महाराष्ट्र के चीफ मिनिस्टर देवेंद्र फडणवीस का मानना है कि कर्ज माफी से केवल बैंकों को मदद मिली है और ज्यादातर कोऑपरेटिव बैंक एनसीपी और कांग्रेस के नियंत्रण वाले हैं.
पूर्व मुख्यमंत्री और एनसीपी प्रेसिडेंट शरद पवार ने कहा है कि यह एक आधारहीन आरोप है और फडणवीस की अपरिपक्वता को दिखाता है. पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री पवार ने कहा, ‘मुख्यमंत्री और उनकी कैबिनेट के सहयोगी गलत आंकड़े देने के लिए राष्ट्रीयकृत बैंकों पर दोष मढ़ रहे हैं. उनके मुताबिक, इन राष्ट्रीयकृत बैंकों पर भी एनसीपी और कांग्रेस का नियंत्रण है. यह अपनी जिम्मेदारी से भागना है. जो कुछ भी उन्होंने कहा है वह आधारहीन है. गुजरे चार महीने से वह महाराष्ट्र के गरीब किसानों को झूठे वादों से भरमाते आए हैं.’
पवार की योजना है कि अगर 5 नवंबर तक कर्ज माफी स्कीम को लागू नहीं किया गया तो वह किसानों का असहयोग आंदोलन शुरू कर देंगे.
फ़र्स्टपोस्ट के मंगलवार को अनियमितताओं को लेकर खुलासा करने के बाद फडणवीस को विपक्ष के कड़े सवालों का सामना करना पड़ रहा है. साउथ मुंबई के अपने सिल्वर ओक एस्टेट रेजिडेंस में फ़र्स्टपोस्ट को दिए इंटरव्यू में पवार ने किसान कर्ज माफी स्कीम को लागू करने को लेकर सरकार की कड़ी आलोचना की.
पवार ने कहा, ‘यूपीए शासन में हमने 71,000 करोड़ रुपए का देश की सबसे बड़ी कर्ज माफी योजना लागू की. उसमें से महाराष्ट्र को 2008-09 के दौरान कर्ज माफी के तौर पर 8,000 करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम मिली. हमने इस स्कीम को आसान तरीके से लागू किया. हमने एक कमेटी गठित की और इसके रिपोर्ट सबमिट करने के बाद हमने बैंकों के साथ चर्चा की. हमने पैसा सीधे बैंकों में जमा करा दिया. हमने बैंकों से कहा कि वे डिफॉल्ट करने वाले किसानों की लिस्ट बनाएं और फिर हमने लोन माफ कर दिए. यह बेहद आसान रहा. लेकिन, बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार और खासतौर पर मुख्यमंत्री का बैंकों पर कोई भरोसा नहीं है. यह मेरे लिए काफी चौंकाने वाली चीज है.’
आंकड़ों का खेल खेल रही है सरकार
एनसीपी सुप्रीमो का यह भी मानना है कि राज्य सरकार आंकड़ों का खेल खेल रही है. उन्होंने कहा, ‘यह बैंकों का मामला नहीं है. फडणवीस का अपने विभाग और नौकरशाहों पर ही भरोसा नहीं है. वह अफसरों की एक समानांतर संस्था तैयार कर रहे हैं जो कि राज्य की बजाय केवल उनके लिए काम कर रही है. मैंने इस तरह के बचपने वाला मुख्यमंत्री अब तक नहीं देखा है.’
