सुप्रीम कोर्ट के चार जजों के प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद यह विवाद गहराता ही जा रहा है. हो सकता है कि यह मुद्दा संसद में भी उठे. हालांकि सरकार ने अब तक इस विवाद से दूरी बना कर रखी है लेकिन विपक्ष इस मुद्दे को लगातार उठा रही है.
प्रमुख वामपंथी पार्टी सीपीएम मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग लाने पर विचार कर रही है. इसको लेकर वह मुख्य विपक्षी दलों के साथ इसकी संभावना पर विचार-विमर्श भी कर रही है.
सीपीएम ने मंगलवार को दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट का संकट अभी तक सुलझ नहीं सका है. इससे पहले कांग्रेस द्वारा भी सीजेआई के खिलाफ संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाने विचार करने की खबर भई सामने आ चुकी है.
सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी ने सीजेआई दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने पर चर्चा करने की बात कही है. उन्होंने कहा, ‘ऐसा लगता है कि अभी तक इस संकट (सुप्रीम कोर्ट में उठा विवाद) का समाधान नहीं हो सका है. लिहाजा, कार्यपालिका द्वारा हस्तक्षेप कर अपनी भूमिका निभाने का समय आ गया है. हमलोग सीजेआई के खिलाफ बजट सत्र में महाभियोग प्रस्ताव लाने की संभावनाओं पर विपक्षी दलों के साथ विचार-विमर्श कर रहे हैं.’
शीर्ष अदालत के चार वरिष्ठ जजों ने प्रेस कांफ्रेंस कर मुख्य न्यायाधीश की कार्यशैली पर सवाल उठाया था. इसमें सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे वरिष्ठ जज जस्टिस जे. चेलेमेश्वर, जस्टिस जोसेफ कुरियन, जस्टिस रंजन गोगोई और जस्ब्सि मदन बी. लोकुर शामिल थे. इस ऐतिहासिक घटना के बाद इस संकट को खत्म करने का प्रयास शुरू कर दिया गया था.
सुप्रीम कोर्ट के चारों वरिष्ठतम जजों ने 12 जनवरी को कई अन्य मसलों को उठाया था. जजों ने संवेदनशील याचिकाओं के आवंटन और सीजेआई द्वारा पीठ गठित करने के तौर-तरीकों पर सवाल उठाया था. जस्टिस चेलेमेश्वर ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट को सुरक्षित रखे बिना लोकतंत्र को नहीं बचाया जा सकता है.