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सुशील मोदी के मास्टरस्ट्रोक ने बदल दी लालू-नीतीश की सरकार

सुशील मोदी ने हमेशा ही नेपथ्य में जाने के बाद वापसी की है

Kinshuk Praval

बिहार में आए सियासी भूचाल के बाद जब गुबार छटा तो सामने नई सरकार के साथ पुराने सीएम नीतीश कुमार नजर आए और पुराना चेहरा सुशील मोदी का नजर आया. सीएम-डिप्टी सीएम की ये जोड़ी एक बार फिर बिहार की जनता की सेवा के नाम पर सामने है. राजनीति इसी उठापटक का नाम है जो चुपचाप बड़ा काम कर जाती है.

लेकिन इस बड़े काम को अंजाम देने के पीछे बिहार की सियासत में सिर्फ एक ही नाम सामने है. सुशील मोदी ने ही महागठबंधन की कब्र खोदने का काम किया. बिहार में आरजेडी और जेडीयू की सरकार बनने के बाद नेपथ्य में रहने वाले सुशील मोदी अचानक अवतरित हुए. उनके हाथों में कुछ दस्तावेज थे जिनके बूते उन्होंने लालू परिवार पर जोरदार हमला बोला.


सुशील मोदी ने किए एक के बाद एक घोटालों के खुलासे

सुशील मोदी ने 4 अप्रैल को लालू परिवार के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव पर मिट्टी घोटाले का आरोप लगाया. हालांकि शुरुआत में उनके आरोपों को हल्के में लिया गया लेकिन जैसे जैसे सुशील मोदी सबूत दर सबूत हमलावर होते चले गए तो मॉल की मिट्टी ने लालू परिवार की मुश्किलें बढ़ाना शुरू कर दिया.

सुशील मोदी ये जानते थे कि नीतीश कुमार ईमानदार छवि के दम पर ही बिहार के नीतीशे कुमार हैं. इस बार के विधानसभा चुनाव में लालू अगर वोट बेस थे तो नीतीश फेस. नीतीश अपने चेहरे से समझौता नहीं कर सकते थे. जब करप्शन के आरोप उनकी सरकार पर लगे तो नीतीश भी व्याकुल हुए.

सुशील मोदी एक तीर से दो शिकार कर रहे थे. एक तरफ लालू और उनके परिवार के खिलाफ करप्शन की परतें उधेड़ रहे थे तो दूसरी तरफ नीतीश कुमार को भी ये जताने में कामयाब हो गए थे कि उनकी साफ छवि की सरकार के मंत्री करप्शन में डूबे हुए हैं. सुशील मोदी लगातार नीतीश की कमजोरी पर वार कर रहे थे.

सुशील मोदी ये जानते थे कि ईमानदार छवि के चलते नीतीश आरजेडी को सियासी तलाक देने का मन बना सकते हैं. कई दफे उन्होंने कहा भी कि अब नीतीश को फैसला करना चाहिए कि करप्शन के इतने आरोपों के बाद वो महागठबंधन की सरकार के साथ खड़े होंगे या फिर अलग होंगे.

यहां तक कि उन्होंने ही बीजेपी के समर्थन की भी काफी पहले घोषणा कर दी थी. लेकिन नीतीश अपनी शांत राजनीतिक स्टाइल से सुशील मोदी बनाम लालू यादव की जंग को देखते आ रहे थे. उनकी चुप्पी में जहां लालू के लिये भरोसा जग रहा था तो वहीं सुशील मोदी का आत्मबल भी बढ़ रहा था. लालू इस फेर में थे कि नीतीश पर ऐसे आरोपों का असर नहीं पड़ेगा. अगर पड़ा भी तो वो अपने दम पर नई सरकार बना लेंगे. वहीं सुशील मोदी इस इंतजार में थे कि नीतीश इस्तीफा दें और नई सरकार बनाने के लिये बीजेपी के साथ आएं.

सीबीआई और ईडी ने लालू के पूरे कुनबे को घेरा

इसके बाद सुशील मोदी बेनामी संपत्ति का मामला लेकर सामने आ गए. उनके आरोपों की जद में लालू यादव, राबड़ी यादव, बेटी मीसा भारती, दामाद शैलेश, दोनों बेटे तेज प्रताप और तेजस्वी आ गए. सीबीआई और ईडी ने लालू परिवार पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया. जुलाई में सीबीआई के छापों ने रही सही कसर पूरी कर दी.

करप्शन के आरोप लगा कर सुशील मोदी ने अचानक बिहार की राजनीति में हलचल तेज कर दी. हालात यूं बदले कि अब जिस तेजस्वी यादव को लेकर बवाल मचा वो ही सत्ता में नहीं हैं और जिसने आरोप लगाया वो तेजस्वी की जगह डिप्टी सीएम हैं. नीतीश नई सरकार के पुराने सीएम हैं.

सुशील मोदी और नीतीश के रिश्ते हमेशा से ही गहरे रहे हैं. मकर संक्रांति के मौके पर जब नीतीश ने सुशील मोदी को दही चूड़ा पर आमंत्रित किया था तब सुशील मोदी ने नीतीश से अपने रिश्ते को दिल का रिश्ता बताया था. हालांकि तभी कुछ लोग समझ गए थे कि कुछ खिचड़ी पक रही है.

दरअसल नीतीश के प्रति सुशील मोदी का नरम रुख भी उनकी आलोचनाओं की वजह बन रहा था. सुशील मोदी पर लगातार ये आरोप लग रहे थे कि वो कमजोर विपक्ष बनते जा रहे हैं. जबकि सुशील मोदी बिहार में बीजेपी के कद्दावर नेताओं में शुमार करते हैं.

सुशील मोदी भी उसी जेपी आंदोलन से उभरे नेता हैं जिससे लालू और नीतीश निकले. राजनीतिक अनुभव और कद के मामले में सुशील मोदी किसी से कम नहीं हैं. 1972 में मोदी पहली बार छात्र आंदोलन के दौरान 5 दिन जेल में रहे. जेपी आंदोलन और इमरजेंसी के वक्त 5 बार मीसा में गिरफ्तार किये गए.

सुशील मोदी राज्य में मंत्री पद से लेकर उप मुख्यमंत्री तक रह चुके हैं. साल 2004 में मोदी बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने और 2005 में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भी बने. बिहार सरकार में मोदी साल 2000 में संसदीय कार्य मंत्री बने तो 2005 में लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर बिहार विधान परिषद के सदस्य बने. 2012 में मोदी दूसरी बार बिहार विधानसभा के सदस्य बने.

मोदी ने करवाई नीतीश की घर वापसी

बिहार चुनाव में बीजेपी जब प्रचार कर रही थी तब सभी ये लोग जानते थे कि बीजेपी सत्ता में आई तो सुशील मोदी ही सीएम बनेंगे. हालांकि सुशील मोदी को बीजेपी ने प्रोजेक्ट नहीं किया था लेकिन सियासी सुगबुगाहट ये इशारा जरूर कर रही थी.

सुशील मोदी ने हमेशा ही नेपथ्य में जाने के बाद वापसी की है. इस बार की उनकी वापसी इसलिये भी खास है क्योंकि उन्होंने नीतीश की घर वापसी भी करा दी है.