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सुप्रीम कोर्ट में 'आप' की जीत, अब दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का मसला होगा अगला मुद्दा

दिल्ली की चुनी हुई सरकार के पक्ष में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले से अरविंद केजरीवाल और आप दोनों काफी उत्साहित हैं, अब वो दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग करेंगे

Syed Mojiz Imam

राजनीति में मुद्दो का अभाव कभी नहीं रहा है. लेकिन जिस तरह मुद्दे कैश कराने में अरविंद केजरीवाल माहिर है. वो एक नज़ीर है. खासकर पुराने राजनीतिक दलों के लिए जो विपक्ष में है. आप बीजेपी के विरोध में खड़ा होना चाहती हैं. एलजी और दिल्ली की सरकार के बीच मतभेद शुरू से है. पहले एलजी नजीब जंग थे. बाद में बने अनिल बैजल भी दिल्ली के मुख्यमंत्री को पंसद नहीं आए. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एलजी की भूमिका सीमित हो गई है. कोर्ट ने साफ कहा है कि एलजी दिल्ली सरकार की सलाह पर ही काम करेंगें. जिससे साफ हो गया है कि दिल्ली मे अब चुनी हुई सरकार की चलेगी.

हालांकि दिल्ली में अभी भी पुलिस जमीन और कानून व्यवस्था का काम दिल्ली सरकार के पास नहीं रहेगा. इस फैसले को आप अपनी नैतिक जीत की तरह ले रही है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट करके कहा कि ये दिल्ली की जनता और लोकतंत्र की जीत है. हालांकि इस जीत को अरविंद केजरीवाल यूं ज़ाया नहीं होने देंगें. वो जनता से कहेंगें की कि उनकी बात सच साबित हुई है. एलजी चुनी हुई सरकार को काम नहीं करने दे रहें थे. एलजी के बहाने निशाने पर बीजेपी रहेगी.

आप की सरकार नहीं कर पा रही थी काम

दिल्ली के मुख्यमंत्री का आरोप था कि एलजी सरकार की तरफ से चलाए जा रहे कल्याणकारी योजनाओं में बाधा डाल रहें हैं. जिसमें कई ऐसे प्रोग्राम थे जिसको आप फ्लैगशिप प्रोग्राम की तरह ले रही थी. घर पर राशन डिलवरी करने का फैसला दिल्ली सरकार ने लिया था. लेकिन एलजी ने मंजूरी नहीं दी थी. दिल्ली मे तकरीबन 72 लाख लोग है जिनको पीडीएस से राशन मिलने की सुविधा मिली है. इसके अलावा सीसीटीवी कैमरे लगाने पर भी एलजी को आपत्ति थी. यहीं नहीं दिल्ली सरकार की तरफ से हाईकोर्ट में नियुक्त किए गए वकीलों के पैनल को एलजी ने अवैधानिक करार कर दिया था.

इसके अलावा आप के मोहल्ला क्लीनिक को लेकर काफी बवाल हुआ था. दिल्ली में काम कर रहे अधिकारियों के ट्रांसफर को लेकर केजरीवाल काफी नाराज़ रहते थे. इस हफ्ते ही गृहमंत्री को चिट्ठी लिखकर अधिकारियों के तबादले को लेकर आपत्ति जाहिर की थी. बहरहाल कोर्ट के फैसले के बाद अब तक के केजरीवाल के कार्यकाल में जो काम नहीं हो पाए है. उसका ठीकरा एलजी पर ही फूटेगा.

केजरीवाल और उनकी पार्टी इस कला में माहिर है. खासकर धरने की राजनीति में केजरीवाल का मुकाबला कोई नहीं कर सकता है. अभी पिछले दिनों ही केजरीवाल और उनके मंत्री एलजी के घर में ही धरने पर बैठे रहे. ताकि इस मुद्दे का राजनीतिक फायदा उठाया जा सके. दिल्ली में पूर्ण राज्य का मुद्दा सभी सरकारों ने कमोवेश उठाया है लेकिन ऐसा लग रहा है कि अरविंद केजरीवाल इस मुद्दे के ज़रिए केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश करेंगें. जिसके लिए ज़मीन तैयार कर ली गई है.

दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा

1 जूलाई को दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने के लिए सम्मेलन किया. दिल्ली के विधायक और आप के लोग शामिल हुए. जिसमें तय हुआ कि पार्टी मिस कॉल के ज़रिए इस मुहिम के लिए समर्थन जुटाएगी. 25 जुलाई तक हस्ताक्षर अभियान चलेगा. जिसमें दस लाख लोगों के हस्ताक्षर कराकर मांग पत्र प्रधानमंत्री को दिया जाएगा. अरविंद केजरीवाल ने इस सम्मेलन में कांग्रेस को भी कटघरें में खड़ा किया है.

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केजरीवाल ने कहा कि बीजेपी और कांग्रेस पूर्ण राज्य की बात करती है लेकिन अभी तक कुछ किया नहीं है. प्रधानमंत्री से मांग की है कि 2019 से पहले दिल्ली को ये दर्जा दिलाएं. जाहिर है कि पूर्ण राज्य का दर्जा आसान काम नहीं है. वहीं अरविंद केजरीवाल को 2019 के लिए बीजेपी और कांग्रेस के खिलाफ नया मुद्दा मिल गया है. दिल्ली सरकार के उपमुख्यमंत्री ने इस फैसले के बाद कहा कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए संघर्ष चलता रहेगा.

आप की घट रही लोकप्रियता

ऐसा लग रहा है कि सरकार की अब तक की नाकामी और घट रही लोकप्रियता से आम आदमी पार्टी अंजान नहीं है. दिल्ली में कुछ नए काम हुए है. इससे इनकार नहीं है. लेकिन जिस तरह के वायदे केजरीवाल ने किए थे. उसमें खरा उतरने मे नाकाम रहें हैं. जाहिर है कि पूर्ण राज्य का मुद्दा आप को नई संजीवनी दे सकता है. खासकर 2019 के चुनाव में, जहां लग रहा था कि बीजेपी-कांग्रेस के मुकाबले आप लड़ाई से बाहर ना हो जाए.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एलजी अनिल बैजल के साथ

अरविंद केजरीवाल ने एलजी के खिलाफ राजनीतिक और कानूनी लड़ाई जीतकर साबित कर दिया है. आप को पता है कि मुद्दे कैसे बनाने है और उससे राजनीतिक फायदा किस तरह उठाना है. इस मसले पर बीजेपी-कांग्रेस को नियत साफ करनी पड़ेगी. दिल्ली के पूर्ण राज्य का समर्थन करना दोनों दलो के लिए मजबूरी बन सकता है. वहीं इस मसले पर बीजेपी बैकफुट पर रहेगी. क्योंकि केंद्र में बीजेपी की सरकार है.

कांग्रेस की परेशानी

जिस तरह से अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी और एलजी से लड़ाई लड़ी है. उससे कांग्रेस की परेशानी बढ़ गई है. कांग्रेस के लिए मुश्किल है कि दिल्ली में बीजेपी के खिलाफ पूरी जगह आप ने हथिया ली है. कांग्रेस के लिए कुछ ज्यादा नहीं बचा है. दूसरा, कांग्रेस ये समझ रही थी कि केजरीवाल सरकार की नाकामी का फायदा पार्टी को लोकसभा चुनाव में मिलेगा. लेकिन ऐसा होने में अब संशय है.

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केजरीवाल ये कोशिश करेंगें कि दिल्ली में काम ना हो पाने के लिए सीधे एलजी को ज़िम्मेदार ठहराया जाए. जिसके लिए आप जद्दोजहद कर रही है. जनता में ये मैसेज देने के लिए आप का कैडर लग गया है. खासकर केजरीवाल के एलजी के खिलाफ धरने के वक्त से ये काम बखूबी चल रहा है. जिसकी काट बीजेपी और कांग्रेस दोनो को ढूंढनी होगी.