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भारत बंद पर विपक्ष में घमासान

नोटबंदी पर भारत बंद का उतना असर नहीं रहा जितना विपक्षी उम्मीद कर रहे थे

Ravishankar Singh

सोमवार को भारत बंद कितना सफल हुआ, यह देश के बैंकों में लगी लंबी कतारें और सड़कों पर दिख रहे लोग बता रहे थे. नोटबंदी के बहाने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुंभकर्णी नींद में सो रही विपक्षी पार्टियों को एक मंच पर आने का मौका दिया था, पर विपक्षी पार्टियां इस मौके को भुनाने में असफल साबित हुईं.


नारों में नहीं था उत्साह 

सोमवार को विपक्षी पार्टियों को समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर अपने कार्यकर्ताओं के उत्साह को कैसे बरकरार रखें. विपक्षी पार्टियों के नेता अपने कार्यकर्ताओं को बार-बार नारे लगाने के लिए बोलते रहे, पर लोगों की तरफ से लग रहे नारों में उत्साह नजर नहीं आ रहा था.

जनता का मूड भांपते हुए दोपहर होते-होते लेफ्ट छोड़ कर देश की कोई भी विपक्षी पार्टी भारत बंद को लेकर खुलकर बात नहीं कर रही थी. कांग्रेस, सपा, बसपा, इनोलो सहित कई पार्टियां यह बोल कर पल्ला झाड़ रही थी कि ये हमारा आक्रोश मार्च था.

जिस तरह विपक्षी पार्टियां संसद की गांधी प्रतिमा के सामने विपक्षी एकजुटता का प्रदर्शन करती हैं, ठीक उसी तरह भारत बंद के दौरान भी एकजुटता प्रदर्शित की जाती तो नतीजे कुछ और होते.

यूपी में सपा और बीएसपी ने विरोध जरूर किया पर एक साथ नहीं. यूपी में सपा ने दिन की शुरुआत इलाहाबाद में ट्रेन रोक कर की थी, पर दोपहर होते-होते वे भी आक्रोश मार्च के रंग में ढल गए.

पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और केरल में भी भारत बंद का असर उतना नहीं रहा. पश्चिम बंगाल में दिन की शुरूआत में ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आंदोलन की अगुवाई की, पर वह भी बाद में कहीं और दिखाई नहीं दीं.

बंद के बारे में फ़र्स्टपोस्ट हिंदी से लेफ्ट नेता अतुल अंजान ने बताया, ‘प्रधानमंत्री जी झूठ बोल रहे हैं. लेफ्ट पार्टियों ने कभी नहीं कहा था भारत बंद करेंगे, हमने इसको राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिरोध दिवस कहा था. प्रधानमंत्री जी ने इसको लेकर बोला कि मैं नोटबंद कर रहा हूं और वे भारत बंद कर रहे हैं. प्रधानमंत्री जी ने देश से झूठ बोला, इससे शर्मनाक बात कुछ और नहीं हो सकती. मोदी जी सत्य को तोड़-मरोड़ कर पेश करने वाले प्रधानमंत्री हैं.'

उन्होंने आगे बताया, 'दुनिया हम पर हंस रही है. किस तरह के लोग पॉलिसी बना रहे हैं. आज पार्लियामेंट में एक नया बिल ले कर आ गए. हमलोग भी काले धन के खिलाफ हैं, लेकिन किसी का काला धन सफेद करा दो और बाकी लोगों को लाइन में लगा दो. जिनके पास काला धन है वे घर में सो रहे हैं और जिनकी मेहनत करके पैसे कमाए हैं वे लाइन में लगे हैं. हमलोग इसके खिलाफ हैं.'

'नोट मिल रहे हैं बिग बाजार में'

उनका दावा था कि, 'तीन राज्य तो पूरी तरह से बंद रहा- केरल, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा. झारखंड में जहां बीजेपी की सरकार है, वहां भी बंद पूरी तरह सफल रहा. कॉपरेटिव बैंक जो हमारे गांवों की रीढ़ की हड्डी है, वहां पर सरकार ने नोट लेना और नोट देना बंद कर दिया है. और नोट मिल रहे हैं बिग बाजार में, आरबीआई ने एक नया बैंक खोल दिया है बिग बाजार.'

