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दिनाकरण की जीत से साफ है 'चिन्नम्मा' ही हैं अम्मा की उत्तराधिकारी

ये कोई मामूली उपचुनाव नहीं था. ये एक ऐसा चुनाव था जो रातों-रात तमिलनाडु की राजनीति का रुख बदल सकता था

FP Staff

आरके नगर उपचुनाव में टीटीवी दिनाकरण गुट की जीत अप्रत्याशित नहीं थी. तमिलनाडु की राजनीति को जड़ से समझने वाले कई राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने इसकी भविष्यवाणी पहले से ही कर दी थी. वोटिंग के कुछ दिनों पहले ही बीजेपी सांसद और पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने भी न्यूज 18 के एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में दिनाकरण गुट की जीत की बात कही थी.

ये कोई मामूली उपचुनाव नहीं था. ये एक ऐसा चुनाव था जो रातों-रात तमिलनाडु की राजनीति का रुख बदल सकता था. इस जीत ने शशिकला गुट के दावों का समर्थन किया है कि वह जयललिता की विरासत की असली उत्तराधिकारी हैं और उनका गुट 'असली' एआईएडीएमके है.


खुले तौर पर दिनाकरण को समर्थन दे सकते हैं कई विधायक

शशिकला के जेल जाने और पार्टी से निष्कासन के बाद उनके भतीजे टीटीवी दिनाकरण ने सत्तारूढ़ ई पलानीसामी और ओ पन्नीरसेल्वम गुट को लगातार निशाने पर रखा. वह लगातार दावे करते रहे कि वे ही जयललिता के असली उत्तराधिकारी हैं.

रविवार के इस चुनावी फैसले के बाद अधिकतर विधायक अपना मन बदल सकते हैं. जनता के फैसले के बाद अपने राजनीतिक करियर को बचाने के लिए वो ई पलानीसामी और ओ पन्नीरसेल्वम गुट को समर्थन देकर खतरा मोल नहीं लेना चाहेंगे.

जयललिता के कार्यकाल के दौरान शशिकला और उनके भतीजे दिनाकरण ही पार्टी चला रहे थे. अधिकांश स्थानीय स्तर के नेताओं और पदाधिकारियों को उनके द्वारा ही नियुक्त किया गया है और उन नेताओं के मन में भी उनके लिए कहीं न कहीं आदर का भाव है. कई बार दिनाकरण ने खुद कहा है कि एआईएडीएमके के शासन गुट में उनके कई स्लीपर सेल्स हैं जो किसी भी समय सरकार को तहस-नहस कर सकते हैं.

तमिलनाडु की राजनीति समझने में नाकाम रही बीजेपी

आरके नगर उपचुनाव के बाद ये जिला स्तर के नेता खुले तौर पर दिनाकरण गुट के समर्थन में आ सकते हैं जिससे पलानीसामी-पनीरसेल्वम सरकार खतरे में पड़ सकती है.

शशिकला और दिनाकरण को तमिलनाडु की सत्ता से हटाने के लिए बीजेपी ने पलानीसामी और पन्नीरसेल्वम खेमे को मौन समर्थन दिया था. शशिकला की खुद की नियुक्त की हुई पलानीसामी सरकार ने उनके जेल जाने के बाद बीजेपी के साथ मिलने की कोशिश की. पन्नीसेल्वम गुट भी वापस आकर कुछ महीने बाद उसमें शामिल हो गया. दोनों ने चिन्नम्मा को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया.

शशिकला बीजेपी के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं हैं. बीजेपी 2019 के चुनावों को ध्यान में रखते हुए तमिलनाडु की राजनीति में हस्तक्षेप करने की कोशिश कर रही है. इस स्थिति में डीएमके के साथ बातचीत करना भी बीजेपी के लिए काफी मुश्किल हो जाएगा.

बीजेपी तमिलनाडु की राजनीति को समझने में नाकाम रही. तमिल राजनेताओं और मतदाताओं ने हमेशा अपने आत्मगौरव को कायम रखा और कभी खुद को दिल्ली के दलों को नहीं सौंपा.

जयललिता के निधन के बाद बीजेपी ने दिल्ली के कुछ नेताओं के जरिए तमिलनाडु की राजनीति में घुसने की कोशिश की. पार्टी के अंदर शशिकला के विरोधी नेताओं की राजनीति भी चल रही थी, जिसका अधिकांश मतदाताओं और स्थानीय नेताओं ने विरोध किया. आरके नगर उपचुनाव ने उन्हें केंद्र सरकार को मजबूत संदेश भेजने का मौका दिया है.

चेन्नई के एक ऑटोचालक वेलायुधयन के कहा, ' पलानीसामी और पन्नीरसेल्वम दोनों खेमे दिल्ली सरकार के गुलामों की तरह व्यवहार कर रहे हैं. उन्होंने तमिल लोगों की छवि बर्बाद की है. केवल टीटीवी दिनाकरण और डीएमके ही हमारे गौरव को वापस ला सकते हैं.'

डीएमके के लिए भी हैं ये मुश्किलें

अगर तमिलनाडु में पलानीसामी-पन्नीरसेल्वम सरकार गिरती है तो दिनाकरण डीएमके के लिए चुनौती के तौर पर उभर सकते हैं. एम.के. स्टालिन के नेतृत्व वाली डीएमके के सामने भी कई समस्याएं हैं. एआईएडीएमके में एक स्पष्ट विभाजन और 2 जी घोटाले में निर्दोष होना भी सीटें जीतने में उनकी मदद नहीं कर पाएगा. जीतने के लिए उन्हें अपनी रणनीति पर फिर से काम करने की जरूरत है.

(न्यूज़18 के लिए डी.पी सतीश की रिपोर्ट)