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राष्ट्रपति चुनाव: एसपी में फिर कलह के आसार, हो सकती है क्रॉस वोटिंग

योगी आदित्यनाथ के भोज में शिरकत कर मुलायम सिंह ने कोविंद को राष्ट्रपति पद के लिए प्रबल दावेदार बताया था

FP Staff

समाजवादी पार्टी (एसपी) में टूट एक और नए मोड़ पर पहुंचने के आसार हैं. सोमवार को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव और पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के परस्पर विरोधी प्रत्याशियों के खिलाफ मतदान करने की प्रबल संभावना के मद्देनजर क्रॉस वोटिंग की आशंका गहरा गई है.

एसपी के शीर्ष नेतृत्व में इस मतभेद के कारण पार्टी के विधायक और सांसद भी पसोपेश में हैं कि वे आखिर किसके साथ जाएं. हालांकि 47 सीटों वाली एसपी के मतदान से राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा, मगर पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार इससे परिवार में कलह और दूरियां जरूर बढ़ेंगी.


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रामनाथ कोविंद को बीजेपी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का उम्मीदवार बनाए जाने के दिन से ही एसपी में राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी के मुद्दे पर मतभेद उजागर हो गए थे.

एनडीए की तरफ से कोविंद का नाम घोषित होने के बाद पिछली 20 जून को प्रधानमंत्री मोदी के सम्मान में लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा दिए गए रात्रिभोज में मुलायम ने न सिर्फ शिरकत की थी, बल्कि कोविंद को ‘मजबूत उम्मीदवार’ बताते हुए उनसे अपने मधुर संबंधों का जिक्र भी किया था.

लोकसभा में मुलायम समेत एसपी के पांच सांसद हैं

जसवंतनगर सीट से एसपी विधायक शिवपाल ने कहा, ‘कोविंद जी के नेताजी (मुलायम) से लंबे समय से अच्छे संबंध रहे हैं. वह अच्छे व्यक्ति और सर्वश्रेष्ठ प्रत्याशी हैं. नेता जी जो कहेंगे, वहीं होगा.’ मालूम हो कि लोकसभा में मुलायम समेत एसपी के पांच सांसद हैं जबकि राज्यसभा में उसके 19 सदस्य हैं. इनमें असम्बद्ध सदस्य के तौर पर अमर सिंह भी शामिल हैं जिन्हें पार्टी से निकाला जा चुका है.

अखिलेश विधान परिषद सदस्य हैं. चूंकि इस उच्च सदन के सदस्य राष्ट्रपति चुनाव में मतदान नहीं कर सकते, इसलिये अखिलेश भी वोट नहीं डाल पाएंगे. हालांकि उनकी सांसद पत्नी डिंपल यादव इस चुनाव में मतदान कर सकेंगी.

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मालूम हो कि एसपी में पिछले साल सितंबर में ही फूट पड़ गई थी, जब तत्कालीन एसपी अध्यक्ष मुलायम ने अखिलेश को हटाकर शिवपाल को पार्टी का प्रांतीय अध्यक्ष बना दिया था. उसके बाद से पार्टी में उठापटक का जो दौर शुरू हुआ, वह आज तक थमा नहीं है.

वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई एसपी को इस साल हुए चुनाव में इस फूट का जबरदस्त खामियाजा भुगतना पड़ा और वह महज 47 सीटों पर सिमट गयी जबकि भाजपा अपने सहयोगियों के साथ 403 में से 325 सीटें जीतकर सत्ता में पहुंच गई.

(साभार: न्यूज़18)