view all

सुनवाई होती रही, बाहर गूंजते रहे जय मुलायम-जय अखिलेश के नारे

साइकिल की सवारी नेता जी कर पाएंगे या अखिलेश की जिद्द उन्हें साइकिल से उतार देगी.

Amitesh

चुनाव आयोग के दिल्ली के दफ्तर में समाजवादी पार्टी के दोनों गुटों की फरियाद सुनी जा रही थी. मुलायम सिंह के नेतृत्व वाला एक गुट तो दूसरी तरफ रामगोपाल यादव की  अगुवाई में अखिलेश गुट चुनाव आयोग में अपनी दलीलें दे रहा था. लेकिन बाहर का नजारा कुछ और ही था.

आयोग के दफ्तर के बाहर मीडिया का जमावड़ा लगा था. सबकी नजरें पूरी सुनवाई पर टिकी हुई थी. लेकिन इन सबके बीच चुनाव आयोग के दफ्तर के बाहर अभी भी कुछ कार्यकर्ता इस उम्मीद में खड़े थे शायद अंदर कोई चमत्कार हो जाए और दोनों गुट हाथ में हाथ डालकर कदमताल करते बाहर आ जाएं.


उत्तर प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों से आए यह सभी कार्यकर्ता कातर निगाहों से चुनाव आयोग की चौखट पर टकटकी लगाए बैठे बाट जोह रहे थे किसी अच्छी खबर की.

मायूस समर्थकों को अभी भी है आस

झांसी से आए बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी के समाजवादी छात्र सभा के अध्यक्ष भावेश यादव अपने दूसरे साथियों के साथ दिल्ली पहुंचे थे.

कड़ाके की ठंड के बावजूद दिल्ली आकर पार्टी बचाने की आस लिए अपने संगी-साथियों के साथ पहुंचे भावेश यादव बीच-बीच में मुलायम और अखिलेश दोनों के समर्थन में नारे लगाते रहे.

हाथों में मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव दोनों के समर्थन में पोस्टर लेकर यह सभी कार्यकर्ता इस उम्मीद में खड़े थे कि यह कहने का मौका एक बार फिर मिल जाए हम साथ-साथ हैं.

चुनाव आयोग के बाहर खड़े सपा समर्थक.

फर्स्टपोस्ट से बातचीत में भावेश यादव ने बताया 'नेता जी ने काफी संघर्ष के बाद पार्टी को खड़ा किया है. लेकिन पार्टी को खड़ा करने में करोड़ों कार्यकर्ताओं का भी योगदान रहा है. अब नेताजी को चाहिए कि पार्टी में हम सबके लोकप्रिय मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को मार्गदर्शन दें और उन्हें कमान दे दें.'

लेकिन लगता है कि नियति को कुछ और ही मंजूर है. भावेश यादव जैसे लाखों कार्यकर्ताओं की भावनाओं पर मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव दोनों की महत्वाकांक्षा और वर्चस्व की लड़ाई भारी पड़ रही है.

मुलायम और अखिलेश गुट ने रखी अपनी दलील

चुनाव आयोग में मुलायम सिंह यादव ने शिवपाल यादव और अपने समर्थक नेताओं के साथ जाकर अपना पक्ष रखा.

अपने वकील के साथ आयोग पहुंचे मुलायम ने साफ कर दिया कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष वही हैं. उनका दावा था कि उनका हटाया जाना ही गलत है.

मुलायम सिंह यादव की तरफ से आयोग के सामने सुनवाई के दौरान उस राष्ट्रीय अधिवेशन को ही गलत बता दिया गया जिसमें उन्हें अध्यक्ष पद से हटाया गया था.

गौरतलब है कि 2 जनवरी को लखनऊ के जनेश्वर मिश्रा मैदान में अखिलेश यादव गुट की तरफ से रामगोपाल यादव द्वारा राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाया गया था.

जिसमें मुलायम सिंह यादव की जगह अखिलेश यादव को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित किया गया था.

मुलायम सिंह यादव की तरफ से चुनाव आयोग में कहा गया कि जब रामगोपाल यादव को पहले ही पार्टी से 6 साल तक के लिए निष्कासित किया जा चुका है तो फिर पार्टी का राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाने का उन्हें क्या अधिकार है.

दूसरी तरफ, अखिलेश यादव गुट की तरफ से मोर्चा संभाल रहे रामगोपाल यादव अपने समर्थक नरेश अग्रवाल, सुरेन्द्र सिंह नागर और किरणमय नंदा के साथ  चुनाव आयोग पहुचे.

वहां अखिलेश गुट की पैरवी करने के लिए जाने वाले वकील और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल मौजूद रहे. सूत्रों के मुताबिक, अखिलश गुट ने साइकिल चुनाव चिन्ह पर दावा करते हुए कहा कि दो-तिहाई लोग हमारे साथ हैं. हमारे पास 200 से ज्यादा एमएलए और एमपी हैं.

किसकी होगी साइकिल, फैसला जल्द आने की उम्मीद

दोनों ही पक्षों की दलील सुनने के बाद चुनाव आयोग ने अब अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है, लेकिन यूपी में पहले चरण की वोटिंग के लिए नामांकन की प्रक्रिया 17 जनवरी से शुरू हो रही है.

ऐसे में चुनाव आयोग को जल्द फैसला करना होगा कि साइकिल की सवारी आखिर कौन करेगा.

फिलहाल आयोग के सामने जो विकल्प हैं उसमें आयोग समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्ह साइकिल को फ्रीज कर सकता है और दोनों गुटों को दो अलग-अलग चुनाव चिन्ह सौंपा जा सकता है.

चुनाव आयोग दोनों गुटों को दो अलग-अलग पार्टी के नाम से मान्यता दे सकता है. अब गेंद चुनाव आयोग के पाले में है. देखना है कि साइकिल की सवारी नेता जी कर पाते हैं या अखिलेश की जिद्द उन्हें साइकिल से उतार देगी.