संसद के सेंट्रल हॉल में राष्ट्रीय जनप्रतिनिधि सम्मेलन का उद्धाटन करते हुए शनिवार को पीएम मोदी ने कहा कि एक जमाना होता था जब देश में हर वक्त राजनीति ही होती थी. अब वक्त बदल गया है. अब यह महत्वपूर्ण है कि आप सत्ता में रहे या विपक्ष में जनता के लिए काम करते रहे.
उन्होंने कहा कि अब मोर्चा निकालने से जनता का समर्थन नहीं मिलता. आम लोग अब सोचते हैं कि हमारे जीवन में बदलाव कौन ला रहा है.
पीएम मोदी ने देश के 115 पिछड़े जिलों के विकास पर बोलते हुए कहा कि हर राज्य में कुछ ऐसे जिले हैं जो विकास के पैमाने पर खरे उतरते हैं. हमलोगों को पिछड़े जिलों पर काम करने के जरुरत हैं. उन्होंने कहा कि अगर इन 115 जिलों का विकास हो जाएगा तो देश का विकास अपने आप संभव है.
भारत सरकार और राज्य सरकार द्वारा काम के लक्ष्य तय करने पर उन्होंने कहा कि जब हम ऐसा करते हैं तो आसानी से नतीजे देने वालों पर जोर देते हैं. इससे क्या होता है कि जो अच्छा करने वाले होते हैं वो तेजी से आगे बढ़ जाते हैं और जो पिछड़ जाते हैं वो और भी पीछे हो जाते हैं.
पिछड़े जिलों में हो युवा अफसरों की तैनाती
पीएम मोदी ने पिछड़े जिलों में युवा अफसरों की तैनाती पर बल दिया. उन्होंने कहा कि डीएम की औसत आयु 28 से 30 साल होती है. कई बार पिछड़े जिलों में अधिक आयु के अफसरों के भेज दिया जाता है. हमें ये ध्यान रखना होगा कि 115 जिलों में हम उन्हीं अधिकारियों को लगाएं जिनमें बदलने का और कुछ करने का जज्बा है.
उन्होंने कहा कि कई बार पिछड़े जिलों में जब अफसरों की तैनाती होती हैं तो वह कहते हैं कि कहां भेज दिया? यह सोच ही समस्या की मुख्य जड़ है.
पीएम मोदी ने कहा कि कई बार एक ही जैसे संसाधन से भरपूर जिलों की स्थिति अलग-अलग होती है. इसकी वजह संसाधनों की कमि नहीं बल्कि प्रयासों में कमी है.
बैकवर्ड और फॉरवर्ड की सोच पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि हम सोचते हैं कि यह जिला पिछड़ा है, तो हम पिछड़े जिले से हैं. यह सोच गलत है. हमें बैकवर्ड नहीं बल्कि फॉरवर्ड की होड़ करनी चाहिए.