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बिहार सीट शेयरिंग: जेडीयू-बीजेपी की बात पक्की, पासवान खुश हैं, कुशवाहा का दिल खट्टा और अरुण कुमार गुस्से में

बिहार में आगामी लोकसभा चुनाव के लिए सीट शेयरिंग फॉर्मूले को लेकर बीजेपी-जेडीयू और एलजेपी के बीच बात लगभग फाइनल है. लेकिन कम सीटों को लेकर उपेंद्र कुशवाहा में नाराजगी है.

Amitesh

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिल्ली प्रवास के बाद वापस पटना पहुंच गए हैं. लेकिन, इस बीच उनकी दिल्ली में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात भी हुई, सीट बंटवारे पर चर्चा भी हुई. नीतीश कुमार ने पटना लौटने से एक दिन पहले अमित शाह से मुलाकात की थी, जबकि अगले ही दिन अमित शाह से नीतीश कुमार के चाणक्य माने जा रहे प्रशांत किशोर की मुलाकात हुई है.

नीतीश कुमार की अमित शाह से मुलाकात को काफी अहम माना जा रहा है क्योंकि, जेडीयू की राज्य कार्यकारिणी की बैठक में पटना में उन्होंने साफ कर दिया, ‘बीजेपी के साथ गठबंधन लगभग फाइनल है, कुछ बातें हैं जिन्हें सुलझा कर जल्द ही गठबंधन का ऐलान कर दिया जाएगा.’


जेडीयू-बीजेपी में बन गई बात !

सूत्रों के मुताबिक, नीतीश कुमार और फिर प्रशांत किशोर की अमित शाह के साथ मुलाकात में गठबंधन पर चर्चा हुई है. सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी बिहार में 20 सीटों पर चुनाव लड़ेगी जबकि, जेडीयू को बीजेपी की तरफ से बिहार में 14 सीटों का ऑफर किया जा रहा है. दूसरी तरफ, एलजेपी को बिहार में चार सीटों का ऑफर किया जा रहा है. उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी को दो सीटों का ऑफर हो सकता है.

यानी बीजेपी के फॉर्मूले के मुताबिक, 40 में से 20 सीटों पर वो खुद लड़ेगी जबकि बाकी 20 सीटों में जेडीयू 14, एलजेपी 4 और आरएलएसपी 2 सीटों पर मैदान में होगी. लेकिन, आरएलसपी को जिस तरह नजरअंदाज किया जा रहा है, उससे साफ है कि पार्टी 2 सीटों पर समझौते को स्वीकार नहीं करेगी. जेडीयू भी नहीं चाहती कि आरएलएसपी अब अधिक दिनों तक एनडीए का हिस्सा रहे.

ऐसे में आरएलएसपी के कोटे की 2 सीटों में से एक सीट जेडीयू को और एक सीट एलजेपी के खाते में जा सकती है. ऐसी सूरत में बिहार में एनडीए के भीतर गठबंधन का स्वरूप बीजेपी 20, जेडीयू 15 और एलजेपी 5 सीटों का हो जाएगा. हालांकि जेडीयू एक सीट झारखंड और एक सीट यूपी में मांग रही है. अगर इस मुद्दे पर सहमति बन गई तो फिर जेडीयू की कुल सीटों की संख्या 17 हो जाएगी.

सूत्रों के मताबिक, नीतीश कुमार और प्रशांत किशोर की तरफ से बीजेपी अध्यक्ष से मुलाकात के दौरान 17 सीटों की मांग की गई है. इसके अलावा जेडीयू और बीजेपी के बीच कई सीटों में बदलाव और आपस में अलग-अलग सीटों के नाम पर भी चर्चा को अंतिम रूप दिया जा रहा है.

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जेडीयू के प्रधान महासचिव के सी त्यागी ने उम्मीद जताई है कि दोनों दलों के बीच संतोषजनक सीटों का बंटवारा जल्द हो जाएगा. फ़र्स्टपोस्ट से बातचीत के दौरान के सी त्यागी ने कहा, ‘सीटों का बंटवारा जो भी होगा जेडीयू की अपेक्षा के अनुरूप होगा. अभी वार्ता सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई है.’

