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कैराना उपचुनाव: चुनाव से पहले जरूरी है, खुद को हिंदू समझें दलित- VHP

बीजेपी के एक सीनियर नेता ने बताया कि हमें गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव नहीं हारना चाहिए था. हम लापरवाह हो गए और मायावती को हल्का समझना हमारी सबसे बड़ी भूल थी

FP Staff

कर्नाटक में राजनीतिक उठापटक शांत होते ही सभी पार्टियों की निगाहें पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कैराना और नूरपूर के उपचुनाव पर टिकी हैं. कैराना में लोकसभा उपचुनाव और नूरपूर में विधानसभा उपचुनाव होने हैं. यहां 28 मई को वोटिंग होगी.

इस साल गोरखपुर और फूलपुर की हार से तमतमाई बीजेपी कोई खतरा नहीं उठाना चाहती. दलित वोट बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की झोली में न जाएं, इसके लिए बीजेपी विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) का इस्तेमाल कर रही है. सूत्रों के मुताबिक, वीएचपी कार्यकर्ता दलित वोटरों के घर-घर पहुंचकर बीजेपी को वोट देने की अपील कर रहे हैं.


बीजेपी के एक सीनियर नेता ने बताया, 'हमें गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव नहीं हारना चाहिए था. हम लापरवाह हो गए और मायावती को हल्का समझना हमारी सबसे बड़ी भूल थी. इस बार हम पुरानी गलती नहीं दोहराने वाले. हमने वीएचपी और बजरंग दल कार्यकर्ताओं को चुनाव क्षेत्रों में भेज दिया है. वे दलित वोटरों के साथ बात कर रहे हैं और उन्हें बीजेपी को वोट देने के लिए मना रहे हैं.'

कई दलित VHP के लिए कर रहे हैं काम

एक वीएचपी नेता ने बताया, 'कई दलित नेता और कार्यकर्ता हमारे लिए काम कर रहे हैं. चुनाव से पहले जरूरी है कि दलित खुद को हिंदू समझें. यही नहीं, बीजेपी सांसद भी पार्टी के लिए प्रचार कर रहे हैं. उदाहरण के तौर पर, इसी हफ्ते राज्यसभा सांसद कांता कर्दम खुद दलितों के घर जा रही हैं. चूंकि वे जाटव हैं और इस कम्युनिटी ने हमेशा बीजेपी को वोट दिया है, ऐसे में यह चुनाव पर काफी प्रभाव डालेगा.'

पश्चिमी यूपी में वीएचपी स्टूडेंट विंग के प्रमुख विवेक प्रेमी ने कहा कि यह संगठन के लिए एक बड़ा प्रोजेक्ट भी है. उन्होंने कहा, 'हमें इसे सिर्फ चुनाव से जोड़कर नहीं देखना चाहिए. हिंदू कुनबे को बढ़ाना वीएचपी का बड़ा प्रोजेक्ट है. हम शुरुआत से ही जाति समन्वयता को ध्यान में रखकर चल रहे हैं.'

गौरतलब है कि पिछले दो महीनों में पश्चिमी यूपी में दलितों से जुड़ी कई घटनाएं चर्चा में रहीं. एससी/एसटी एक्ट में संशोधन के खिलाफ भारत बंद के दौरान हुई हिंसा और सहारनपुर में भीम आर्मी नेता के भाई की हत्या. कैराना लोकसभा सीट में पड़ने वाले पांच में से दो विधानसभा क्षेत्र सहारनपुर जिले में पड़ती हैं.

यह पूछने पर कि क्या बीजेपी के खिलाफ दलितों की नाराजगी है, पश्चिमी यूपी यूनिट के अध्यक्ष अश्वनी त्यागी ने कहा, 'सभी जातियां बीजेपी के साथ हैं. विपक्ष की तरह हम जाति गणनाएं नहीं कर रहे हैं. हमारे कार्यकर्ता सभी घरों में जा रहे हैं और उनका स्वागत हो रहा है.'

कैराना लोकसभा में ज्यादातर वोटर मुस्लिम हैं. इनकी संख्या 5.26 लाख है. जबकि 2.25 लाख वोटरों के साथ दलित दूसरे नंबर पर हैं. अखिलेश यादव के करीबी एक सीनियर समाजवादी पार्टी नेता ने बताया, 'दलितों का बीजेपी से पहले ही मोहभंग हो गया है. इस उपचुनाव में सपा-बसपा एकसाथ लड़ रहे हैं. भारत बंद और सहारनपुर तनाव की घटनाएं हमें बड़ा फायदा देंगी.'

कैराना लोकसभा सीट से बीजेपी सांसद हुकुम सिंह की फरवरी में मौत हो गई थी.

गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव में हार के बाद बीजेपी नेता कैराना में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते. बीजेपी की तरफ से यहां मृगांका सिंह खड़ी हैं, जो पश्चिमी यूपी के प्रभावशाली परिवार से ताल्लुक रखती हैं. दूसरी उम्मीदवार समाजवादी पार्टी के विधायक नाहिद हसन की मां तब्बसुम हसन हैं. वे राष्ट्रीय लोक दल (RLD) से चुनाव लड़ रही हैं. तब्बसुम को सभी विपक्षी पार्टियों का समर्थन है.

(न्यूज 18 के लिए उदय सिंह राणा की रिपोर्ट)