उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसएटीएफ) ने 37 सौ करोड़ रुपए के घोटालेबाज अनुभव मित्तल के बारे में कई अहम खुलासे किए हैं. 2 फरवरी को यूपी एसटीएफ ने नोएडा की एक कंपनी के डायरेक्टर अनुभव मित्तल सहित तीन लोगों को गिरफ्तार किया था. कंपनी के डायरेक्टर और सीईओ पर आरोप है कि सोशल साइट चलाने की आड़ में लाखों लोगों को नुकसान पहुंचाया गया है.
यूपी एसटीएफ का कहना है कि एब्लेज इंफो सॉल्यूशंस नाम की कंपनी मेंबर बनाने के नाम पर सोशल नेटवर्किंग साइट पर लोगों को गुमराह करती थी. मेंबर बनाने के बाद कंपनी अपने यूजर्स को एक आईडी और पासवर्ड मुहैया कराती थी, जिस पर कुछ लिंक भेजे जाते थे. हर लाइक पर लोगों को 5 रुपए दिए जाते थे. कुछ दिनों तक तो पैसे मिले पर बाद में पैसे मिलने बंद हो गए.
ऐशोआराम का शौकीन है अनुभव
एक तरफ अनुभव मित्तल आम लोगों को ठग रहा था तो दूसरी तरफ उसी पैसे का इस्तेमाल अपनी निजी जिंदगी में शाओशौकत दिखाने के लिए करता था. महंगे फिल्मी कलाकरों के साथ पार्टी करना उसके शगल में शामिल था. सनी लियोनी और अमीषा पटेल जैसी फिल्मी अभिनेत्रियां अनुभव मित्तल के जन्म दिन की पार्टी में शरीक हो चुकी हैं.
हापुड़ से नोएडा वाया गाजियाबाद
यूपी के हापुड़ के रहने वाले अनुभव ने 2010 में बीटेक की डिग्री हासिल की थी. बीटेक की डिग्री हासिल करने के बाद उसने साल 2011 में कपनी बना ली. कंपनी बनाने के बाद अनुभव को साल 2012 से लेकर जुलाई 2015 तक मुनाफा नहीं मिल रहा था.
अगस्त 2015 में अनुभव ने सोशल ट्रेड डॉट बिज नाम से एक ऑनलाइन पोर्टल बनाया. जिसमें सदस्यों को जोड़ने के लिए पांच हजार 750 रुपए से लेकर 50 हजार 750 रुपए तक की सीमा निर्धारित की गई.
कॉलेज में ही बन गया था नेटवर्कर
कॉलेज के शुरुआती दिनों में ही अनुभव नेटवर्किंग कंपनी से जुड़ गया था. कमाल तो यह है कि उसे नेटवर्किंग कंपनी बनाने का आयडिया बॉलीवुड फिल्म 'फालतू' देखकर आया था. ये फिल्म उसने अपने कॉलेज के दिनों में देखी थी.
अनुभव ने साल 2010 में एब्लेज इंफो सॉल्यूशन नाम की कंपनी बनाई. कंपनी का शुरुआती कामकाज अनुभव ने अपने कॉलेज के हॉस्टल से शुरू किया. रातों रात अमीर बनने के लिए अनुभव ने सोशल मीडिया का सहारा लिया.
हाई प्रोफाइल लोगों तक बनाई पहुंच
अनुभव की गिरफ्तारी के बाद यह भी खुलासा हुआ है कि उसके बहुत हाई-प्रोफाइल संबंध हैं. वह फेसबुक पर नेताओं और फिल्मी अभिनेता और अभिनेत्रियों के साथ फोटो लगाने का भी विशेष शौक रखता था. जिससे कि उसके फॉलोवर को लगे कि वाकई कंपनी मुनाफे में जा रही है. खास बात यह है कि इन कंपनियों के मायाजाल में आम आदमी से लेकर डॉक्टर, इंजीनियर, सीए, सीएस, वकील और पत्रकार तक शामिल हैं.
साइबर अपराध में आई तेजी
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आकड़ों के मुताबिक साइबर अपराधों से जुड़ी गिरफ्तारियों के मामले में 9 गुना तेजी आई है. भारत में इंटरनेट सब्सक्राइबर की संख्या जून 2016 तक 46.2 करोड़ तक थी.
आईटी अधिनियम के तहत धोखाधड़ी या अवैध लाभ के मामले में लगातार इजाफा हो रहा है. 2014 में साइबर अपराध के 1736 मामले दर्ज किए गए. जिसमें ज्यादा मामले लालच, वित्तिय लाभ देने का था.
साल 2014 में साइबर अपराध के आरोप में कम से कम 5 हजार 752 लोगों को गिरफ्तार किया गया. जिसमें आठ विदेशी थे. अभी तक साइबर अपराध के लिए 95 लोगों को सजा हुई है. जबकि 276 लोगों को बरी कर दिया गया है.
दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल कमीशन की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2013 तक भारत में 24 हजार 630 करोड़ रुपए की साइबर अपराध हुए थे.
एक्सपर्ट की राय
साइबर क्राइम से जुड़े मामले के विशेषज्ञ और सुप्रीम कोर्ट के वकील पवन दुग्गल कहते हैं, 'भारत को आने वाले दशकों में इससे भी ज्यादा गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं. भारत की सरकार को साइबर सिक्योरिटी को लेकर पहल करने की जरूरत है. अभिनव मित्तल के केस में आईपीसी और साइबर क्राइम के लॉ दोनों मामले से जांच होनी चाहिए. जिससे निवेशक को पूरे पैसे मिलें.'
पवन दुग्गल आगे कहते हैं, ‘बुनियादी तौर पर भारत डिजिटल क्रांति की तरफ दौड़ रहा है. इस दौड़ में हमें न केवल अपने इनफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाना है बल्कि कानून को मजबूत और असरकारक भी बनाना है.’
पवन दुग्गल के मुताबिक, ‘साल 2000 का इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी एक्ट (आईटी एक्ट) ज्यादा सशक्त था लेकिन साल 2008 के संशोधन ने इस कानून को अपंग बना दिया. 2008 के संशोधनों ने ज्यादातर साइबर क्राइम को जमानती बना दिया. जिससे नतीजा यह हुआ कि आप अगर जमानत पर बाहर आते हैं तो एविडेंस को नष्ट करेंगे. लिहाजा साइबर क्राइम मुकदमों में सजा पाना लगभग नामुमकिन सा हो गया है. देश में साइबर कानून में पहली 2003 में हुई थी. 2003 के बाद से अब तक सजा मिलने की दर का आंकड़ा तिहाई अंक तक भी नहीं पहुंचा है.’