हालांकि, एनडीए के दूसरे सहयोगी दलों एलजेपी और आरएलएसपी को लेकर पूछे गए सवालों के बारे में के.सी. त्यागी ने कहा, ‘बीजेपी इस वक्त एलायंस की सबसे बड़ी पार्टनर है, इसलिए वो उनकी बातों को एड्रैस करेगी.’

अब क्या करेंगे कुशवाहा ?

बीजेपी की सहयोगी एलजेपी के साथ बात हो रही है. बीजेपी को लगता है कि एलजेपी के साथ कोई खास परेशानी नहीं होगी. लेकिन, अब उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी सीट शेयरिंग के मुद्दे पर अबतक संपर्क नहीं किए जाने से नाराज है. पार्टी अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा इस मुद्दे पर फिलहाल कुछ बोलने से कतरा रहे हैं. लेकिन, उनके कार्यकारी अध्यक्ष खुलकर अपनी बात रख रहे हैं.

फ़र्स्टपोस्ट से बातचीत के दौरान आरएलएसपी के कार्यकारी अध्यक्ष नागमणि ने कहा, ‘जबतक बीजेपी की तरफ से गठबंधन पर कोई अधिकृत न्यूज नहीं आ जाती है तबतक हमें इस पर विश्वास नहीं हो रहा है.’ लेकिन, उन्होंने इतना जरूर कहा, ‘इस वक्त बिहार की राजनीति में उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व में आरएलएसपी एक बैलेंसिंग भूमिका में है. अपने वोट बैंक के हिसाब से आरएलएसपी जिस खेमे में जाएगी, उसी का पलड़ा भारी होगा.’ नागमणि ने कहा, ‘अगर एनडीए की तरफ से आरएलएसपी को महज 2 सीटें देने की बात होती है तो फिर इन्हें रसातल में जाने से कोई रोक नहीं सकता.’

उन्होंने दावा किया, ‘हमारे दाएं भी लड्डू है, बाएं भी लड्डू.’ आरजेडी के साथ बातचीत के मुद्द पर नागमणि का कहना था, ‘बातचीत करने में कितना टाइम लगता है.’

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आरएलएसपी के कार्यकारी अध्यक्ष और पार्टी में नंबर दो की भूमिका में रहने वाले नागमणि की तरफ से दिए गए इस बयान का सियासी मतलब साफ-साफ दिख रहा है. इस वक्त बीजेपी नीतीश कुमार को ज्यादा भाव दे रही है. दूसरी तरफ, नीतीश कुमार भी कुशवाहा को गठबंधन मे रखने के पक्ष में नहीं दिख रहे हैं. ऐसे में उपेंद्र कुशवाहा के अगले कदम को लेकर अटकलों पर विराम जल्द लग सकता है.

अरुण कुमार के तल्ख तेवर

दूसरी तरफ, बिहार में आरएलएसपी से अलग हो चुके सांसद अरुण कुमार के संरक्षण में भी नई पर्टी राष्ट्रीय समता पार्टी यानी आरएसपी (सेक्युलर) भी बन चुकी है. ऐसे में उनके कदम को लेकर भी अभी अटकलबाजी और चर्चा का बाजार गर्म है. अरुण कुमार बिहार के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री दोनो के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. ऐसे में उनकी नई पार्टी को सीटें देने के मामले में भी किसी भी तरह कोई चर्चा नहीं चल रही है. लेकिन, बीजेपी के सूत्रों के मुताबिक, पार्टी उन्हें एक सीट का ऑफर दे सकती है.

फिलहाल, उपेंद्र कुशवाहा और अरुण कुमार दोनों को शेयरिंग की चर्चा से पूरी तरह दूर ही रखा जा रहा है, जिससे ये दोनों नेता नाराज बताए जा रहे हैं. हो सकता है जल्द ही इनकी तरफ से कोई बड़ा ऐलान भी कर दिया जाए.