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संसद में शुक्रवार को भी छाया रहा नोटबंदी का मुद्दा

संसद के दोनों सदनों में नोटबंदी के मुद्‍दे पर हंगामे के बीच कार्रवाई ठप रही.

सुरेश बाफना

संसद के दोनों सदनों में नोटबंदी के मुद्‍दे पर हंगामे के बीच कार्रवाई ठप रही, लेकिन सदन के बाहर विपक्षी नेता इस बात से चिन्तित दिखाई दिए कि इस मुद्‍दे पर विरोध लंबे समय तक जारी रखने से उनको राजनीतिक नुकसान भी हो सकता है.

राज्यसभा में विपक्षी नेताअों के भाषणों से स्पष्ट था कि वे नोटबंदी का विरोध नहीं कर रहे हैं, बल्कि जनता को होनेवाली परेशानी को मुद्दा बनाकर सरकार को कटघरे में खड़ा करना चाहते हैं.


जब तक बैंकों के सामने लाईन और ग्रामीण इलाकों में किसानों की परेशानी बनी रहेगी, तब तक विपक्ष इसे मुद्दा बनाएगा.

लोकसभा में कांग्रेस की मांग है कि स्थगन प्रस्ताव के तहत नोटबंदी के सवाल पर चर्चा कराई जाए, ताकि सदन में मत-विभाजन हो सके. जाहिर है सरकार ‘अल्प अवधि चर्चा’ के प्रावधान के तहत ही चर्चा कराना चाहती है.

राज्यसभा में कांग्रेस व अन्य विपक्षी दल चाहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नोटबंदी पर हो रही बहस का जवाब दें.

सरकार को यह मुफीद है कि अगर तीन-चार दिन सदन न चलें तो कोई बात नहीं है. सरकार को भरोसा है कि 70 प्रतिशत एटीएम मशीनें चालू होने पर जमीन पर स्थिति सामान्य होने लगेंगी, तब प्रधानमंत्री सदन में दहाड़कर भाषण देंगे.

संसद के केन्द्रीय कक्ष में इन दिनों अरुण जेटली जब भी आते हैं तो लगभग सभी पत्रकार उनके आसपास जमा हो जाते हैं.

नोटबंदी से दिग्गज नेता नाराज

उनका मानना है कि जितनी बुरी स्थिति की कल्पना हमने की थी, उसकी तुलना में कम मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. एटीएम मशीनों के चालू होते ही स्थिति पूरी तरह सामान्य हो जाएगी. फिर बैंकों में लोग आसानी से पुराने नोट अपने खाते में जमा कर सकेंगे.

जेटली की नजर नोटबंदी से जुड़ी घटनाअों के साथ क्रिकेट की दुनिया पर भी समान रूप से हैं.

राज्यसभा में कांग्रेस के कई दिग्गज नेता इस बात से नाराज हैं कि नोटबंदी पर हुई बहस की शुरुआत आनंद शर्मा से कराई गई.

पूर्व वित्त मंत्री पी.चिदम्बरम, कपिल सिबल व जयराम रमेश चाहते थे कि वे कांग्रेस के पहले वक्ता हों.

पता चला है कि इन तीनों नेताअों से कहा गया है कि वे चाहे तो बहस में भाग ले सकते हैं, लेकिन उन्होंने बोलने से इंकार कर दिया.

संसद भवन में कई सांसद इस बात से परेशान है कि उनके परिचितों के पास मौजूद काले धन को सफेद में कैसे तब्दील किया जाए?

भाजपा सांसद अखबारों में काले धन पर मोदी के हमले का स्वागत करते है, पर भीतर ही भीतर इस बात से परेशान है कि मोदी ने अपने प्रमुख जनाधार से ही पंगा ले लिया है.