एआईएमआईएम के नेता अकबरुद्दीन ओवैसी के बयान पर शिवसेना ने पलटवार किया है. ओवैसी पर हमला बोलते हुए शिवसेना ने उन्हें महाराष्ट्र में इस तरह के बयान देने की चुनौती दे डाली है.
शिवसेना ने कहा है कि अगर अकबरुद्दीन ओवैसी इस तरह का बयान महाराष्ट्र के भीतर आकर दें तो उनका पक्का इलाज कर दिया जाएगा. शिवसेना की तरफ से प्रधानमंत्री मोदी से भी ओवैसी के खिलाफ कारवाई करने की मांग की गई है.
शिवसेना एक बार फिर से महाराष्ट्र में अपने हिंदुत्व के बेस को बढ़ाने की तैयारी में है. लिहाजा अब पार्टी की तरफ से ओवैसी के बयान पर इतना कड़ा प्रहार किया जा रहा है. अकबरुद्दीन ओवैसी के निशाने पर संघ परिवार था. वीएचपी से लेकर बजरंग दल को ओवैसी चुनौती दे रहे थे. उन्होंने अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पर सीधे-सीधे हमला बोला.
बयान की निंदा बीजेपी की तरफ से भी की गई है. लेकिन, चुनौती शिवसेना ने दी है. बीजेपी ने अकबरुद्दीन ओवैसी के भाषण को देश और समाज को बांटने वाला बयान बताया है.
अकबरुद्दीन ओवैसी ने अपने हाल के बयान में सीधे-सीधे प्रधानमंत्री को चुनौती दी है. ओवैसी ने अपने विवादास्पद बयान में कहा है कि 'वीएचपी वालों, बजरंग दल वालों और नरेंद्र मोदी कान खोलकर सुन लो ये मुल्क किसी के बाप की जागीर नहीं है. जितना तुम्हारा हक इस मुल्क पर है, उतना ही हमारा हक भी इस मुल्क पर है.'
ओवैसी ने अपने भड़काऊ भाषण में जिस अंदाज में सीधे प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा है उससे उस घिनौनी राजनीति की ही तस्दीक होती है जो अबतक समाज को बांटती रही है.
अकबरुद्दीन ओवैसी के इस तरह के बयान ने एक बार फिर से उनकी उसी सोच और राजनीति को सामने लाया है. अकबरुद्दीन ने पहली बार इस तरह का विवादास्पद बयान नहीं दिया है. वो पहले भी अपने भड़काऊ बयानों को लेकर चर्चा में रहे हैं.
2013 में भड़काऊ भाषण के चलते जेल जा चुके हैं
जनवरी 2013 में अपने भड़काऊ भाषण के कारण ओवैसी को हवालात की हवा खानी पड़ी थी. उस वक्त ओवैसी के ऊपर एक समुदाय विशेष के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगा था. तब उनपर अपने जहर बुझे भाषण के सिलसिले में देशद्रोह से लेकर आपराधिक साजिश तक का मामला दर्ज हुआ था.
लेकिन, लगता है उससे ओवैसी ने कोई सीख नहीं ली है. वरना इस तरह की बेकार की बयानबजी से वो बाज आते.
दरअसल, अकबरुद्दीन ओवैसी के बड़े भाई और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी की कोशिश अपनी पार्टी को विस्तार देने की रही है. एआईएमआईएम के अध्यक्ष के तौर असदुद्दीन ओवैसी महाराष्ट्र में भी कई सीटों पर अपनी पार्टी के उम्मीदवारों को खड़ा करते रहे हैं.
इसके अलावा बिहार से लेकर यूपी तक हर विधानसभा चुनाव में मुस्लिम बहुल इलाके में अपने उम्मीदवार उतारकर अपनी पैठ बढाने मे लगे हैं. मुसलमानों के सच्चे हितैषी बनने का दावा करने वाले ओवैसी बंधु उनकी समस्या को उठाते हैं. दूसरी पार्टियों के उपर मुसलमानों के साथ अबतक छल करने का आरोप लगाते हैं.
लेकिन, अपनी इसी नापाक कोशिश में अकबरुद्दीन ओवैसी बीजेपी और संघ विरोध के नाम पर मर्यादा की सभी हदें तोड़ जाते हैं. उनके ताजा बयान ने एक बार फिर से नए विवाद को जन्म दे दिया है. इस पर शिवसेना से लेकर बीजेपी की प्रतिक्रिया ने इस बवाल और विवाद को और ज्यादा बढ़ा दिया है.