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राज्यसभा की शतरंज पर कौन हैं 'आप' के नए मोहरे सुशील गुप्ता!

अब सूत्रों के हवाले से आ रहे खबरों पर भरोसा करें तो आशुतोष और कुमार विश्वास का पत्ता काटकर सुशील गुप्ता और एनडी गुप्ता को आप राज्यसभा भेज सकती है

FP Staff

16 जनवरी को दिल्ली से तीन राज्यसभा की 3 सीटों के लिए वोटिंग होनी है. राज्यसभा में आम आदमी पार्टी के भारी बहुमत को देखते इन तीनों सीटों पर आप का निर्विरोध जीतना लगभग तय है. लेकिन इस सुनिश्चित जीत ने ही आप को परेशानी में डाल दिया है.

पहले यह खबर थी कि आम आदमी पार्टी संजय सिंह, आशुतोष और कुमार विश्वास को राज्यसभा भेज सकती है लेकिन अब सूत्रों के हवाले से आ रहे खबरों पर भरोसा करें तो इन तीन लोगों में आशुतोष और कुमार विश्वास का पत्ता काटकर सुशील गुप्ता और एनडी गुप्ता को आप राज्यसभा भेज सकती है. वैसे तो राज्यसभा उम्मीदवारों पर अंतिम फैसला बुधवार को पार्टी की पीएसी मीटिंग में होगा पर ये नए नाम बहुत ही चौंकाने वाले हैं.


इसमें एक चौंकाने वाला नाम सुशील गुप्ता का भी है जो हाल ही में कांग्रेस को छोड़कर आम आदमी पार्टी के करीब आए हैं. कुछ का कहना है कि वे तकनीकी रूप से आम आदमी पार्टी के सदस्य भी नहीं हैं.

शिक्षा और स्वास्थ्य के सेक्टर में सक्रिय हैं गुप्ता

सुशील गुप्ता दिल्ली के पंजाबी बाग क्लब के पिछले 25 सालों से चेयरमैन हैं और 13 सालों से पंजाबी बाग को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी के भी चैयरमेन हैं.

हालांकि गुप्ता राजनीति में नए नहीं हैं. उन्होंने कांग्रेस के छात्र-संगठन एनएसयूआई से एक छात्र नेता के तौर पर राजनीति की शुरुआत की थी. कांग्रेस से सुशील गुप्ता का लंबा जुड़ाव रहा है और 3 महीने पहले तक वे कांग्रेस के सदस्य थे. 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में वे मोतीनगर सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार भी थे लेकिन वे हार गए थे.

पेशे से सुशील गुप्ता कारोबारी हैं और प्राइवेट शिक्षण संस्थानों के साथ-साथ अस्पतालों के निर्माण के लिए जमीन की तलाश करते हैं. कई लोगों के साथ मिलकर वे दिल्ली गंगा ग्रुप नामक संस्थान भी चलाते हैं. हालांकि न्यूज18 से बातचीत में वे कहते हैं कि ‘मैं पूरी तरह किसान हूं.’

गुप्ता यह भी कहते हैं कि उन्हें यह पता नहीं कि उनका नाम राज्यसभा के लिए चल रहा है. उन्होंने कहा कि मैं अपना नाम खबरों में ही देखा है. मैं किसी भी तरह के पॉवर का भूखा नहीं हूं.

कांग्रेस छोड़ने के सवाल पर गुप्ता ने कहा कि वे किसी राजनीतिक पार्टी में विश्वास नहीं करते हैं. उन्होंने कहा कि वे अच्छे लोगों में भरोसा करते हैं. उनका कहना है कि वे शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करना चाहते हैं और जो भी उन्हें इस क्षेत्र में काम करने देगा वे उसके साथ जाएंगे. गुप्ता ने कहा कि जब उन्होंने कांग्रेस छोड़ा था तो कहा था कि उनके दरवाजे सभी के लिए खुले हैं.

हालांकि ऐसी संभावना जताई जा रही है कि गुप्ता के नाम पर अरविंद केजरीवाल के करीबी सर्किल में ही सहमति नहीं बन पाई है. केजरीवाल के करीबी माने जाने वाले एक विधायक का कहना है कि गुप्ता का नाम आने से वे दुखी हैं. विधायक का कहना है कि वे कोई ऐसे व्यक्ति नहीं हैं जिनके बहुत सम्मान हो. वे कांग्रेस से आए हैं मैं उनके नाम का विरोध करूंगा. मैं गुप्ता के नाम का विरोध करूंगा, इससे तो अच्छा है कि कुमार विश्वास को ही भेज देते.