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जॉर्ज फर्नांडिस जैसा होने वाला है शरद का हश्र, खट्टे-मीठे रिश्ते का अंत जल्द!

जॉर्ज की तरह शरद कोई मास लीडर नहीं हैं ऐसे में नीतीश के लिए कड़ा फैसला लेना मुश्किल नहीं होगा

Alok Kumar

गुरुवार को राज्य के दौरे के लिए पटना पहुंच रहे शरद यादव जल्द ही जेडीयू से दरकिनार किए जा सकते हैं.

वरिष्ठ समाजवादी नेता शरद यादव ने नीतीश के खिलाफ मोर्चा खोल लिया है और वह उनके 'जनता के फैसले के साथ धोखे' के खिलाफ राज्यभर में जा कर लोगों को बताएंगे. ध्यान रहे कि पार्टी की शरद को साफ कह दिया है ऐसी कोई यात्रा ना करें.


गौरतलब है कि 19 अगस्त को जेडीयू ने पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है. इसमें शरद के भविष्य पर कोई बड़ा फैसला होने की पूरी-पूरी संभावना है. नीतीश के करीबी नेताओं ने पहले ही शरद से दूरी बनानी शुरू कर दी है. जेडीयू ने अपने नेताओं को कह रखा है कि शरद के किसी कदम का समर्थन नहीं करना है.

नीतीश बोले-अड़चन हट जाए तो ओर बढ़िया

26 जुलाई को जब नीतीश ने महागठबंधन छोड़ अगले दिन बीजेपी के साथ सरकार बना ली थी तब वह पटना ना आ कर दिल्ली में ही रुके रहे. शुरू में उन्होंने विपक्ष के नेताओं और जेडीयू के अन्य विद्रोहियों के साथ मुलाकातें कीं पर कोई नया मोर्चा बनाने की अटकलों को खारिज कर दिया.

इस बीच जब नीतीश से शरद के बारे में पूछा गया तो उनका जवाब था कि अगर उनके रास्ते से अन्य अड़चनें भी हट जाएं तो और भी अच्छा होगा.

शरद को समझ में आ चुका था कि उनके साथ क्या होने वाला है इसलिए अब विद्रोह के अपने स्टैंड को उन्होंने बिलकुल साफ कर दिया है. साथ ही लालू यादव तो पहले ही कह चुके हैं कि वो शरद के साथ संपर्क में हैं. बुधवार को भी लालू ने कहा कि शरद ने तो जनता दल की स्थापना की थी. वो दोबारा हमारे साथ आएंगे इसलिए बिहार में 'महागठबंधन' जारी रहेगा.

'क्यों जा रहे हैं कांग्रेस के साथ?'

न्यूज़18 को पार्टी के एक प्रवक्ता ने बताया कि पार्टी कार्यकर्ता उनके इस कदम से बेहद नाखुश है. उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी के नेता उनकी यात्रा के रास्ते में उनका पुरजोर विरोध करेंगे.

इस बीच जेडीयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने शरद यादव पर तंज कसते हुए कहा, 'शरद यादव अपनी हकीकत खुद ही भूल गए हैं. उन्होंने तो हवाला कांड में नाम आने पर खुद ही संसद से इस्तीफा दे दिया था. फिर आज वो कांग्रेस की लाइन क्यों ले रहे हैं?'

नीतीश ने हाल ही में शरद के करीबी अरुण श्रीवास्तव को राज्यसभा चुनाव में पार्टी विरोधी गतिविधि के लिए हटा दिया है. अरुण शरद के विद्रोह के बाद भी उनके साथ संपर्क में बने हुए थे.

बताया तो ये भी जाता है कि जब से शरद को पार्टी अध्यक्ष के पद से हटना पड़ा, वह नीतीश से नाखुश थे. इसके बाद शरद को राज्यसभा भेज दिया गया. ध्यान रहे कि वयोवृद्ध समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नान्डिस के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था. पार्टी द्वारा फर्नान्डिस को मुजफ्फरपुर से लोकसभा का टिकट नहीं दिया गया था. अगर ऐसा होता तो वह 10वीं बार लोकसभा पहुंच जाते जो अब तक सिर्फ अटल बिहारी वाजपेयी और सोमनाथ चटर्जी ने ही किया है.

जब जॉर्ज को निकाला फिर शरद क्या हैं?

जॉर्ज ने विद्रोह किया और निर्दलीय चुनाव लड़े. नीतीश ने तुरंत जॉर्ज को पार्टी से निकाल दिया. हालांकि बाद में दबाव में जॉर्ज को पार्टी ने राज्यसभा भेज दिया.

पार्टी के नेता कह रहे हैं कि शरद यादव भी आज उसी रह पर चल निकले हैं. नीतीश के करीबी बताते हैं, 'संयोग देखिए कि जॉर्ज की तरह शरद भी बाहरी हैं. अंतर ये है कि जॉर्ज की तरह शरद कोई मास लीडर नहीं हैं. ऐसे में नीतीश के लिए कोई कड़ा फैसला लेना मुश्किल नहीं होगा.'

सूत्रों के मुताबिक शरद की यह यात्रा जेडीयू नेता के रूप में उनकी आखिरी यात्रा हो सकती है.