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केंद्र नहीं छेड़ सकता शशिकला की ताजपोशी के खिलाफ जंग

केंद्र यह लड़ाई नहीं जीत सकता और वह इस मैदान में कूदने को तैयार नहीं है.

Ajay Singh

देखें तो लगता है कि केंद्र और राज्य के बीच जंग की तैयारी है.

हालांकि, केंद्र सरकार तमिलनाडु के राजनीतिक गुत्थी में गैरजरूरी हस्तक्षेप नहीं करना चाहेगी. संकेत हैं कि वह संविधान के नियमों के अनुसार ही चलेगी और वीके शशिकला को सीएम पद की शपथ लेने देगी.


शशिकला को लेकर बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व में भले ही सवाल-संदेह हों लेकिन अगर एआईएडीएमके के विधायक उन्हें अपना नेता चुनते हैं तो केंद्र के लिए शशिकला को गद्दीनशीं होने से रोकना असंभव होगा. सरकार में ऊंची पदों पर बैठे सूत्र इस ओर इशारा करते हैं कि फिलहाल तो शशिकला के लिए अधिकतर विधायकों की नजरों में वही 'भक्ति' नजर आ रही है जो जयललिता के लिए थी.

सरकार के उच्चाधिकारी ने फर्स्टपोस्ट को बताया, 'यह पार्टी का काडर है जो उनके समर्थन में नहीं है. लेकिन उन्हें विधायकों का साथ मिल रहा है जो उनकी तस्वीर अपनी जेबों में रख रहे हैं.' साफ है कि केंद्र सरकार के पास ऐसा कोई साधन नहीं है जिससे वह तमिलनाडु के बनी-बनाई राजनीतिक संस्कृति को बदल सके.

हालांकि राज्यपाल वीएस राव के टालमटोल को इस रूप में देखा जा सकता है कि केंद्र शशिकला के इशारों पर नहीं चलेगा और न ही उसे हल्के में लिया जा सकता है.

संविधान के अनुसार मुख्यमंत्री की नियुक्ति का अधिकार राज्यपाल को है. उसे हक है सीएम की नियुक्ति के पहले पक्का कर ले कि यह नियुक्ति सही और संविधान के अनुरूप है.

शशिकला के खिलाफ कानूनों मामलों की फेहरिस्त और उनकी मुख्यमंत्री बनने की योग्यता के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका को देखते हुए, केंद्र हड़बड़ी में फैसला नहीं लेना चाहेगा. सरकार के अंदर के सूत्र बताते हैं कि जब जयललिता की मृत्यु हुई तब भी केंद्र पर नौकरशाही और विधायिका के कुछ सदस्यों का दबाव था कि वह शशिकला को उनका उत्तराधिकारी घोषित कर दे. बताया जाता है कि राज्यपाल ने शुरू से ही ऐसे करने से मना कर दिया था और ओ पन्नीरसेल्वम को जिम्मेदारी संभालने का मौका दिया था.

शशिकला के समर्थकों को जो बात सबसे नागवार गुजरी वह तमिलनाडु के पूर्व मुख्य सचिव पी रामा मोहन राव के घर हुई छापेमारी और कैश की बरामदगी थी. राव को शशिकला का करीबी माना जाता था. शशिकला के समर्थकों ने इसे केंद्र के तमिलनाडु को चलाने के दांव के तौर पर देखा, जहां वह बिना-आधार वाले पन्नीरसेल्वम जैसे नेता को राज्य सरकार में बिठा देना चाहती थी.

हालांकि हालिया घटनाक्रम से जाहिर है कि शशिकला को अधिकतर एआईएडीएमके विधायकों का साथ हासिल है. अगर केवल कानूनी तथ्यों की बात करें तो उनका मुख्यमंत्री बनना टाला जा सकता है, रोका नहीं जा सकता.

केंद्र यह लड़ाई नहीं जीत सकता और वह इस मैदान में कूदने को तैयार नहीं है.