view all

NRC: शिवसेना केंद्र के साथ, कहा- विदेशी नागरिकों को चुनकर बाहर निकालना देशभक्ति का काम

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा है, 'विदेशी नागरिकों को चुनकर बाहर निकालने का काम देशभक्ति का ही है और ऐसी हिम्मत दिखाने के लिए हम केन्द्र सरकार का अभिनंदन कर रहे हैं

Bhasha

राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) के मसौदे पर केन्द्र का साथ देते हुए शिवसेना ने सवाल किया कि 'असम से विदेशी नागरिकों को बाहर निकालने वाली सरकार क्या डेढ़ लाख कश्मीरी पंडितों की घर वापसी का साहस दिखाएगी?'

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा है, 'विदेशी नागरिकों को चुनकर बाहर निकालने का काम देशभक्ति का ही है और ऐसी हिम्मत दिखाने के लिए हम केन्द्र सरकार का अभिनंदन कर रहे हैं. विदेशी नागरिक फिर चाहे वे बांग्लादेशी हों अन्यथा श्रीलंका के, पाकिस्तानी हों या म्यामां के रोहिंग्या मुसलमान... उन्हें देश से बाहर निकालना ही होगा.'


सामना ने अपने संपादकीय में लिखा, 'असम में जो कुछ हो रहा है, वह जम्मू-कश्मीर में भी हुआ होता तो देश के घर-घर पर हिन्दुत्व का भगवा ध्वज लहराने के लिए जनता मुक्त हो गई होती.'

असम में एनआरसी का अंतिम मसौदा जारी होने के बाद राजनीतिक उथल-पुथल की स्थिति पैदा हो गई है. बीजेपी और कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दल, दोनों ही एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं.

असम एनआरसी में करीब 40 लाख आवेदकों के नाम शामिल नहीं किए गए हैं. बेहद लंबी प्रक्रिया के बाद तैयार एनआरसी पूर्वोत्तर राज्य में अवैध तरीके से रहने वालों की पहचान करने के लिए तैयार की गई है.

सामना ने लिखा है, 'राष्ट्रीय सुरक्षा का सवाल सिर्फ असम के 40 लाख घुसपैठियों तक सीमित नहीं है. कश्मीर की स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है तथा पाकिस्तान में इमरान खान का मुखौटा धारण कर फौजी शासन आने से खतरा और अधिक बढ़ गया है.'

शिवसेना ने केन्द्र से सवाल किया है, 'असम के 40 लाख विदेशी नागरिकों ने उस राज्य के भूगोल, इतिहास और संस्कृति को मार डाला है. यही कश्मीर के बारे में भी हो रहा है. असम से विदेशी नागरिकों को बाहर निकालने वाली सरकार क्या डेढ़ लाख कश्मीरी पंडितों की कश्मीर में घर वापसी कराने की हिम्मत दिखाएगी?'

शिवसेना का कहना है, 'यह सवाल प्रखर हिन्दुत्व का नहीं बल्कि असम के घुसपैठियों जितना ही राष्ट्रीय सुरक्षा तथा हिन्दू संस्कृति से भी जुड़ा हुआ है.'

सामना ने लिखा है, 'कश्मीर से हिन्दुओं का सम्पूर्ण खात्मा आतंक के बल पर हुआ है. इस आतंक को खत्म कर मोदी सरकार को कश्मीरी पंडितों के लिए रेड कार्पेट बिछाना चाहिए था. पर रेड कार्पेट बगल में रह गए, उनके पैरों तले की दरी भी खींच ली है.'

शिवसेना का कहना है, 'सत्ता में आते ही धारा 370 रद्द करेंगे, कश्मीर को बंधन मुक्त करेंगे, ऐसी बात इंदिरा गांधी, राजीव गांधी या मनमोहन सिंह ने नहीं की थी. वे सभी कमजोर मन के थे. मगर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हिन्दुस्तानी जनता को ऐसा वचन दिया था कि सत्ता में आते ही धारा 370 रद्द कर कश्मीर पर सिर्फ तिरंगा लहराएंगे.'

उसका कहना है, 'एनआरसी मतलब राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को लागू करना जिस तरह हिम्मत का और राष्ट्रीय कार्य है, उसी तरह धारा 370 को रद्द कर राष्ट्रीय तेवर दिखाना भी उतना ही हिम्मत का राष्ट्रीय कार्य है.'

सामना ने लिखा है, 'असम के 40 लाख विदेशी नागरिकों का सवाल हल करने के लिए हम मोदी सरकार का अभिनंदन, त्रिवार अभिनंदन कर रहे हैं. लेकिन साहब, अब कश्मीर के घुसपैठियों, तिरंगा जलाने वालों और पाकिस्तानी झंडा लहराने वालों की ओर भी जरा देखो.'