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सिर्फ सरकार के भरोसे नहीं होगा देश का विकास: मनमोहन वैद्य

वृंदावन में आरएसएस की तीन दिवसीय अखिल भारतीय समन्वय बैठक रविवार को खत्म हो गई है

FP Staff

वैश्विक परिदृश्य तेजी से बदल रहा है. आने वाले समय मे एशिया और विशेषकर भारत की भूमिका निर्णायक और महत्वपूर्ण होने वाली है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तीन दिवसीय अखिल भारतीय समन्वय बैठक में इसी विषय को केंद्र में रखते हुए आरएसएस की प्रेरणा से चल रहे विविध संस्थाओं के संगठन मंत्रियों ने तीन दिन अपने अनुभव परस्पर साझा किए और विमर्श किया.

मंथन के दौरान ज्ञात हुआ कि इन संस्थाओं की देश की विकास में महत्वपूर्ण भूमिका है. यह बात आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डॉ. मनमोहन वैद्य ने पत्रकारों से कही.


रविवार को वृंदावन के केशवधाम में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तीन दिवसीय समन्वय बैठक के समापन के अवसर पर पत्रकारों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि बैठक में सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, सीमा क्षेत्र में समाज जागरण, देश के समक्ष आर्थिक चुनौतियों पर भी विचार-विमर्श किया गया.

वैद्य ने कहा कि आज भी जाति भेद एक बड़ी समस्या है. आरएसएस का स्पष्ट मत है कि हम सब इस पवित्र भूमि की संतान हैं और कही कोई भेद नही है. इसी तरह परिवार विखंडन को रोकने के लिए कुटुंब का प्रबोधन और समाज में संस्कार का निर्माण समय की आवश्यकता है.

मात्र सरकार के भरोसे कुछ नहीं होगा

वैद्य ने कहा कि आरएसएस का स्पष्ट मत है कि देश की प्रगति का आधार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को प्रमुखता से मजबूत करना और लघु-कुटीर उद्योग धंधों को सुदृढ़ करने में ही है. वैद्य ने कहा कि नोटबंदी के बाद नागरिकों को कुछ समय के लिए परेशानी हुए लेकिन, अब नहीं है और अपेक्षित परिणाम आने में अभी थोड़ा समय लगेगा. वैद्य ने कहा कि देश के विकास में समाज की भी महत्वपूर्ण भूमिका है, मात्र सरकार के भरोसे कुछ नही होगा.

आरएसएस निर्णय लेने का पैमाना है

पत्रकारों द्वारा बैठक में कुछ निर्णय लेने के प्रश्न पर वैद्य ने कहा कि आरएसएस समाज जीवन से जुड़ा संगठन है और शाखा के माध्यम से शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वावलंबन, कला आदि क्षेत्रों में कार्य कर रहा है. उन्होंने कहा कि बैठक में 35 अनुषांगिक संगठनों के प्रमुखों ने अपने अनुभवों का एक दूसरे से आदान-प्रदान किया. यह बैठक कोई निर्णय लेने वाली बैठक नहीं है. आरएसएस निर्णय लेने का पैमाना है. प्रतिवर्ष मार्च में अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा और अक्टूबर में अखिल भारतीय कार्यकारिणी मंडल और प्रतिनिधि सभा की बैठक होती है.

वैद्य ने जोर देकर कहा कि तीन दिन की इस बैठक में न तो केंद्र सरकार की न प्रदेश सरकार की कोई समीक्षा हुई. बैठक में न ही कैबिनेट विस्तार पर ओर न ही चुनावों को लेकर कोई चर्चा हुई.