view all

सौरभ भारद्वाज को ईवीएम डेमो विधानसभा नहीं चुनाव आयोग में देना चाहिए

आम आदमी पार्टी ने ईवीएम मामले पर डेमो देने के लिए गलत जगह चुनी है

Amitesh

दिल्ली विधानसभा के विशेष सत्र में वो सब देखने को मिला जिसकी अमूमन कल्पना भी नहीं की जा सकती. लेकिन, जब दिल्ली में केजरीवाल स्टाइल में दंगल हो रहा है तो फिर क्या कहना, यहां कुछ भी असंभव नहीं.

दिल्ली विधानसभा का एक दिन का विशेष सत्र जब बुलाया गया तो सबकी नजरें इस बात पर टिकी थीं कि इस सत्र में क्या होगा? आप की तरफ से सभी विधायकों के लिए सदन के भीतर मौजूद रहने का व्हिप जारी कर दिया गया. सबके साथ हाल ही में निलंबित और केजरीवाल को चुनौती देने वाले विधायक कपिल मिश्रा भी पहुंचे.


दिन में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर जानकारी दे दी कि आप एमएलए सौरभ भारद्वाज कोई बड़ा खुलासा करने वाले हैं. सब बस इसी इंतजार में थे कि सदन की कार्यवाही शुरू हो.

भ्रष्टाचार के आरोप लगाए तो बाहर हुए विजेंद्र

दिल्ली विधानसभा के भीतर जब कार्यवाही शुरू हुई तो बीजेपी के नेताओं ने हंगामा शुरू कर दिया. नेता प्रतिपक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने केजरीवाल पर भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर बवाल करना शुरू कर दिया.

बार-बार स्पीकर की चेतावनी के बावजूद गुप्ता नहीं माने और हमेशा की तरह उन्हें इस बार भी मार्शल के माध्यम से विधानसभा से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. बीजेपी विधायक ओपी शर्मा पहले से ही निलंबित हैं.

सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो आप की तरफ से ईवीएम पर सवाल शुरू किए गए. हालांकि, इस तरह का आरोप तो पहले से ही था लेकिन, इस तरह से किसी राज्य की विधानसभा की कार्यवाही के दौरान ईवीएम का डेमो कराकर आप ने पूरी चर्चा के केंद्र में ईवीएम को फिर से लाकर खड़ा कर दिया.

आप की तरफ से विधायक सौरभ भारद्वाज ने ईवीएम के जरिए यह बताने की कोशिश की कि कैसे ईवीएम में छेड़छाड़ संभव है. सौरभ भारद्वाज की तरफ से ईवीएम में छेड़छाड़ कैसे की जा सकती है, इसे समझाया गया.

सौरभ ने बताया कि कोड सेट कर ईवीएम में बदलाव किया जा सकता है.

ये भ्रष्टाचार से ध्यान भटकाने की कोशिश है: कपिल मिश्रा

लेकिन, इस तरह की हरकतों पर ही अब सवाल उठने लगे हैं. आप से निलंबित विधायक कपिल मिश्रा ने भी सवाल खड़ा किया और कहा कि यह भ्रष्टाचार के मुद्दे से ध्यान भटकाने की कोशिश है.

कपिल मिश्रा तो फिलहाल आप के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं लिहाजा उनकी बातों को नजरअंदाज भी कर दें तो विधानसभा के भीतर ईवीएम के डेमो पर सवाल खड़े हो रहे हैं.

जब चुनाव आयोग ने पहले से ही ईवीएम में गड़बड़ी साबित करने को लेकर मई के तीसरे हफ्ते में सभी राजनीतिक दलों या किसी को भी चुनौती दी है तो उससे पहले अचानक ईवीएम के लाइव डेमो का क्या मतलब?

केजरीवाल के इस कदम से उनकी मंशा एक बार फिर सवालों के घेरे में है. सवाल यही खड़ा हो रहा है कि जब बार-बार अपने ही लोगों की तरफ से केजरीवाल पर उंगली उठाई जा रही है, तो उस हालत में केजरीवाल उन आरोपों का जवाब देने के बजाए अचानक ईवीएम के मुद्दे को चर्चा के केंद्र में क्यों ला रहे हैं?

कपिल मिश्रा की तरफ से अरविंद केजरीवाल के उपर अपने रिश्तेदार के लिए लैंड डील कराने का आरोप लगाया गया. केजरीवाल सरकार में स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के साथ केजरीवाल के पैसे के लेन-देन को लेकर भी कपिल मिश्रा ने सवाल उठाए थे जिसपर अबतक केजरीवाल की चुप्पी ही नजर आ रही थी.

हर जगह हो रही आप की फूट पर चर्चा

दिल्ली ही नहीं देश के भीतर हर जगह आप के भीतर की फूट और संभावित बगावत पर चर्चा हो रही थी, लेकिन, उन सारे सवालों का जवाब देने के बजाए केजरीवाल ने ईवीएम की आड़ में एक बार फिर से अपने  चेहरे को छुपाने की कोशिश की है.

सौरव भारद्वाज की तरफ से भी सदन के भीतर ईवीएम के डेमो के बाद जिस तरीके से आप के सभी विधायकों को अपने-अपने क्षेत्र में जनता को इस बारे मे बताने के लिए  कहा गया उससे दो बातें साफ नजर आ रही हैं.

एक तो क्षेत्र की जनता को यह बताने का प्रयास किया जाए कि हम एमसीडी चुनाव में ईवीएम से हारे हैं न कि जनता ने हराया है और दूसरा कि आप के सुस्त पड़े कैडर को फिर से जगाकर उनमें एक नई जान फूंकी जाए जिससे फिर से अगली लड़ाई के लिए  उन्हें तैयार किया जा सके.

लेकिन, जनता क्या केजरीवाल की कुटिल कोशिश पर भरोसा कर पाएगी यह लाख टके का सवाल है.