पवार ने कहा, ‘एक मुख्यमंत्री के तौर पर आपकी सिस्टम, मशीनरी, बैंकों और अफसरों में पूरी आस्था होनी चाहिए. लेकिन, दुर्भाग्य से फडणवीस ने ऑनलाइन फॉर्म्स, आधार से लिंक और अन्य जानकारी के आदेश दिए हैं जो कि फार्म लोन से जुड़ी हुई नहीं है. रूरल महाराष्ट्र में रोजाना आठ घंटे से ज्यादा की लोड शेडिंग हो रही है. बल्कि अगर बिना कटौती के बिजली मिले भी तो निरक्षर किसान तरह से ये ऑनलाइन फॉर्म भरेंगे? यह बेमतलब का काम है. मैंने मीडिया के एक वर्ग से सुना है कि चीफ मिनिस्टर ने आरोप लगाया है कि पिछली बार (यूपीए के वक्त) कर्ज माफी के वितरण में घोटाला हुआ था. यह आधारहीन आरोप है. वह मुख्यमंत्री हैं और अगर उन्हें ऐसा लगता है तो वह इसकी जांच करा सकते हैं.’
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने बताया कि जब पिछली सरकार ने किसानों के कर्ज माफ किए थे तो यह प्रक्रिया चंद हफ्तों में समेट दी गई थी. उन्होंने कहा, ‘हमने रकम को सीधे बैंकों में जमा कर दिया था और इस बार भी तथाकथित कर्ज माफी की रकम भी बैंकों को दी गई है. ऐसे में अंतर क्या है? बीजेपी के प्रोपगैंडा और काम करने का यही तरीका है. वे फर्जी वादे करते हैं और जोर-जोर से झूठ बोलते हैं.’
उन्होंने जिक्र किया कि कर्ज माफी स्कीम में जानबूझकर मुश्किल परिस्थितियां पैदा की गई हैं ताकि किसानों के एक बड़े तबके को इसके फायदों को दूर रखा जा सके. उन्होंने कहा, ‘सरकार ने कर्ज माफी की शर्तों को बार-बार बदला. इस सरकार को प्रशासन की छोटी-छोटी चीजें तक नहीं पता.’
कर्ज माफी के लिए जबरन किया जा रहा है आधार कार्ड अनिवार्य
सरकार इस बात पर कायम रही है कि आधार-बेस्ड लिंकिंग से डुप्लिकेशन से बचा जा सकेगा और फर्जी खातों को कर्ज माफी का फायदा लेने से रोका जा सकेगा. पवार ने कहा, ‘पहली बात, आधार कर्ज माफी के लिए अनिवार्य नहीं है और बैंकों ने कर्ज माफी के लिए आधार कार्ड कभी नहीं मांगे. डिजिटल इंडिया का प्रदर्शन करने के लिए राज्य सरकार केंद्र के निर्देशों पर चल रही है.’
उन्होंने कहा, ‘सरकार ने ऐलान किया था कि 89 लाख किसान कर्ज माफी के योग्य होंगे. बाद में यह आंकड़ा घटाकर 77 लाख कर दिया गया और दो दिन पहले एक सीनियर स्टेट लेवल बैंकर्स कमेटी के अफसर ने मुझे बताया कि यह आंकड़ा अब घटकर 67 लाख पर आ गया है. यह क्या हो रहा है? इस ऐलान को करीब 4 महीने हो रहे हैं. किसानों को हर दिन बेइज्जत क्यों किया जा रहा है. इस गड़बड़झाले का कौन जिम्मेदार है? चीफ मिनिस्टर को महाराष्ट्र की जनता को इन सवालो का जवाब देना चाहिए.’
पवार के मुताबिक, कुछ बैंकों के अधिकारियों ने भी यह माना है कि ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन पोर्टल ‘आपले सरकार’ से मिले आंकड़ों के चलते देरी हुई है. राज्य सरकार ने पिछले हफ्ते 34,022 करोड़ रुपए से ज्यादा की कर्ज माफी स्कीम के पहले चरण के तौर पर 4,000 करोड़ रुपए जारी कर दिए. पवार ने कहा, ‘पैसा कहां है? अगर सरकार ने 4,000 करोड़ रुपये अलग रखे हैं तो वह बैंकों को अपने फंड्स से कर्ज माफी के लिए क्यों नहीं कहती?’
