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लालू की विरासत को आगे बढ़ाने की तैयारी में लालू के लाल?

मोतिहारी के गांधी मैदान में बापू की प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद तेजस्वी ने अपनी यात्रा की शुरुआत कर दी है

Amitesh

आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव चारा घोटाले के मामले में सुनवाई के लिए लगातार रांची में अदालत का चक्कर लगा रहे हैं. लेकिन, उनके दोनों पुत्र इस वक्त बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं.

महागठबंधन से अलग होने के बाद से ही आरजेडी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर आक्रामक है. लालू परिवार इसे अपनी अस्तित्व की लड़ाई के तौर पर देख रहा है. लालू का पूरा कुनबा नीतीश के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है. लेकिन, इसकी अगुवाई लालू यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव के हाथों में है.


नीतीश कुमार पर जनादेश का अपमान करने का आरोप लगाकर तेजस्वी ने जनादेश अपमान यात्रा का शंघनाद कर दिया है. तेजस्वी ने इसके लिए बापू की कर्मभूमि चंपारण की धरती को चुना है. मोतिहारी के गांधी मैदान में बापू की प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद तेजस्वी ने अपनी यात्रा की शुरुआत कर दी है.

अपनी यात्रा के पहले चरण में तेजस्वी यादव 9 अगस्त को पूर्वी और पश्चिमी चंपारण का दौरा करेंगे. जबकि रात्रि विश्राम शिवहर जिले में करेंगे. अगले दिन यानी 10 अगस्त को तेजस्वी यादव शिवहर, सीतामढ़ी और मुजफ्फर पुर जिले में कई जगहों पर जनसभा को संबोधित करेंगे. तेजस्वी अपनी यात्रा के पहले चरण में दो दिनों में उत्तर बिहार के इन महत्वपूर्ण जिलों का दौरा कर रहे हैं.

इनकी कोशिश 27 अगस्त को आरजेडी की पटना में होने वाली रैली के लिए अपने समर्थकों में उत्साह भरने की भी है.

नीतीश कुमार की सरकार में बतौर डिप्टी सीएम काम कर चुके तेजस्वी यादव अब नेता विपक्ष के तौर पर नीतीश सरकार पर हमलावर हैं. अपने भाषणों में या फिर मीडिया से मुखातिब होने पर तेजस्वी के निशाने पर नीतीश कुमार ही हैं.

तेजस्‍वी ने कहा है कि जनता में बेहद आक्रोश है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक बार फिर से ललकारते हुए तेजस्वी ने कहा कि हिम्मत है और अपने निर्णय पर अगर आपको गुमान है तो इस महीने बिहार घूम कर देख लीजिए, अंतरात्मा का दर्शन भी हो जाएगा.

ये भी पढ़ें: बिहार: तेजस्वी की जनादेश अपमान यात्रा का नीतीश जवाब दे पाएंगे?

तेजस्वी पर भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद नीतीश कुमार ने साथ छोड़ा

तेजस्वी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद से ही नीतीश कुमार ने आरजेडी का साथ छोड़ दिया था. लेकिन, तेजस्वी इस मुद्दे पर जनता के बीच जाकर अपनी सफाई भी देने की कोशिश कर रहे हैं और बतौर नेता अपने-आप को स्थापित करने की कोशिश भी कर रहे हैं.

अपने समर्थकों की तरफ से मिल रहे जनसमर्थन से उत्साहित तेजस्वी यादव को लगता है कि लालू यादव की विरासत को आगे सही ढंग से बढ़ा पाएंगे. हालांकि इस यात्रा के दौरान उनके साथ बड़े भाई तेजप्रताप यादव भी साथ हैं. लेकिन, कमान तेजस्वी के ही हाथों में है.

अपनी ताकत का एहसास कराने के लिए 27 अगस्त की रैली की जोरदार तैयारी हो रही है. लालू की कोशिश है कि इस रैली से पहले तेजस्वी यादव प्रदेश के अलग-अलग भागों का दौरा भी कर ले. फिर रैली में तेजस्वी को ही बड़े नेता के तौर पर प्रोजेक्ट किया जाएगा.

लालू तेजस्वी को राजनैतिक विरासत संभालने की ट्रेनिंग दे रहे हैं

लालू फिलहाल कोर्ट-कचहरी के चक्कर में फंसे हैं. लेकिन, तेजस्वी के साथ जनादेश अपमान यात्रा में खुद ना जाकर अपने पूरे अमले को लगाने के पीछे भी लालू की अपनी रणनीति है. लालू तेजस्वी को अपने राजनैतिक विरासत संभालने की ट्रेनिंग दे रहे हैं.

हालांकि, लालू यादव ने महागठबंधन की सरकार बनने के वक्त ही साफ कर दिया था कि उनके छोटे बेटे तेजस्वी यादव ही उनके उत्तराधिकारी होंगे. लालू के बड़े बेटे को मंत्री तो बनाया गया लेकिन, आरजेडी विधायक दल के नेता के तौर पर छोटे बेटे तेजस्वी को ही चुना गया. तेजस्वी यादव नीतीश कुमार की सरकार में बतौर डिप्टी सीएम काम भी करते रहे.

लेकिन, अब विपक्ष में आने के बाद तेजस्वी को जनता से सीधे रु-ब-रु हो रहे हैं. कोशिश है लालू यादव की राजनीतिक विरासत को संभालने की. अगले तीन साल तक बतौर विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव हर हाल में अपने –आप को लालू के उत्तराधिकारी और नीतीश के विकल्प के तौर पर दिखाने की कोशिश में होंगे. लेकिन, उन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप उनके लिए सबसे बड़ा मुसीबत बन सकता है.