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एनडी तिवारी से एचवाई मेती तक: भारत के सियासी सेक्स कांडों की गाथा

सेक्स स्कैंडल को लेकर कांग्रेस और बीजेपी समेत सभी राजनीतिक पार्टियों के दामन हैं दागदार

Srinivasa Prasad

कर्नाटक में एक सेक्स कांड को लेकर हंगामा मचा है. जिसके कारण बुधवार को आबकारी मंत्री एचवाई मेती को इस्तीफा देना पड़ा. यह भारत के सियासी सेक्स कांडों के सिलसिले की ताजा कड़ी है.

हाल के सालों में ऐसे मामले भारत के कई राज्यों में हुए हैं. और इसके चलते हम एक सवाल पूछने को मजबूर हैं: क्या भारत के राजनेता ज्यादा ही कामेच्छा से लबालब, अय्याश और पथ भ्रष्ट हैं?


असल में, सियासत सेक्स कांडों का अड्डा नजर आती है. लगता है ताकत का घमंड और शायद कानून से शिकंजे से बच जाने की भावना से टेस्टोस्टेरॉन का स्तर यानी कामेच्छा बढ़ जाती है.

यह ऐसा विषय है जो आधुनिक विज्ञान की पड़ताल से परे है. इस बारे में कभी कोई सेमिनार भी नहीं होता. या फिर राजनेता, यह सोचते हैं कि प्रशासन के मुश्किल और जटिल कामों का उन पर इतना बोझ है कि उससे सेक्स की तरफ भटक जाना जरूरी है.

भारत की राजनीति में होने वाले सेक्स कांडों की तादाद पर गौर करें तो लगेगा कि कभी-कभी बीच अंतराल में शासन-प्रशासन की बात भी हो जाती है. वरना यहां तो साड़ी के पीछे लपलपाए घूमने की कभी न खत्म होने वाली गाथा चल रही है.

 सेक्स, झूठ और वीडियो टेप

बुधवार को कर्नाटक के चैनलों ने 30 सेकंड की एक वीडियो क्लिप चलाई. जिसमें मेती एक महिला के साथ आपत्तिजनक हालत में दिखाई दे रहे हैं. इस टेप ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैय्या को मुश्किल में डाल दिया. लेकिन उन्होंने बिना समय गंवाए मेती को बाहर का रास्ता दिखा दिया.

वीडियो में दिखाई गई महिला 26 साल की एक फिजियोथेरेपिस्ट है. जो राज्य के स्वास्थ्य विभाग में काम करती है. वह किसी मामले में मदद मांगने के लिए मंत्री जी से गेस्ट हाउस में मिलने गई थी. और मंत्री जी उसे देखकर खुद पर काबू नहीं रख सके. और किसी ने यह शॉर्ट मूवी बना ली- पता नहीं किसने.

इस तरह का वीडियो होने की बात लगभग एक हफ्ते से चल रही थी. लेकिन मेती ने सीधे-सीधे इस मामले को खारिज कर दिया. कुछ अन्य मंत्रियों ने कहा कि मेती की उम्र को देखते हुए उन्हें ‘संदेह का लाभ’ दिया जाना चाहिए.  मेती की उम्र 71 साल है.

उम्र का कोई बंधन नहीं

ये मंत्री साफ तौर पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एनडी तिवारी को भूल गए हैं. उन्हें 2009 में उस वक्त आंध्र प्रदेश के राज्यपाल पद से इस्तीफा देना पड़ा था. जब एक तेलुगु चैनल ने एक वीडियो दिखाया, जिसमें एक बुजुर्ग (कथित तौर पर एनडी तिवारी) बिस्तर में तीन नग्न महिलाओं के साथ दिखाई दिए. इस घटना के वक्त तिवारी की उम्र 86 साल थी.

असल में पिछले महीने सिद्धारमैय्या को उस वक्त भी शर्मिंदगी उठानी पड़ी. जब एक टीवी चैनल ने दिखाया कि उनके शिक्षा मंत्री तनवीर अपने मोबाइल पर एक औरत की अशोभनीय तस्वीरें देख रहे थे. जबकि वह उस वक्त टीपू जयंती के एक समारोह में मौजूद थे.

मंत्री जी ने दावा किया कि वह अपने शहर में होने वाले एक ‘ऐसे ही समारोह’ को देख रहे थे. लेकिन एक पुलिस अफसर ने बताया कि मंत्री मेलानिया ट्रंप की जवानी की कुछ मोहक तस्वीरें देख रहे थे. जो जल्द ही अमेरिका की प्रथम महिला बनने जा रही हैं.

