26 मई 2014 को जब नरेंद्र मोदी कैबिनेट ने शपथ ली तो जिस नाम को लेकर ज्यादा चर्चा हुई थी वो स्मृति ईरानी थीं. स्मृति ईरानी रायबरेली में राहुल गांधी से चुनावी पटखनी खाने के बाद भी कैबिनेट मंत्री पद के लिए चुनी गई थीं. मंत्रालय भी कोई ऐसा-वैसा नहीं. देश की दशा-दिशा तय करने वाले मानव संसाधन विकास मंत्रालय का प्रभार उन्हें सौंपा गया था. यह भी बात भी प्रचारित हुई कि ये स्मृति को इतना बड़ा मंत्रालय इनामस्वरूप मिला है. इनाम इस बात का कि उन्होंने रायबरेली से चुनाव लड़ा और राहुल गांधी के जीत के अंतर को कम किया.
लेकिन शायद ये आखिरी बार था जब स्मृति ईरानी किसी पॉजिटिव वजह से सुर्खियों में रही हों. हालांकि उस समय भी नईनवेली सरकार इस निर्णय की आलोचना इस बात पर हुई थी कि एक ऐसे व्यक्ति को देश की शिक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी सौंपी गई है जो कभी कॉलेज भी नहीं गया. लेकिन उस समय सरकार बिल्कुल नई बनी थी और पीएम नरेंद्र मोदी को लेकर देशभर में जबरदस्त खुमार था, सो निर्णय पर बहुत विवाद नहीं हुआ. लेकिन HRD मंत्री रहते हुए स्मृति ईरानी इतनी बार विवादों में फंसीं कि आखिरकार सरकार को अपना निर्णय वापस लेना पड़ा और उनका मंत्रालय बदलना पड़ा.
HRD मंत्री रहते हुए कई ऐसे बड़े वाकये हुए जिसकी वजह से स्मृति विवादों में रहीं.
1- रोहित वेमुला आत्महत्या और जेएनयू विवाद
2- कई विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को हटाए जाने का निर्णय
3- आईआईटी में संस्कृत पढ़ाए जाने का प्रस्ताव
4- डिग्री विवाद
5- केंद्रीय विद्यालयों में जर्मन की जगह संस्कृत को ऑप्शनल सब्जेक्ट बनाने का विवाद
6- आईआईटी के डायरेक्टर का पद छोड़ना
7- न्यूक्लियर साइंटिस्ट अनिल काकोदकर का स्मृति ईरानी पर आरोप लगाकर पद छोड़ना
8- HRD मंत्रालय के अधिकारियों का अपने होम कॉडर वापस लौटना
ये कुछ ऐसे बड़े मामले थे जिन्होंने स्मृति ईरानी के HRD मंत्रित्व काल को लगातार उथल-पुथल भरा बनाए रखा. तकरीबन दो साल के अपने कार्यकाल के दौरान स्मृति कभी भी विवादों से बाहर नहीं रहीं. 2014 सरकार बनने के समय जो आलाकमान उनके सपोर्ट में था वो दो साल बीतते-बीतते मंत्रालय बदलने पर मजबूर हो गया. लगातार दो सालों के विवाद को लेकर उस समय अमेरिकी अखबार वाशिंगटन पोस्ट में एक खबर भी लिखी गई थी जिसमें स्मृति ‘ ताकतवर मंत्री और विवादों की रानी ’ बताया गया था.
आखिरकार जुलाई 2016 में स्मृति ईरानी से HRD मंत्रालय छीन लिया गया और सूचना और प्रसारण मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई. सरकार ने भले ही उन्हें HRD मंत्रालय से हटाया था लेकिन फिर दूसरा महत्वपूर्ण मंत्रालय सौंपा गया. शायद उन्हें दूसरा मौका दिया जा रहा था.
लेकिन स्मृति यहीं नहीं रुकीं. ज्यादा समय नहीं बीता जब इस मंत्रालय में भी उन्हें विवादों का साथ मिल गया. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने फेक न्यूज (फर्जी खबरों) पर अंकुश लगाने के उपायों के तहत बयान जारी कर कहा था कि अगर कोई पत्रकार फर्जी खबरें करता हुआ या इनका दुष्प्रचार करते हुए पाया जाता है तो उसकी मान्यता स्थायी रूप से रद्द की जा सकती है.
बयान में कहा गया था कि पत्रकारों की मान्यता के लिए संशोधित दिशा-निर्देशों के मुताबिक अगर फर्जी खबर के प्रकाशन या प्रसारण की पुष्टि होती है तो पहली बार ऐसा करते पाए जाने पर पत्रकार की 6 महीने के लिए मान्यता निलंबित की जाएगी. जबकि दूसरी बार ऐसा करते पाए जाने पर उसकी मान्यता 1 साल के लिए निलंबित की जाएगी. वहीं तीसरी बार अगर इसका उल्लंघन होता है तो पत्रकार (महिला/ पुरुष) की मान्यता स्थायी रूप से रद्द कर दी जाएगी.
अगस्त 2017 में समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा एक तस्वीर जारी करने को लेकर भी एक ट्वीट कर स्मृति विवादों में आ गई थीं. उस ट्वीट में स्मृति ईरानी एजेंसी लगभग धमकाने के अंदाज में नजर आ रही थीं. इसके बाद पीटीआई ने इसके लिए माफी भी मांगी थी. लेकिन सार्वजनिक प्लेटफॉर्म पर इस अंदाज समाचार एजेंसी को बोलने के लिए सोशल मीडिया पर स्मृति की खूब किरकिरी हुई थी.
कपड़ा मंत्रालय में एक वरिष्ठ अधिकारी रश्मि वर्मा के साथ विवादों को लेकर स्मृति चर्चा में रहीं. स्थिति यहां तक पहुंच गई कि पीएमओ को हस्तक्षेप करना पड़ा.
हालांकि स्मृति के पास कपड़ा मंत्रालय अब भी बना हुआ है. लेकिन अगर एक मंत्री के तौर पर उनके कामकाज की समीक्षा की जाए तो बीते चार सालों में उनके अच्छे कामों की कम, विवादों की ही चर्चा ज्यादा रही है. HRD मंत्री रहते हुए उनके अधिकारियों के होम कैडर वापस जाने की खबर ने काम-काज के तरीकों पर भी सवाल खड़े किए थे.
संभव है अब जब स्मृति के पास कपड़ा मंत्रालय है और दो बार महत्वपूर्ण मंत्रालय छीन लिए गए हों तो 2019 के चुनाव के पहले वो विवादों से ज्यादा अपना मंत्रालय चमकाने का काम करें.