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महाराष्ट्र के मतदाताअों ने नोटबंदी पर फैसला सुनाया

कांग्रेस के लिए संदेश स्पष्ट है कि नोटबंदी का मुद्दा उल्टा भी पड़ सकता है.

सुरेश बाफना

दिल्ली में मोदी सरकार और विपक्षी दलों के बीच नोटबंदी पर चल रहे घमासान के बीच महाराष्ट्र के मतदाताअों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पक्ष में फैसला सुना दिया है. हालांकि कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने स्थानीय संस्थाअों के चुनाव में नोटबंदी को प्रमुख मुद्दे के रूप में पेश करके भाजपा को पछाड़ने की कोशिश की थी. कुछ दिन पहले लोकसभा और विधानसभा के उपचुनावों में भी भाजपा को विजय मिली थी.

164 नगर पालिका और नगर पंचायतों की कुल 3,727 सीटों, जिनमें 3,705 सीटों पर रविवार को मतदान हुआ था, के नतीजों में भाजपा को 893 और शिवसेना 529 सीटों पर विजय मिली. जबकि कांग्रेस पार्टी को 727 सीटों व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को 615 सीटों पर विजय मिली. 147 नगरपालिका परिषदों के अध्यक्ष पदों में से भाजपा-शिवसेना गठबंधन को 76 (भाजपा 51 व शिवसेना 25) और कांग्रेस को केवल 23 व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को 18 सीटों पर विजय मिली.


नोटबंदी ने बना दिया राष्ट्रीय मुद्दा

महाराष्ट्र में यह चुनाव स्थानीय संस्थाअों का था, लेकिन कांग्रेस व राष्ट्रवादी कांग्रेस ने नोटबंदी को प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाकर इसे राष्ट्रीय दिलचस्पी का चुनाव बना दिया.

महत्वपूर्ण बात यह है कि पिछली बार हुए चुनाव में 60 प्रतिशत से अधिक सीटों पर कांग्रेस व राष्ट्रवादी कांग्रेस के उम्मीदवार विजयी हुए थे.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने ट्वीट करके महाराष्ट्र की जनता को धन्यवाद व मु्ख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस को बधाई दी. मोदी ने कहा कि जनता ने भाजपा की गरीब-समर्थक नीतियों पर अपनी मुहर लगाई है.

अमित शाह ने कहा, 'नतीजे विपक्ष के लिए वेक-अप काल होना चाहिए, जिन्होंने नोटबंदी पर जनता को गुमराह करने की कोशिश की है.'

यदि कांग्रेस व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी स्थानीय संस्थाअों के इन चुनावों में नोटबंदी को मुद्‍दा नहीं बनाती, तो इन नतीजों को राष्ट्रीय संदर्भ में नहीं देखा जाता. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने चुनाव क्षेत्रों में 50 से ‍अधिक सभाएं करके अपनी निजी प्रतिष्ठा भी दांव पर लगाई थी.

फडणवीस की बढ़ी है प्रतिष्ठा

इन चुनाव नतीजों से यह भी स्पष्ट हुआ है कि महाराष्ट्र में फडणवीस ने अपनी स्वतंत्र छवि निर्मित कर ली है. वे भाजपा को वोट दिलानेवाले नेता के तौर पर प्रतिष्ठित हो गए हैं. दूसरी तरफ कांग्रेस व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के राज्य स्तर के नेता अपनी विश्वसनीयता खो चुके हैं। कांग्रेस पार्टी देश के साथ-साथ प्रदेश स्तर पर भी नेतृत्व के संकट का सामना रही है.

पिछले दिनों मराठाअों ने कई शहरों में बड़ी रैलियां करके अपनी ताकत का अहसास कराया था, लेकिन चुनाव नतीजों से जाहिर है कि मराठाअों के वोट तीन तरफा विभाजित हुए हैं. शिवसेना के एक वरिष्ठ नेता की टिप्पणी है कि छत्रपति शिवाजी के काल में भी मराठा समुदाय विभाजित था. कांग्रेस पार्टी के पक्ष में दलित व मुस्लिम मतदाताअों का समर्थन एक मजबूत जनाधार के तौर पर उभरा है.

भाजपा दलित वोटों को अपनी तरफ आकर्षित करने में विफल रही है. उसने सवर्ण व पिछड़ी जातियों को बड़े पैमाने पर अपने साथ जोड़ने में सफलता पाई है.

भाजपा ने शिवसेना को एक बार फिर यह अहसास कराया है कि अब महाराष्ट्र की राजनीति में वह बड़े भाई की भूमिका में है.

महाराष्ट्र में स्थानीय संस्थाअों के चुनाव में भाजपा-शिवेसना गठबंधन को मिली अप्रत्याशित सफलता ने दिल्ली में नोटबंदी विवाद में घिरे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की स्थिति मजबूत कर दी है. इस सफलता को नोटबंदी पर जनता के फैसले के रूप में पेश कर भाजपा विपक्षी दलों को धराशायी करने की कोशिश करेगी. जाहिर कांग्रेस पार्टी इन नतीजों को राष्ट्रीय संदर्भ में देखना पसंद नहीं करेगी. पर कांग्रेस के लिए संदेश स्पष्ट है कि नोटबंदी का मुद्दा उल्टा भी पड़ सकता है.

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