 कोई पार्टी नहीं अछूती

आप इस नतीजे पर कतई ना पहुंचे कि ऐसे सेक्स कांड सिर्फ कांग्रेस तक ही सीमित हैं. जिस तरह तिवारी और मेती के लिए उम्र का कोई बंधन नहीं है, उसी तरह इस तरह के मामलों में पार्टी का भी कोई बंधन नहीं है.

यह बात कर्नाटक के बीजेपी नेताओं से बेहतर कौन जानता है. हालांकि अभी वे मेती के मामले में खूब चीख-चिल्ला रहे हैं.

2012 में बीजेपी की सदानंद गौड़ा सरकार के दो मंत्री लक्ष्मण सावदी और सीसी पाटिल विधानसभा में बैठकर एक मोबाइल फोन पर पोर्न क्लिप देख रहे थे.

मंत्रियों ने सोचा होगा कि उत्तरी कर्नाटक के एक शहर में पाकिस्तानी झंडा फहराने के मुद्दे पर सदन में हो रहे हंगामे के बीच थोड़ा सा मनोरंजन किया जाए. लेकिन उनका मजा उस वक्त किरकिरा हो गया जब कुछ टीवी चैनलों ने क्लोज अप शॉट दिखाने शुरू कर दिए. जिसमें आसपास बैठे दोनों मंत्री पोर्न वेबसाइट देख रहे थे.

इन दोनों मंत्रियों और उनके एक साथी, जिसका यह मोबाइल था, सभी को एक दिन बाद इस्तीफा देना पड़ा. सिद्धारमैय्या उस वक्त विपक्ष के नेता थे और उन्होंने इसे ‘अपमानजनक’ बताया था.

राज्यों की कोई सीमा नहीं

कर्नाटक की घटना के एक महीने बाद ही गुजरात में बीजेपी के दो विधायक कथित तौर पर पोर्न देखते पाए गए.

महिला अधिकार कार्यकर्ताओं के हो-हल्ले के बावजूद सामने आए इस मामले में पार्टी ने अपने विधायकों का ही बचाव किया. और कहा कि इस बात के कोई सबूत नहीं है कि विधायक अश्लील क्लिप देख रहे थे.

कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने उस वक्त कहा था, ‘कर्नाटक के बाद अब यह गुजरात में हुआ है. और ऐसा व्यवहार उस पार्टी की तरफ से आ रहा जो शुचिता और संस्कृति की बड़ी-बड़ी बातें करती हैं’.

लेकिन संजय निरुपम भूल गए कि इस मामले में उनकी पार्टी का दामन भी पाक साफ नहीं है.

दिसंबर 2015 में ओडिशा में उनकी पार्टी के एक विधायक नाबा किशोर को एक हफ्ते के लिए विधानसभा से इसलिए सस्पेंड कर दिया गया था. क्योंकि वह सदन में अपने मोबाइल पर कथित तौर पर ‘आपत्तिजनक’ क्लिप देख रहे थे.

कांग्रेस के सदस्यों ने इस निलंबन के खिलाफ हंगामा किया. जैसे मानो उनके विधायक का कारनामा सिर्फ सत्ताधारी बीजू जनता दल के सदस्यों की मनगढंत कहानी है.

यह लिस्ट अभी खत्म नहीं हुई है. हाल के वर्षों में हमने मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और बिहार के नेताओं के सेक्स कांडों के बहुत सारे मामले सुने हैं.

केरल को भूल गए, जिसे गॉड्स ओन कंट्री कहा जाता है वहां से बहुत सेक्स कांड सुनने को मिलते हैं.

सबसे कुख्यात मामला था ‘आइसक्रीम पार्लर सेक्स केस’ जो 1997 में सामने आया. इसमें पता चला कि एक आइसक्रीम पार्लर की आड़ में एक वेश्यालय चलाया जा रहा था. और युवा लड़कियों को लालच देकर सेक्स रैकेट का हिस्सा बनाया जाता था. इन्हीं में से एक लड़की ने आरोप लगाया कि इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के मंत्री पीके कुन्हालीकुट्टी ने उसके साथ छेड़छाड़ की थी. इस वजह से उन्हें 2005 में मंत्री पद गंवाना पड़ा था.

 फिक्र मत करिए केजरीवाल

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है कि उनकी नई नवेली, दूध सी बेदाग आम आदमी पार्टी पर एक छोटा सा दाग लग गया है.

दाग लगा संदीप कुमार के कारण, जिनके एक सेक्स टेप के कारण केजरीवाल को उन्हें मंत्री पद से हटाना पड़ा.

भ्रष्टाचार की तरह सेक्स कांड भी ऐसी चीज है. जिसके छींटों से भारत की समूची राजनीति दागदार है.