पवार ने दावा किया, ‘यह सब आंकड़े बाजी है. मेरी जानकारी के मुताबिक, कर्ज माफी की कुल रकम 12,000 करोड़ रुपए से ज्यादा नहीं है और जिन किसानों को इस स्कीम का लाभ मिलना है उनकी संख्या 15 लाख से ज्यादा नहीं होगी. ऐसा इसलिए है क्योंकि सरकार के जटिल नियमों के चलते ज्यादातर किसान इस स्कीम का फायदा लेने के लिए अयोग्य हो गए हैं.’
कर्ज माफी स्कीम का फायदा लेने के लिए फॉर्म भरने के लिए ऑनलाइन सिस्टम की आलोचना कर रहे विपक्ष को जवाब देते हुए फडणवीस ने कहा था कि अगर यह कदम नहीं उठाया जाता तो बैंकों के यहां फंड्स का प्रबंधन गड़बड़ा जाता.
पवार ने कहा, ‘चीफ मिनिस्टर को लगता है कि इस लोन माफी से केवल बैंकों की मदद हो रही है और ज्यादातर सहकारी बैंक एनसीपी और कांग्रेस के कंट्रोल में हैं. यह एक बचकाना आरोप है. बैंकों पर किसी राजनीतिक पार्टी का नियंत्रण नहीं है. बैंकिंग एक सिस्टम है और हमारी इकनॉमी इस पर टिकी हुई है. हमें यह नहीं कह सकते कि सभी बैंक डिफॉल्टर या चोर हैं. यह काफी दुखद है कि एक राज्य के मुख्यमंत्री की बैंकिंग सिस्टम में आस्था नहीं है.’
5 नवंबर के बाद एनसीपी करेगी असहयोग आंदोलन
पवार ने कहा कि कर्ज माफी स्कीम कुप्रबंधन का शिकार हुई है. उन्होंने कहा, ‘अर्थव्यवस्था का जल्दी से डिजिटलाइजेशन करने की सनक लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गई है. मैंने कर्ज माफी के ऐलान के बाद सबसे पहले खुलकर फडणवीस का समर्थन किया था. हम इसे राजनीतिक मसला नहीं बनाना चाहते. यह अर्थव्यवस्था और किसानों से जुड़ा मसला है.’
पवार का मानना है कि ऐसा इस वजह से हो रहा है क्योंकि चीफ मिनिस्टर नॉन-कॉडर अफसरों की सलाह पर भरोसा करते हैं. जिन्हें एक डिपार्टमेंट चलाने तक का अनुभव नहीं है उन्हें पूरे राज्य के मसलों को सुलझाने की जिम्मेदारी दी जा रही है.
पवार ने कहा, ‘मंत्रालय के अफसरों की मुहैया कराई गई जानकारियों पर भरोसा करने की बजाय मुख्यमंत्री ऑफिसर्स ऑन स्पेशल ड्यूटी (ओएसडी) की राय पर ज्यादा भरोसा करते हैं, इससे राज्य की मशीनरी में दखल हो रहा है.’
एनसीपी की योजना आर्थिक सुस्ती और कर्ज माफी स्कीम को वक्त पर लागू करने में नाकामी समेत कई मसलों पर फडणवीस सरकार को घेरने की है. पवार ने कहा, ‘राज्य सरकार ने कहा था कि कर्ज माफी स्कीम को दिवाली से पहले लागू कर दिया जाएगा. अब दिवाली गुजर चुकी है, लेकिन एक रुपया भी किसानों के खातों में नहीं आया है. हमने तय किया है कि हम 5 नवंबर तक इंतजार करेंगे, और अगर तब तक कुछ नहीं किया गया तो हम किसानों के साथ असहयोग आंदोलन की शुरुआत कर देंगे.’
उन्होंने कहा, ‘कोई समझौता नहीं किया जाएगा. कर्ज माफी की नीति को सही तरह से लागू नहीं किया गया है. ज्यादातर कर्ज माफी सर्टिफिकेट्स ऐसे किसानों को जारी किए गए हैं जिन्होंने कभी कोई लोन लिया ही नहीं है. इनसे चीजें संभल नहीं रही हैं.’