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राहुल की कार पर पथराव से सुरक्षा के दावों के शीशे हुए चूर, जिम्मेदारी किसकी?

मामला बाढ़ की सियासत से सुरक्षा की चूक के आरोपों तक जा पहुंचा है.

Kinshuk Praval

गुजरात के बनासकांठा में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की कार पर पत्थर फेंके गए. राहुल के काफिले पर पथराव करने से उनकी कार के शीशे फूट गए. दरअसल राहुल गांधी बाढ़ प्रभावित बनासकांठा में स्थानीय लोगों से मिलने आए थे. इस दौरान राहुल गांधी को काले झंडे भी दिखाए गए. राहुल ने कहा कि उन्हें काले झंडों से फर्क नहीं पड़ता है. भले ही दिल्ली और गुजरात में उनकी सरकार नहीं है लेकिन वो ऐसे दो-चार काले झंडों से डरने वाले नहीं.

मामला बाढ़ की सियासत से सुरक्षा की चूक के आरोपों तक जा पहुंचा है. कांग्रेस ने पथराव के लिये राज्य की बीजेपी सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए लॉ एंड ऑर्डर पर सवाल उठाया. कांग्रेस का आरोप है कि राहुल की सुरक्षा में राज्य सरकार ने भारी चूक की है. दरअसल इस पथराव में कांग्रेस के नेता भरत सिंह सोलंकी के घायल होने की खबर है. ऐसे में सुरक्षा में हुई खामी को लेकर राज्य सरकार की भूमिका को अनदेखा नहीं किया जा सकता है.


पथराव की इस घटना को राज्य कांग्रेस हल्के में लेगी भी नहीं. वैसे भी राहुल गांधी न सिर्फ कांग्रेस के उपाध्यक्ष हैं बल्कि विपक्ष के बड़े नेता हैं. घटना की गंभीरता को देखते हुए राज्य बीजेपी ने भी इसकी कड़ी निंदा की और दुर्भाग्यपूर्ण बताया है.

कांग्रेस का कहना है कि राहुल के किसी राज्य में हर दौरे से पहले पूरे कार्यक्रम की योजना राज्य सरकार को सौंपी जाती है. जिसके बाद सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकार की होती है. इसके बावजूद राहुल की कार पर पथराव होना राज्य सरकार की सुरक्षा में बड़ी चूक साबित करता है.

राहुल गांधी को वैसे भी देश की सबसे कड़ी सुरक्षा मिली हुई है. उनके काफिले में हर वो सिक्यूरिटी लेयर मौजूद है जिससे उन तक किसी का भी पहुंच पाना मुमकिन नहीं है. इसके बावजूद पत्थरबाजी की घटना कई सवाल खड़े करती है.

बाढ़ की राहत को लेकर राहुल गांधी राज्य और केंद्र सरकार पर कई सवाल खड़े कर गए. राहुल ने कहा कि वह बाढ़ प्रभावित इलाकों के लोगों के साथ हैं लेकिन कुछ लोग ऐसा नहीं होने देना चाहते हैं. लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, 'आप सभी के बीच आना चाहता था और यही कहना चाहता था कि कांग्रेस पार्टी आप सब के साथ है.'

गुजरात के अलग अलग हिस्सों में भारी बारिश की वजह से बाढ़ के हालात काफी खराब हैं. खुद पीएम मोदी बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा कर जायजा ले चुके हैं. सेना और एनडीआरएफ की टीमें बाढ़ में फंसे लोगों की मदद कर रहे हैं. लेकिन बाढ़ की सियासत का मिजाज ही कुछ ऐसा है कि आपदा प्रबंधन से लेकर राहत-बचाव और मुआवजे पर हमेशा सवाल उठाए जाते रहे हैं.

दरअसल ये मौसमी मुद्दे सियासत की ठंडी पड़ी राख को गरमाने का काम करते हैं. इस वक्त कांग्रेस के सारे कार्यकर्ता कर्नाटक में झंडा बुलंद करने में जुटे हुए हैं.  कांग्रेस राज्यसभा चुनाव को लेकर अहमद पटेल को बचाने की जुगत में जुटी हुई है. बनासकांठा जिले की 9 सीट में से 6 सीट पर कांग्रेस का कब्जा है. लेकिन इन सीटों के सभी विधायक इस समय बंगलूरु में मौजूद हैं. ऐसे में राहुल कांग्रेस के स्थानीय विधायकों की कमी दूर करने के लिये बनासकांठा पहुंचे थे. बनासकांठा में राहुल के लिए उमड़ी भीड़ में कार्यकर्ता कम और स्थानीय लोग ज्यादा नजर आ रहे थे.

पूर्व कांग्रेसी नेता शंकर सिंह वाघेला के कांग्रेस छोड़ने के बाद राहुल के लिये ये मौका सियासी संदेश देने के लिये बेहद जरूरी था. उन्होंने जनता में भरोसा जगाने के लिये कहा कि कांग्रेस पार्टी आपके साथ है. बाढ़ के बहाव में वो राज्य में कांग्रेस की टूटती धारा को नई दिशा देना चाहते हैं. कांग्रेस कार्यकर्ताओं में उन्होंने जोश भरने की कोशिश भी की. अब पथराव की घटना ने कांग्रेस को एक मुद्दा थमा दिया है. लेकिन जनता राहुल से भी एक सवाल पूछ सकती है कि बाढ़ के मौके पर उनके चुने हुए विधायक जनता को पानी में छोड़ बंगलुरू में अहमद पटेल की नैया पार कराने में क्यों जुटे हुए हैं?