नोटबंदी को लेकर पर जनता को कितनी तकलीफ हो रही है या जनता कितने गुस्से में है, इन सारी बातों की परवाह किए बिना विपक्ष ने बंद बुला लिया.वे जनता का नब्ज टटोलने में नाकाम साबित हुई. इस सारे मसले पर फ़र्स्टपोस्ट ने दिल्ली के कई इलाकों का जायजा लिया और राजनीतिक पार्टियों और जनता के मूड को जानने की कोशिश की.

राजनीतिक पार्टियों में एकजुटता का अभाव

कनॉट प्लेस में आम आदमी पार्टी ने जनता से सीधे संवाद का कार्यक्रम का आयोजित किया था. पार्टी कार्यकर्ताओं ने इस संवाद कार्यक्रम में गाना गा कर सरकार के फैसले का विरोध किया. दिल्ली के परिवहन और स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन और आप नेता दिलीप पांडे ने माहौल में जोश भड़ने की पूरी कोशिश की, कोई खास असर नहीं जगा पाए.

आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता

जिस समय आम आदमी पार्टी कनॉट प्लेस में संवाद कार्यक्रम का आयोजन कर रही थी, ठीक उसी वक्त कनॉट प्लेस में बीजेपी महिला मोर्चा ने एक मार्च निकाल कर सरकार के फैसले का समर्थन किया. दिल्ली बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश उपाध्याय मार्च की अगुवाई कर रहे थे.

दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष सतीश उपाध्याय

मार्च में शामिल दिल्ली बीजेपी की महिला कार्यकर्ता जहां नोटबंदी के पक्ष में नारे लगा रही थी, तो दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी के नेता दिलीप पांडे जनता में जोश भरने की कोशिश कर रहे थे.

आम आदमी पार्टी के नेता दिलीप तिवारी और दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन

दिल्ली में यूथ कांग्रेस ऑफिस का नजारा दिन के तीन बजे ही कुछ अलग हो चुका था. एनएसयूआई के कई बड़े-बड़े बैनर लगे थे, पर कार्यकर्ता ढूढ़ने से भी नहीं मिल रहे थे. ऑफिस के ठीक सामने जो मंच बनाए गए थे, मजदूर उस मंच को समेटने में लगे थे. यूथ कांग्रेस ऑफिस के अंदर कुछ भीड़ जरूर थी, पर उनके उत्साह में कमी थी.

'हमने सिर्फ आक्रोश दिवस मनाया'

इस मसले को लेकर फ़र्स्टपोस्ट हिंदी ने जब कांग्रेस नेता और देश के पूर्व वित्त राज्य मंत्री जे डी सीलम से सवाल किया तो उनका कुछ और ही कहना था. उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस पार्टी ने बंद नहीं बुलाया है. हमने सिर्फ आक्रोश दिवस मनाया, लोगों के आक्रोश को हमने सरकार तक पहुंचाने का काम किया. हम नोटबंदी के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन सरकार ने सही ढंग से तैयारी नहीं की.

इसकी वजह से लोगों को बहुत दिक्कत हो रही है. ये अलग बात है कि मार्केट को कितना नुकसान हुआ और कृषि क्षेत्र में कितना असर पड़ा, ये समय बताएगा. लेकिन कुछ कॉमन सेंस भी होता है. हमारे पैसे पर हमारा ही हक नहीं है. हमने इसलिए बंद नहीं बुलाया, क्योंकि पहले से लोग नोटबंदी को लेकर दिक्कत में हैं और हम बंद का आयोजन करते तो उनको और परेशानी होती.

जे डी सीलम ने बंद असफल होने को लेकर पोन पर बताया, ‘मैं इस समय आंध्रप्रदेश के गुंटूर जिले में हूं. यहां पर कांग्रेस पार्टी के सारे कार्यकर्ताओं ने सरकारी दफ्तरों के सामने जमा होकर आक्रोश व्यक्त किया है.'