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Telangana Assembly Election: गुलाबी बैलट पेपर पर लाल-पीली क्यों है कांग्रेस?

ईवीएम पर गुलाबी रंग के इस्तेमाल के ईसी के कदम का कांग्रेस यह कहकर विरोध कर रही है कि इस रंग का संबंध टीआरएस से है

FP Staff

तेलंगाना में विपक्षी पार्टी कांग्रेस गुलाबी रंग को लेकर लाल-पीली हो रही है. कांग्रेस निर्वाचन आयोग से खफा है क्योंकि निर्वाचन आयोग ने चुनावों में गुलाबी रंग के बैलट पेपर छापे हैं. और कांग्रेस इसलिए नाराज है क्योंकि सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) अपने झंडे और प्रमोशनल मैटेरेयिल में गुलाबी रंग का इस्तेमाल करती है.

ईवीएम पर गुलाबी रंग के इस्तेमाल के ईसी के कदम का कांग्रेस यह कहकर विरोध कर रही है कि इस रंग का संबंध टीआरएस से है. के. चंद्रशेखर राव की तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) पार्टी अपनी सारी प्रचार सामग्री के लिए आधिकारिक रूप से इसी रंग का इस्तेमाल करती है. राव सहित टीआरएस के नेता पार्टी कार्यक्रमों के दौरान अपने गले में गुलाबी पटका भी पहनते हैं.


इस पर कांग्रेस काफी बवाल मचा रही है. ईसी ने अपनी सफाई में कहा है कि यह सिर्फ प्रावधानों के अनुसार ही किया गया है.

तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी (टीपीसीसी) के मुख्य प्रवक्ता दासोजू श्रवण ने ईसी पर तंज कसते हुए कहा कि ‘ऐसा लगता है ईसी को कोई गुलाबी रोग लग गया है.’ उन्होंने आरोप लगाया कि ईसी का प्रतिनिधित्व कर रहे उप मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने ‘गुलाबी’ रंग में 90 लाख मतपत्रों को छपवाने का आदेश दिया है.

उन्होंने कहा, ‘हमने गुलाबी बैलट पेपर शुरू करने पर खुलकर अपना विरोध जताया है क्योंकि इससे टीआरएस को चुनावी लाभ मिल सकता है.’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस के खुलेआम विरोध के बावजूद निर्वाचन ने इस उल्लंघन पर कोई फैसला नहीं लिया है.

इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्य निर्वाचन अधिकारी रजत कुमार ने लोक प्रतिनिधि अधिनियम के प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा कि चुनाव आयोग ने ईवीएम पर चिपके गुलाबी रंग के बैलट पेपर से चुनाव कराने का फैसला किया है लेकिन वोटरों की पर्ची सफेद रंग की होगी.

उन्होंने कहा, ‘बैलट पेपर का रंग बदलने के लिए लोक प्रतिनिधि अधिनियम में संशोधन करना होगा.’

टीआरएस के सांसद विनोद कुमार ने कहा कि गुलाबी रंग शांति और प्रेम को दर्शाता है और 2001 में जब केसीआर ने अलग तेलंगाना आंदोलन शुरू किया तब उन्होंने इसी कारण से इस रंग के इस्तेमाल का फैसला किया. कुमार ने दावा किया कि 1952 में जवाहर लाल नेहरू ने बैलट पेपर के रंगों पर फैसला लिया था. उन्होंने कहा कि तब ये तय हुआ था कि संसदीय चुनावों में सफेद और विधानसभा चुनावों में गुलाबी बैलट पेपर इस्तेमाल होगा.

(एजेंसी से इनपुट के साथ)