ही लगाया था.