view all

शरद पवार की भविष्यवाणी: 2019 के चुनाव से पहले महागठबंधन मुमकिन नहीं

कांग्रेस और बीजेपी के खिलाफ एकमुश्त लड़ाई और किसी महागठबंधन के अस्तित्व से पवार का इनकार इस बात की ओर इशारा है कि वे क्षेत्रीय पार्टियों का वजूद ही अगले चुनावों में अहम मान रहे हैं जो पार्टियां अपने-अपने स्तर पर सीटें झटकेंगी

FP Staff

देश में चारों ओर 2019 लोकसभा चुनावों से पहले बीजेपी के खिलाफ महागठबंधन बनने की अटकलें चल रही हैं. इस बीच एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने एक बड़ा बयान दिया है. पवार की मानें तो वे चुनाव से पहले कोई गठबंधन बनता नहीं देख रहे हैं.

CNN-News18 से एक इंटरव्यू में पवार ने कहा, ऐसी समझ राज्यों में दलों के क्षेत्रीय मजबूती के कारण 'व्यावहारिक नहीं है.' पवार ने कहा, 'मीडिया में कई अटकलें हैं, एक वैकल्पिक महागठबंधन के लिए बहुत कुछ लिखा गया लेकिन मैं ऐसा कुछ नहीं देख पा रहा हूं. मैं कोई संभावना नहीं देख रहा हूं.'


पवार ने कहा, 'मेरे मूल्यांकन के मुताबिक, यह एक राज्यवार स्थिति होगी. तमिलनाडु जैसे राज्य हो सकते हैं, जहां नंबर एक पार्टी डीएमके होगी और अन्य गैर-बीजेपी दलों को इसे स्वीकार करना होगा. यदि आप कर्नाटक, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब जाते हैं, तो आप पाएंगे कि कांग्रेस नंबर एक पार्टी होगी. आंध्र प्रदेश में तेलुगू देशम पार्टी को स्वीकार करना होगा. तेलंगाना में के. चंद्रशेखर राव की पार्टी महत्वपूर्ण होगी. ओडिशा में नवीन पटनायक महत्वपूर्ण होंगे. बंगाल में ममता बनर्जी होगी. ये लोग राज्य के नेता के रूप में अपने राज्यों में गठबंधन के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत नहीं करेंगे.'

गैर-बीजेपी पार्टियों पर जोर

हालांकि, पवार ने चुनाव के बाद गैर-बीजेपी पार्टियों के साथ आने की संभावना को कम नहीं माना है. पवार ने कहा, 'चुनाव के बाद, पूरी संभावना है कि यह सभी नेता एक साथ आएंगे क्योंकि चुनाव का कुल जोर बीजेपी के खिलाफ था. ये सभी शक्तियां एक साथ आ जाएंगी और कुछ विकल्प मिलेंगे ताकि देश की लगाम बीजेपी को सौंप ना सके. मुझे विश्वास है.'

पवार ने दोहराया, 'चुनाव के पहले कोई गठबंधन नहीं होगा.' कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के प्रधानमंत्री बनने की संभावना और संभावनाओं पर पवार ने कहा, 'मैं यह नहीं कह सकता, किसी भी व्यक्ति के बारे में कुछ भी नहीं कह सकता ... आखिरकार, उनकी स्वीकार्यता महत्वपूर्ण है.'

क्षेत्रीय पार्टियों की जीत अहम

इस बयान से साफ है कि पवार अगले लोकसभा चुनावों में सभी पार्टियों को अपने-अपने स्तर पर लड़ने की संभावना देख रहे हैं. पवार पहले भी ऐसा बयान दे चुके हैं जिसमें वे बीजेपी के खिलाफ किसी गठबंधन को लेकर आशान्वित नहीं दिखे. इसका यह मतलब कतई नहीं निकाला जाना चाहिए कि उनका बीजेपी के प्रति 'सॉफ्ट कॉर्नर' है. मौका मिलते ही उन्होंने बीजेपी को भी आड़े हाथों लिया है. अभी हाल में बीजेपी पर हमला बोलते हुए पवार ने कहा कि संविधान को बदलने की किसी भी कोशिश का आम जनता कड़ा विरोध करेगी. इस क्रम में उन्होंने कांग्रेस को भी निशाने पर लिया.

पवार ने कहा कि लोगों ने 1975 में इमरजेंसी लागू करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को (1977 के चुनाव में) ‘सबक सिखाया’ था. केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगड़े की टिप्पणियों का जिक्र करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि संविधान को बदलना सत्तारूढ़ बीजेपी की नीति है.

पवार का इशारा कहां?

एनसीपी प्रमुख ने कहा, ‘लोग संविधान बदलने की कोशिश करने वाले लोगों को बर्बाद कर देंगे. एनसीपी सत्तारूढ़ सरकार को सत्ता से हटाने की लड़ाई लड़ेगी. लड़ाई आसान नहीं है लेकिन हम अंत तक लड़ेंगे.’

कांग्रेस और बीजेपी के खिलाफ एकमुश्त लड़ाई और किसी महागठबंधन के अस्तित्व से पवार का इनकार इस बात की ओर इशारा है कि वे क्षेत्रीय पार्टियों का वजूद ही अगले चुनावों में अहम मान रहे हैं जो पार्टियां अपने-अपने स्तर पर सीटें झटकेंगी.