view all

केरल सीएम का 'सिर लाने वाले' बयान से आरएसएस ने पल्ला झाड़ा

आरएसएस चंद्रावत की छुट्टी कर सकता है कि क्योंकि उनकी वजह से संघ की बदनामी हुई है.

Debobrat Ghose

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने उज्जैन में अपने पदाधिकारी के बयान से खुद को अलग कर लिया है. केरल के मुख्यमंत्री के खिलाफ दिए गए इस बयान की सीपीएम सहित कई हलकों में कड़ी आलोचना हो रही है.

उज्जैन में 1 मार्च को सार्वजनिक सभा में आरएसएस की उज्जैन ईकाई के सह प्रचार प्रमुख कुंदन चंद्रावत ने केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन का सिर काटकर लाने वाले को एक करोड़ रुपए का इनाम देने की घोषणा की.


बताया जाता है कि उज्जैन के शहीद पार्क में हुई सभा में उज्जैन सह प्रचार प्रमुख कुंदन चंद्रावत ने कहा, 'आरएसएस कार्यकर्ताओं के हत्यारे केरल के मुख्यमंत्री का सिर काटकर जो कोई भी लाकर देगा, मैं एक करोड़ की अपनी संपत्ति उसके नाम कर दूंगा.'

हो सकती है छुट्टी

अगर सूत्रों पर भरोसा किया जाए तो आरएसएस चंद्रावत की छुट्टी कर सकता है कि क्योंकि उनकी वजह से संघ की बदनामी हुई है. आरएसएस ने इस पूरे प्रकरण और चंद्रावत के बयान से खुद को अलग कर लिया है.

आरएसएस के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख जे नंदकुमार ने कहा, 'संघ भावना में बहकर दिए गए डॉ. चंद्रावत के बयान की कड़े शब्दों में निंदा करता है. उनकी तरफ से दिया गया बयान आरएसएस का आधिकारिक बयान नहीं है. अपनी स्थापना के बाद से ही आरएसएस सामाजिक सेवा और मानव पूंजी निर्माण के कार्य में लगा हुआ है. न तो वह किसी हिंसा में विश्वास करता है और न ही इसमें शामिल रहा है. संघ सिर्फ लोकतांत्रिक तरीकों से विरोध जताने में विश्वास रखता है.'

नंदकुमार ने कहा, 'केरल में 1 और 3 मार्च के बीच मार्क्सवादियों द्वारा की गई हत्याओं के विरोध में देश भर में विभिन्न संगठन प्रदर्शन कर रहे हैं. संघ को जानकारी मिली है कि उज्जैन में जन अधिकार समिति की तरफ से आयोजित इसी तरह के एक कार्यक्रम में डॉ कुंदन चंद्रावत ने निजी हैसियत से केरल के मुख्यमंत्री के खिलाफ एक विवादित बयान दिया है. आरएसएस की राय है कि विभिन्न संगठनों के विभिन्न लोग ऐसे आयोजनों में हिस्सा लेते हैं और बयान देते हैं. ऐसे मामलों में, इन बयानों को आरएसएस का आधिकारिक बयान नहीं माना जाना चाहिए.'

गोधरा कांड और गुजरात दंगों को लेकर दिया विवादित बयान

रिपोर्टों के मुताबिक, अपने भाषण में गोधरा रेलवे स्टेशन पर कारसेवकों की मौतों और उसके बाद गुजरात में हुए दंगों की तरफ इशारा करते हुए चंद्रावत ने कहा, “उन्होंने 56 मारे, तो हमने 2000 लोग कब्रिस्तान में भेजे.”

आरएसएस के एक सूत्र ने फर्स्टपोस्ट को बताया, 'यह मूर्खतापूर्ण काम था और इससे संगठन का नाम खराब हुआ है. यह संघ की बुनियादी संस्कृति के खिलाफ है और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी. हैरानी नहीं कि उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया जाए.'

इस मामले की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए सीपीआई (एम) के पोलित ब्यूरो ने कहा है कि चंद्रावत के बयान से फिर इस बात की पुष्टि होती है कि आरएसएस हिंसा और आतंक की राजनीति का नेतृत्व कर रहा है जैसा कि हाल के महीनों में केरल में भी देखने को मिला है.

सीपीआई (एम) की केंद्रीय समिति के सदस्य और राज्य सचिव बादल सरोज ने कहा, 'लेकिन, आरएसएस को यह बात नहीं भूलनी चाहिए कि चंद्रावत संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी हैं. वह उज्जैन में प्रचार प्रमुख हैं. सीपीआई (एम) मध्य प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार, दोनों से मांग करता है कि इस मामले में कानून के मुताबिक सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. सरकार की खामोशी एक तरह से सहमति है, जिससे आरएसएस की हौसलाअफजाई होती है और वह इस तरह के घिनौने बयान जारी करता है.'

वह सवाल करते हैं, 'आरएसएस मध्य प्रदेश में बीजेपी और वीएचपी के दो लोगों की गिरफ्तारी पर क्यों चुप है जबकि इन लोगों पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए जासूसी करने का आरोप है. इनमें से एक तो बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का करीबी है.'