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बिहारी बाबू ने तेजस्वी का बचाव फोकट में नहीं किया है

आखिर क्यों पार्टी लाइन के खिलाफ बोल रहे हैं शत्रुघ्न सिन्हा

Kanhaiya Bhelari

पटना साहिब लोकसभा से बीजेपी सांसद और अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा ने पार्टी लाइन से हटकर भ्रष्टाचार का आरोप झेल रहे बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का बचाव यू ही नहीं किया है. गहन विवेचना करने पर उनके लालटेनमय बयान के पीछे किसी राजनीतिक सौदे की बू आ रही है.

कहते हैं कि लालू प्रसाद की मदद करके शॉटगन ने 2019 जनेरल इलेक्शन के लिए बतौर आरजेडी प्रत्याशी अपनी दावेदारी एक तरह से कंफर्म कर ली है. ऐसा इसलिए क्योंकि दिखने लगा है कि अपनी पार्टी में इस हीरो की हैसियत आज की तारीख में जीरो हो गई है.


हालांकि फ़र्स्टपोस्ट हिंदी से टेलीफोन पर हुई बातचीत में सिन्हा ने जोरदार तरीके से खंडन किया कि लालू प्रसाद यादव के साथ उनकी किसी तरह की राजनीतिक डील हुई है. अपने स्टाइल में सिन्हा ने हंसते हुए कहा, ‘आपकी जानकारी के लिए बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व से मेरे ठीकठाक संबंध हैं. ईश्वर की अनुकंपा से टिकट की चिंता नहीं है और न ही इसकी परवाह करता हूं.'

एक सवाल के जवाब मे उन्होंने कहा कि ‘जो नेता पार्टी से मेरी निष्कासन की मांग कर रहा है उसका नाम तो नहीं लूंगा, लेकिन इतना जरूर कहूंगा कि बेचारे की चल नहीं रही है.'

'पहले आरोप साबित हों, फिर इस्तीफा मांगें'

सिन्हा का कहना है कि सिर्फ आरोप लगने पर इस्तीफा मांगना गलत है. उन्होंने बातचीत में कहा कि पहले भी कई लोगों पर आरोप लगे हैं, चार्जशीट तक दाखिल हुई है लेकिन उनलोगों ने अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया है. शॉटगन यहीं नहीं रूके. उन्होंने आगे कहा, 'हर राजनीतिक दल में ऐसे लोग हैं जिनके खिलाफ कई अपराधिक मुकदमे चल रहे हैं लेकिन उन्हें बाहर नहीं किया गया है.'

उन्होंने कहा कि सीबीआई का ट्रैक रिकॉर्ड ठीक नहीं हैं. हो सकता है कि किसी राजनीतिक साजिश के तहत तेजस्वी यादव को नाहक फंसाया जा रहा हो. 'मुझे न तो किसी को सपोर्ट करना है न विरोध, मेरा तो इतना ही सुझाव है कि जल्दबाजी में किसी को किसी के खिलाफ नहीं बोलना चाहिए. हमें और प्रतीक्षा करनी चाहिए.'

बीजपी नेता आरोप लगाते हैं कि केंद्र सरकार में मंत्री नहीं बनाए जाने की वजह से शत्रुघ्न सिन्हा बागी की भूमिका में आ गए हैं. आए दिन अपने विवादित बयानों से मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा करने की जहमत उठाते रहते हैं.

एक नेता ने बताया कि आवाज से सबको ‘खामोश’ करने की मंशा रखने वाले सिन्हा को बीजेपी शीर्ष नेतृत्व से संकेत मिल गया है कि तीसरी बार टिकट नहीं मिलने वाला है. उनके अनुसार, अगर कोई बड़ा उलटफेर नहीं हुआ तो कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद का पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनना लगभग तय है.

मोदीराज में घटा सिन्हा का जलवा

शत्रुघ्न सिन्हा बिंदास प्रवृति की शख्सियत हैं. सिनेमाई दुनिया में धमाल मचाने वाले सिन्हा की राजनीति करने की भी अपनी एक अलग शैली रही है. अपनी राजनीतिक पारी 80 के दशक में इन्होंने भगवा जमात की अगली कतार में बैठकर शुरू की. अबतक की राजनीतिक बैटिंग में इन्होंने राज्यसभा या लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए किसी नेता के आगे टिकट के लिए मुंह नहीं खोला. चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की और टिकट अपने आप इनके घर पहुंच गया. तभी तो इनके समर्थक गर्व से कहते रहे हैं कि 'हमारे शत्रु भैया टिकट मांगते बल्कि ग्रैब करते हैं.'

लेकिन 'हर दिन होत न एक समाना'. नरेंद्र मोदी के सत्ता में आते ही सबकुछ बदल हो गया. सिन्हा 'होप अगेंस्ट होप' कर रहे थे कि 2014 में गठित पहले मंत्रिमंडल में ही जगह मिल जाएगी. लेकिन जब अगले वर्ष मंत्रिपरिषद विस्तार के बाद भी शपथ लेने का मौका नहीं मिला तो शॉटगन का सब्र का बांध टूट गया. केंद्रीय नेतृत्व के खिलाफ उन्होंने अनाप-शनाप बयान देना शुरू कर दिया.

सुशील मोदी ने शत्रुध्न सिन्हा को हाल ही में 'गद्दार' तक करार दे दिया है

राजनीतिक ‘वनवासी’ और मार्गदर्शक मंडल के सदस्य लालकृष्ण आडवाणी की तारीफ में कसीदे गढ़ने लगे. पीएम मोदी के धुर विरोधी नीतीश कुमार और लालू प्रसाद को महिमामंडित करने का बीड़ा उठा लिया. बिहारी बाबू की एंटी-पार्टी गतिविधियों से परेशान होकर बीजपी नेता व पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने इनके खिलाफ सख्त कार्यवाई करने की गुहार भी केंद्रीय नेतृत्व से लगाई है. मोदी ने कहा है कि पार्टी के भीतर के दुश्मनों को बाहर का रास्ता जल्दी दिखाना चाहिए.

बीजेपी की राज्य इकाई ने बिहारी बाबू को अघोषित बागी का तगमा दे दिया है. पार्टी के किसी कार्यक्रम में इनको नहीं बुलाया जाता है. बहरहाल, साइंस के विद्यार्थी रहे सिन्हा ने गुणा-भाग कर निष्कर्ष निकाल लिया है कि बिहार की राजनीतिक संग्राम में लालू प्रसाद के पक्ष में रहने पर ही आगे आने वाले दिनों मे शुद्ध राजनीतिक लाभ होगा.