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जब ‘जंग का मैदान’ बन गई तमिलनाडु विधानसभा

करीब एक घंटे तक सदन में जंग के मैदान जैसे हालात नजर आए.

Bhasha

तमिलनाडु विधानसभा के स्पीकर पी धनपाल और नेता प्रतिपक्ष एम के स्टालिन की फटी हुई कमीजें, गिरी-पड़ी कुर्सियां, कागज के फटे हुए टुकड़े और उखाड़ दी गई माइकें आज इस बात की गवाह थीं कि सदन में एक तरह से जंग जैसे हालात बन गए थे.

अन्नाद्रमुक सरकार ने 122-11 के अंतर से विश्वात मत भले ही जीत लिया, लेकिन पूरी कवायद विधायकों की अभद्र हरकतों और हंगामों से अछूती नहीं रही.


विश्वास मत प्रस्ताव के नतीजों के ऐलान के वक्त स्पीकर ने हंगामे की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘मैं दुखी और शर्मिंदा हूं’. इससे पहले, करीब एक घंटे तक सदन में जंग के मैदान जैसे हालात नजर आए.

यह तब हुआ जब स्पीकर ने द्रमुक विधायकों को सदन से बाहर निकालने के आदेश दिए. मार्शल द्रमुक विधायकों को निकालने के लिए पूरा जोर लगा रहे थे, लेकिन विपक्षी सदस्यों ने पूरी ताकत से इसका विरोध किया.

द्रमुक विधायकों को बाहर निकालने के आदेश से आक्रोशित पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष स्टालिन ने मार्शलों से कहा कि यदि उन्हें बाहर निकाला गया तो विपक्षी सदस्य खुद को नुकसान पहुंचाएंगे.

स्पीकर की ओर से दोपहर एक बजकर 28 मिनट पर सदन की कार्यवाही स्थगित करने के बावजूद मार्शलों को मुश्किल स्थिति का सामना करना पड़ा और वे द्रमुक के सदस्यों को सदन से बाहर जाने के लिए कहते रहे.

स्टालिन ने सुरक्षाकर्मियों से कहा, ‘लोग इस छद्म शासन के खिलाफ हैं, हम लोगों के लिए लड़ रहे हैं. यदि आप हमें जबरन निकालेंगे तो हम खुद को नुकसान पहुंचाने के लिए मजबूर हो जाएंगे, हम खुदकुशी पर भी विचार कर सकते हैं.’

इसके तुरंत बाद चेन्नई के पुलिस आयुक्त एस जॉर्ज की अगुवाई में कई आला पुलिस अधिकारी विधानसभा परिसर में पहुंचे और काफी देर तक विचार-विमर्श किया.